In this article, we are providing an Essay on Sainik ki Atmakatha in Hindi एक सैनिक की आत्मकथा निबंध हिंदी | Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For Students. Sainik ki Atmakatha Hindi Nibandh
सैनिक की आत्मकथा पर निबंध- Essay on Sainik ki Atmakatha in Hindi
Ek Sainik Ki Atmakatha Nibandh
प्रस्तावना
एक सैनिक, जो हमारी सुरक्षा के लिए अपने घर और सुविधाओं से दूर, अपनों से दूर रहता है ताकि हम सब अपने-अपने घरों में आराम से रह सकें। सैनिक होना आसान नहीं है, एक सैनिक अपने कर्तव्य के लिए अपनी इच्छाओं का गला घोंट लेता है। चलिए आज आपको भारतीय सैनिक की आत्मकथा बताते हैं।
मैं भारतीय सेना का एक सैनिक हूँ, मुझे भारतीय सेना के सैनिक होने पर गर्व है, मैं लंबें, चौड़े शरीर का हूँ, मेरी खाकी और मेरे कंधों पर लगे सितारे मुझे देश की जिम्मेदारी का सदैव आभाष कराता रहता है। मेरा जीवन बहुत संघर्षों से गुजरता है, फिर भी युवाओं में भारतीय सेना में जाने के लिए जो लगाव है वो अपने आप में गौरव की बात है।
एक सैनिक बचपन से ही कठिन परिश्रम कर अपने आप को भारतीय सेना के लिए तैयार करता है, वैसे तो लाखों युवा भारतीय सेना में सैनिक बनने के लिए लालायित रहते हैं लेकिन कुछ जरुरी परीक्षाओं और शारीरिक मापदंडों के बाद बहुत कम लोग ही सैनिक बन पाते हैं।
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सैनिक बनने के बाद मेरे जीवन में रिश्तों और भावनाओं से ज्यादा देश महत्वपूर्ण हो जाता है। जहां मैं देश के लिए हमेशा अपने प्राण तक न्योछावर करने के लिए तैयार रहता है।
मेरे सीने में भी दिल है मुझे भी फिक्र रहती है घर की, मुझे भी याद आता है माँ के हाथ का खाना, मुझे भी किसी स्त्री से प्रेम होना उतना ही स्वाभाविक है जितना किसी आम आदमी को। लेकिन मैं इन सब को त्याग कर देश को सर्वोपरि रखता हूँ, तभी मैं सैनिक कहलाता हूँ।
मेरी वेष-भूषा अपने आप में बहुत आकर्षित होती है, जिसके लिए जाने कितने युवा आज भी दिन रात मेहनत कर सैनिक बनना चाहते हैं। सैनिक होना अपने आप में एक सम्मान का पात्र है। मैं एक किसान के जैसे बिना दिन, दोपहरी, या रात देखे अपने काम के लिए तैयार रहता हूँ, और बहुत ही ईमानदारी से अपना कार्य करता हूँ।
कई बार सर्दी इतनी बढ़ जाती है कि आम आदमी घर से निकलना तक छोंड़ देता है, लेकिन मैं बिना किसी परवाह के अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाता हूँ। बर्फीले इलाके में मुझ पर बर्फ भी पड़ती रहती है। फिर भी मैं अपने कदम नही हिलाता और डटा रहता हूँ अपने कर्तव्य पथ पर।
मैं 50 ℃ तापमान में भी बिल्कुल वैसे ही खड़ा रहता हूँ जैसा मैं – 50 ℃ तापमान में खड़ा रहता हूँ। चाहे वर्षा आए या तूफान मेरे कदम हिलाना उनके बस की बात नही।
कुछ दिनों की छुट्टी लेकर जब मैं घर जाता हूँ, तब भी मुझे फिक्र लगी रहती है अपने देश की और अपने देश के नागरिकों की। मैं किसी भी धर्म के लिए नही लड़ता, मैं पूरे देश के लिए अपनी जान न्यौछाबर करता हूँ, मेरा धर्म सिर्फ इंसानियत है।
मैं युद्धों में लड़कर जीतता हूँ और कभी तो जीतते-जीतते अपने प्राणों की बाजी भी लगा देता हूँ। लेकिन कभी भी अपने देश या अपने तिरंगे पर आंच नही आने देता। मुझे मैडल मिलते हैं जो मेरी बहादुरी का इनाम होते हैं। इन मेडलों को पाकर मैं बहुत खुश होता हूँ, क्योंकि ये मेडल मेरे जीवन भर की कमाई होते हैं।
मैं कभी भी मरता नही हूँ, मैं सदैव लोगों के दिलों में जिंदा रहता हूँ, मैं सिर्फ शहीद होता हूँ, मेरी शहादत पर पूरा देश आंसू बहाता है और मुझे अंतिम प्रणाम देती है।
मैं कुछ पलों के लिए अपनी शहादत भूलकर लोगों के प्रेम को स्वीकार करता हूँ और चल देता हूँ तिरंगे से बने कफ़न में लिपटकर। किसी भी सैनिक के लिए तिरंगे में लिपटकर जाना, मां की गोद में बैठने जैसा होता है।
उपसंहार
एक सैनिक का जीवन, आम जीवन से बहुत अलग होता है, सैनिक हमेशा ही अपने अनुशासन में रहना है चाहे वह ड्यूटी पर हो या छुट्टी पर। लोगों को सैनिकों को रिस्पेक्ट देनी चाहिए क्योंकि वो जो भी करते हैं हमारी सुरक्षा के लिए ही करते हैं, सैनिक कभी अपने परिवार के साथ त्यौहार भी नहीं मना पाते हैं इसलिए कहते हैं – सैनिक होना इतना आसान नही है।
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दोस्तों इस लेख के ऊपर Sainik ki atmakatha (सैनिक की आत्मकथा) आपके क्या विचार है और क्या आपके घर में से कोई भारतीय सेना में है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।
‘सैनिक की आत्मकथा’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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