घोड़ा पर निबंध- Horse Essay in Hindi Language

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Ghode Par Nibandh ( Essay on Horse in Hindi ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words and 500 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.

In this article, we are providing information about Horse in Hindi. घोड़ा पर पूरी जानकारी जैसे की आकार-प्रकार, स्वभाव, खाद्य-पदार्थ, उपयोगिता, घोड़ाकी नस्लें अदि के बारे बताया गया है। 

घोड़ा पर निबंध | Horse Essay in Hindi Language

 

10 Lines Essay on Horse in Hindi ( 100 words )

घोड़ा एक पालतू पशु है।

घोड़ा सुन्दर तथा आकर्षक पशु है।

घोड़ा दो कान होते हैं जो सीधे ऊपरं की आरे खड़े होते हैं, एवं दो आँखें और एक पूँछ होती है।

घोड़ा सफेद, भूरा, चितकबरा, काला, कई रंगों का होता है।

सबसे अच्छी नस्ल के घोड़े ‘अरबी’ कहलाते हैं, जो अरब देश में पाए जाते हैं।

घोड़े का भोजन हरी घास (दूब), चारा और चने का दाना है।

घोड़ा अत्यंत बुद्धिमान पशु है।

घोड़ा बहुत धैर्यशील और शांत स्वभाव का होता है।

घोड़े सभी देशों में पाए जाते हैं, किन्तु अफ्रीका तथा एशिया में अधिक पाए जाते हैं।

घोड़े मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं।

 

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Short Horse Essay in Hindi ( 200 Words )

घोड़ा एक पालतू पशु है। इसके चार पैर होते हैं। पैरों के खुर आगे से फटे नहीं होते। इसकी पूँछ लम्बी होती है और इसके सिर पर सींग नहीं होते। घोड़े की गर्दन पर लम्बे-लम्बे बाल होते हैं, जो इसकी शोभा को बढ़ाते है।

घोड़ा सफेद, भूरा, चितकबरा, काला, कई रंगों का होता है। घोड़ों की कई जातियाँ होती हैं। इनमें अरबी घोड़े बहुत प्रसिद्ध माने जाते हैं।

घोड़े का भोजन हरी घास (दूब), चारा और चने का दाना है। यह बहुत तेज दौड़ने वाला पशु है। घोड़ा सवारी के काम आता है। यह ताँगे में और बग्घी में भी जोड़ा जाता है। पुराने समय में घोड़ा युद्ध के काम भी आता था। सैनिक और राजा लोग घोड़े पर चढ़कर ही युद्ध क्षेत्र में जाते थे। आजकल भी पुलिस में और सेना में घोड़ों का उपयोग किया जाता है। छोटा घोड़ा जिसे टटू कहते हैं, बोझा ढ़ोने के काम भी आता है।

घोड़ा एक स्वामीभक्त पशु भी है। वह अपने स्वामी को अच्छी प्रकार पहचानता है और सदा उसका विश्वासी रहता है। संकट पड़ने पर वह अपने स्वामी को बचाने की पूरी चेष्टा करता है। महाराणा प्रताप का घोड़ा ‘चेतक’ तो इतिहास में प्रसिद्ध हो चुका है। आज के रेल कार और वायुयान युग में भी उसकी उपयोगिता समाप्त नहीं हुई है। वस्तुतः वह बहुत काम का पशु है।

 

Horse Essay in Hindi in 250 with points

परिचय : घोड़ा एक पालतू चौपाया जानवर है। यह तृण-भोजी और स्तनपायी जीव है। इसका मुँह लम्बा होता है। यह बहुत मजबूत होता है। इसकी चाल बड़ी तेज होती है।

आकार : घोड़े के चार पैर, दो कान, दो आँख और एक पूँछ होती है। इसका खुर फटा नहीं होता है। इसकी आँखें बड़ी-बड़ी और चमकीली होती हैं। इसके पैर पतले लेकिन मजबूत होते हैं। इसके सींग नहीं होते। इसकी गर्दन पर लम्बे-लम्बे केश होते हैं, जिन्हें ‘अयाल’ कहते हैं। यह सफेद, काला, मटमैला और चितकबरा आदि कई रंगों के होते हैं। अरब देश के अरबी घोड़े बहुत ही सुन्दर होते हैं।

स्वभाव : घोड़े धीर, शान्त, समझदार और स्वामिभक्त होते हैं। यह खड़े-खड़े सो लेता है। दूसरे घोड़े को देखते ही यह हिनहिनाने लगता है। जंगली घोड़े झुण्ड में रहते हैं। ये भयानक होते हैं।

