फूल की आत्मकथा पर निबंध- Phool ki Atmakatha in Hindi Essay

In this article, we are providing an Essay on Phool ki Atmakatha in Hindi फूल की आत्मकथा निबंध हिंदी | Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For Students. Phool Ki Atmakatha Hindi Nibandh

फूल की आत्मकथा पर निबंध- Phool ki Atmakatha in Hindi Essay

प्रस्तावना- फूल, प्रकृति की एक बहुमूल्य कृति है, जो बहुत ही खूबसूरत होती हैं। फूल में तमाम तरह की विशेषताएं पाई जाती हैं जैसे – सुगंध, आकर्षित रंग, प्राकृतिक सौंदर्य आदि। आज हम आपको एक फूल की आत्मकथा के बारे में बताएंगे।

मैं फूल हूँ, मेरा जन्म पेंड़-पौधों से हुआ है, मैं तमाम तरह के रंगों से सराबोर हूँ, और साथ ही मुझमें तमाम तरह की सुगंध पाई जाती है जो पूरी दुनियाभर को महकाती है, मेरे ही केंद्र से केसर जैसे सुगंदित चीजो का जन्म होता है और मुझसे ही तालमखाने की शुरुआत हुई है, मुझसे ही कई सब्जियां भी बनाई जातीं हैं।

मैं हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ अपनी पत्तियां खोलकर दिन का स्वागत करती हूँ, शाम होने के साथ ही मैं अपनी पंखुड़ियां बन्द कर लेती हूँ। मखिया मेरी सुंदरता निहारते हुए मेरे पर बैठे रहते हैं और मधुमक्खियों मेरे पराग कणों से रस निकालकर अपने छत्ते में शहद का निर्माण करते हैं।

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मैं हवाओं में अपनी खुशबू बिखेर कर वायुमंडल को सुगंधित करती रहती हूँ। मैं रिश्तों में प्रेम और दोस्ती को निभाने का प्रतीक हूँ, कई प्रेम कहानियाँ मुझसे ही शुरू होती हैं। मैं कई प्रेमियों की किताबों में सूखकर उनके प्रेम की एक याद बनकर रह जाती हूँ।

मैं अपनी खूबसूरती के लिए बहुत मशहूर हूँ, मुझसे कई दवाएं बनाई जाती हैं और मेरी कलियों से कई तरह के साज-सज्जा सम्बन्धी प्रोडक्ट भी बनाए जाते हैं। मुझसे ही दुनिया भर की कई सुगन्धों का जन्म होता है।

मुझसे ही फलों की शुरुआत होती है, मैं स्वयं सूखकर दुनिया को फल दे जाती हूँ। मैं पेंड़ में लगकर पेंड़ की खूबसूरती भी बढ़ाती हूँ। मेरे गुलदस्ते बनाए जाते हैं। मैं तरह-तरह के रंगों की होती हूँ और मैं ही तमाम तरह की इत्र बनाने में इस्तेमाल होती हु। मैं महापुरुषों की तस्वीरों पर उनके सम्मान में भी अर्पित होती हूँ। मुझे गर्व है कि मैं शहीदों के गले में लगकर उनकी शोभा भी बढ़ाती हूँ।

मैं लोगों के जन्म से मृत्यु तक साथ निभाती हूँ, बच्चे के जन्म पर मुझसे घरों को सजाकर खुशियां मनाई जाती है, और बूढ़ों की मृत्यु पर मेरी मालाओं से लोगों को अंतिम विदाई दी जाती है। शादी के समय मेरी मालाओं से लोग जीवन भर एक-दूसरे के होने की शपथ भी लेते हैं।

दुनियाभर के त्यौहार मेरे बिना अधूरे हैं, शादी-बारातों में मैं मंडप सजाने के काम आती हूँ। लोग मेरी खूबसूरती देखने के लिए अपने घरों में गमले भी लगाते हैं। कवियों ने मुझ पर तमाम तरीके के कविताएं और गीत भी लिखे हैं।

मैं धार्मिक दृष्टि से भी लोगों के काम आता हूँ, मैं ईश्वर को भी बहुत पसंद हूँ, इसलिए लोग मुझे अपने आराध्य को पूरा करने के लिए भगवान की शरण में भी अर्पण करते हैं। पुराने समय से ही मेरा बहुत महत्व रहा है, मैं बहुत ही नाजुक हूँ और मैं अपनी खूबसूरती से किसी को भी आकर्षित कर सकती हूँ।

मैं कई माध्यम से लोगों के रोजगार का साधन भी हूँ, जहाँ लोग मेरा व्यापार करते हैं। कई बड़े कारखाने मुझसे ही चलते हैं। हर शहर में मैं दुकानों पर बेची जाती हूँ। बड़े शहरों में कई बाग-बगीचे बनाए जाते हैं जहाँ के पेड़ो पर मैं ही उगती हूँ।

मेरे नाम पर कई शहरों के नाम भी रखे गए है, मुझसे निकाले गए इत्र के नाम पर ऐतिहासिक शहर कन्नौज का नाम इत्रनगरी रखा गया है। पुराने समय मे लड़कियां मुझे अपने बालों में सजाती थीं, मुझसे गजरे भी बनाए जाते है जिन्हें औरते आज भी बहुत पसन्द करती है।

उपसंहार- फूल बहुत कोमल होता है, और बहुत ही खूबसूरत भी, जो स्वयं कुछ ही समय के लिए जन्म लेता है, लेकिन उतने ही दिनों में लोगों के चेहरों पर खुशियां बांटता रहता है। हमे फूलों को फिजूल में तोड़कर नही फेंकना चाहिए, फूल हमारी वीरान दुनिया की खूबसूरती में इजाफा भी बखूबी कराता हैं, इसलिए हमे फूलों को सम्मान देना चाहिए।

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दोस्तों आज हमने Phool ki Atmakatha in Hindi Essay लिखा है फूल की आत्मकथा पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है. इस लेख के माध्यम से हमने Ek Phool ki Atmakatha का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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