भोजन : घोड़े घास-पात, चना, जई, बाजरा, गेहूँ, जौ, रोटी आदि खाते हैं। चना इसका प्रिय भोजन है। यह सत्तू का घोल बड़े चाव से पीता है। शाम-सबेरे इनके गले में चना से भरी झोली लटका दी जाती है।

प्राप्ति-स्थान : घोड़े एशिया तथा अफ्रीका में अधिक संख्या में मिलते हैं । अरब, ईरान, म्यांमार (बर्मा), इंग्लैण्ड आदि देशों के घोड़े प्रसिद्ध हैं। अरब के घोड़े बड़े प्रसिद्ध होते हैं।

उपयोगिता : घोड़े बग्गी, तांगा आदि खींचते हैं। सरकस में ये खेल भी दिखाते हैं। रूस में इनसे हल खींचने का काम लिया जाता है। इनके रोवों से गद्दी बनती है। बालों से पाव-पोश बनता है। इसके खुर से गोंद बनायी जाती है। इसकी लीद दवा के काम आता है। घोड़े पर बैठकर पोलो खेल खेला जाता है। सेना में भी घोड़ों का उपयोग सैनिक करते हैं। इनके हड्डी से बेट, कंघी आदि चीजें बनायी जाती हैं। बहुत से आदमी इनके नाखुन मढ़वाकर अपने बच्चे को पहनाते हैं।

 

Ghode Par Nibandh 300 words mein

कुत्ते की भांति घोड़ा भी एक पालतू तथा अत्यंत वफादार पशु है। यह सुन्दर तथा आकर्षक पशु है। यह मुख्य रूप से सवारी के काम आता है। लोग इस पर बैठकर लम्बी-लम्बी यात्रायें किया करते थे। किन्तु आजकल के युग में पेट्रोल डीजल से चलने वाली गाड़ियों ने घोड़े की सवारी का काम कम कर दिया है। पहले लोग घोड़े की सवारी का आनन्द लिया करते थे। यह ताँगे को खींचने का काम करता है। ताँगे में बहुत सी सवारियाँ बैठ जाती हैं तथा घोड़ा उस गाड़ी को अपनी अपार शक्ति से खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है। वैसे घोड़ा अत्यंत स्वतंत्रताप्रिय पशु है। इसे कोई नियंत्रण अच्छा नहीं लगता है। किन्तु मानव जाति की सेवा के लिये इसने अपनी स्वतंत्रता का बलिदान दिया है।

घोड़ा अत्यंत शक्तिशाली पशु है। इसकी शक्ति का पता इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बड़े से बड़े इंजन की शक्ति को नापने का मानक ‘हॉर्स पॉवर’ है अर्थात् ‘घुड़शक्ति’। घोड़ा अत्यंत बुद्धिमान पशु है। यह शीघ्र ही मानव की बातों को समझकर उनके अनुसार कार्य करने लगता है। पुराने समय में ‘घुड़सवार’ सेना हुआ करती थी। घोड़े लड़ते हुये लोगों, गोले बारूद के बीच अपने मालिक का आदेश माना करते थे तथा उन्हें युद्ध में जिताने में अपना हर संभव योगदान दिया करते थे। राणा प्रताप के घोड़े ‘चेतक’ की वीरता तथा वफादारी के किस्से आज भी पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा मैदान तथा पहाड़ों पर जहाँ कोई वाहन आसानी से नहीं चल सकता वहाँ घोड़े ही सवारी तथा माल ढोने का प्रमुख साधन है। वैसे तो भारत में ही घोड़ों की अनेक अच्छी प्रजातियाँ हैं। लेकिन अरबी तथा तुर्की घोड़े संसार में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। उनकी दौड़ने की गति, शक्ति तथा सुन्दरता का कोई मुकाबला नहीं है। घोड़ों को अनेक खेलों में भी प्रयोग किया जाता है। पोलो, घुड़दौड़ में घोड़े अपने मालिक को खेल में जिताते हैं।

इस प्रकार घोड़े एक अत्यंत वफादार तथा उपयोगी पशु है। यह प्राचीन समय से ही मानव जाति की सेवा करता चला आ रहा है।

 

lines essay on horse

 

Long Essay on Horse in Hindi ( 500 to 600 words )

भूमिका

पशु-मनुष्य जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। घोड़ा एक चौपाया पालतू जानवर है। हजारों वर्ष पहले से मनुष्य के साथ इसका गहरा सम्बन्ध रहा है। घरेलू काम से लेकर युद्ध आदि में घोड़े का बहुत उपयोग रहा है। हमारे देश में राणा प्रताप का घोड़ा ‘चेतक’ अपनी वीरता और स्वामिभक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

आकार-प्रकार

घोड़ा चौपाया जानवर है। इसके दो कान होते हैं जो सीधे ऊपरं की आरे खड़े होते हैं, एवं दो आँखें और एक पूँछ होती है। इसकी गर्दन मुलायम, चिकने तथा लम्बे बालों से ढंकी रहती है, जिसे ‘आयाल’ कहते हैं। घोड़े की ऊँचाई लगभग चार-साढ़े चार हाथ तथा लम्बाई पाँच-साढ़े पाँच हाथ होती है। इसका शरीर बहुत मजबूत गठीला और सुन्दर होता है। इसकी पूँछ छोटी होती है जिसके बाल लम्बे होता है। इसकी आँखें पैनी और चमकदार होती हैं। घोड़े की टाँगें लम्बी और मजबूत होती हैं। इसके पैरों के नीचे खुर होते हैं जो फटे नहीं होते हैं। इसके सींग नहीं होते हैं। घोड़े लाल, काले, चितकबरे, मटमैले आदि कई रंगों के पाए जाते हैं।

प्राप्ति स्थान

प्रायः घोड़े सभी देशों में पाए जाते हैं, किन्तु अफ्रीका तथा एशिया में अधिक पाए जाते हैं। सबसे अच्छी नस्ल के घोड़े ‘अरबी’ कहलाते हैं, जो अरब देश में पाए जाते हैं। अरबी घोड़े मजबूत, सुन्दर, ऊँचे और तेज दौड़ने वाले होते हैं। अरबी घोड़ों के बाद तुर्की, इरान, बर्मा, स्पेन, आस्ट्रेलिया के घोड़े भी प्रसिद्ध हैं।

स्वभाव

घोड़ा बहुत धैर्यशील और शांत स्वभाव का होता है। यह बहुत साहसी और शक्तिशाली होता है। वह अपने मालिक को बहुत मानता है। उसमें देखने, सुनने और सूंघने की अद्भुत शक्ति होती है। थोड़ी-सी आहट सुनने पर वह चौकन्ना हो जाता है। अगर उसका स्वामी असजग है, तो वह हिनाहिनाकर उसे सजग कर देता है। यह बहुत समझदार पशु है। कोई-कोई घोड़ा काटते और लात मारते हैं। यह खड़े-खड़े सो लेता है।

उपयोगिता

प्राचीन काल में घोड़ों का प्रयोग युद्ध के लिए किया जाता था। कहीं कहीं यह क्रम आज भी चल रहा है। हर देश में आज भी घुड़सवार सेना का महत्व है। इसके अलावा सामंत और अमीर लोग घुड़सवारी को अपनी प्रतिष्ठा की बात मानते थे। आज घोड़ों का वह महत्व नहीं रहा। अब इक्का गाड़ियों और घोड़ा गाड़ियों में घोड़ों को जोतकर उनसे सवारी ढोने का काम लिया जा रहा है। ये शिकार खेलने में भी – सहयोग देते हैं। कहीं-कहीं लोग घोड़े के मांस भी खाते हैं। अनेक देशों के लोग घोड़ी का दूध पीते हैं। घोड़े के बालों से अनेक उपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। घोड़े की चरबी से साबुन तथा इसकी हड्डियों से कलम, बटन, बेंट, कंघी आदि जैसी उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। घुड़दौड़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन हैं। पोलो-खेल घोड़ों की पीठ पर बैठकर खेला जाता है। रेस की दौड़ और सर्कस के खेल में घोड़े अद्भुत करिश्मा दिखाते हैं। कहने का अर्थ यह है कि प्राचीन काल से आधुनिक काल तक घोड़े मनुष्य के लिए कई प्रकार से उपयोगी रहे हैं और हैं।

उपसंहार

घोड़े मनुष्य के लिए ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। भारत तथा अन्य देशों में अनेक ऐसे घोड़ों का उल्लेख पाया जाता है, जो अपनी वीरता, साहस और स्वामिभक्ति के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। नेपोलियन, राणाप्रताप, सिकन्दर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के घोड़े अपनी वीरता और स्वामिभक्ति के लिए उल्लेखनीय हैं। कहने का अर्थ यह है कि घोड़े मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। मशीन युग में यद्यपि यंत्र का महत्व बढ़ गया है, किन्तु घोड़े आज भी अपनी समझदारी और स्वामिभक्ति के कारण महत्वपूर्ण हैं।

 

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