सुबह की सैर पर निबंध- Morning Walk Essay in Hindi

In this article, we are providing an Morning Walk Essay in Hindi सुबह की सैर पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 150. 200, 300, 500, 800 words For Students. Subah ki Sair Par Nibandh

सुबह की सैर पर निबंध- Morning Walk Essay in Hindi

 

( Essay-1 ) मॉर्निंग वॉक पर निबंध- Short Essay on Morning walk in Hindi ( 150 words )

प्रात:काल सैर के लिए श्रेष्ठ है। इस समय वातावरण शांत, ताजा और स्फूर्तिदायक होता है। इस समय जो स्वच्छ हवा मिलती है वह किसी अन्य समय नहीं। सूर्योदय का समय कई दृष्टियों से श्रेष्ठ होता है। प्रकृति में नवजागरण और पक्षियों के कलरव के कारण इस समय एक मनमोहक छटा सर्वत्र बिखरी रहती है।

प्रात: घूमने या सैर करने से अनेक लाभ हैं। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। मन-मस्तिष्क को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है और नई चेतना का संचार होता है। इस समय किया गया व्यायाम बड़ा लाभदायक रहता है। अन्य बातों के अतिरिक्त इस समय घूमने-फिरने से पाचनशक्ति अच्छी रहती है, स्मरणशक्ति बढ़ती है।

इस समय लोगों को पार्क, उद्यान, जंगल, नदी तट या किसी खुले प्राकृतिक स्थान में स्वास्थ्य लाभ करते देखा जा सकता है। कोई दौड़ लगा रहा होता है, तो कोई व्यायाम करता, कोई योगासान करता। कुछ लोग बैडमिंटन आदि खेल रहे होते हैं, तो कुछ अन्य फुटबाल या कबड्डी।

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( Essay-2 ) प्रात:काल सैर पर निबंध- Morning Walk Essay in Hindi ( 300 words )

आज के संघर्षमय जीवन में कई रोगों ने जन्म लिया है। उन रोगों को दूर करने के लिए कई दवाइयाँ भी बनाई गई हैं। एक निर्धन व्यक्ति के लिए कीमती दवाइयाँ खरीदना आसान नहीं है। अतः स्वस्थ रहने के लिए हमें दवाइयों पर निर्भर न रह कर प्राकृतिक साधनों पर निर्भर रहना चाहिए। प्रातःकाल का भ्रमण स्वस्थ रहने के लिए एक उत्तम साधन माना गया है।

गाँधी जी ने भ्रमण या चलने को व्यायाम का राजा कहा है। प्रातःकाल का भ्रमण तो स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त ही लाभदायक होता है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। सुचारू रूप से रक्त संचार होता है। पसीना आने से रोग दूर भाग जाते हैं। शरीर में स्फूर्ति आती है। शुद्ध और ताजा वायु मिलने से ही टी. बी. के रोगी के फेफड़े भी ठीक होने लगते हैं। मन प्रसन्न हो जाता है। सारा दिन काम करने पर भी थकावट नहीं होती । नंगे पैरों से ओस की बूँदों पर चलने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आत्मा प्रसन्न होती है और विशेष प्रकार के आनन्द की अनुभूति होती है।

मैं एक विद्यार्थी हूँ। प्रतिदिन प्रातः पाँच बजे उठता हूँ। शौचादि से निवृत्त होकर मैं बाग में सैर करने को जाता हूँ। मार्ग में खेतों की ठंडी वायु का सेवन करते हुए उपवन में घूमता हूँ। सुन्दर-सुन्दर रंग-बिरंगे फूल, पेड़ों पर चढ़ती लताएँ, पेड़ों पर मधुर गीत गाते पक्षी और इधर-उधर घूमते पशुओं को देखकर मन आनन्द विभोर हो जाता है। मैं छः बजे घर लौट आता हूँ।

स्वास्थ्य एक उत्तम धन है। इससे ही हम संसार की वस्तुओं का आनन्द भोग सकते हैं और सौ वर्ष तक जी सकते हैं। अतः स्वस्थ रहने के लिए सबसे उत्तम व्यायाम भ्रमण हमें अवश्य करना चाहिए। यह नित्यप्रति प्रातः काल खुली हवा में करना चाहिए। सब चिंताओं को छोड़कर तीव्र गति से ही भ्रमण करना चाहिए। व्यायाम के बाद हम पौष्टिक आहार ले सकते हैं।

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( Essay-3 ) सुबह की सैर पर निबंध – Subah ki Sair Par Nibandh | Essay ( 350 words )

मनुष्य संसार में जितने भी कार्य करता है, उन सब का पहला साधन शरीर ही है। स्वस्थ शरीर से ही मशीन चलाई जा सकती है, पढ़ाई होती है, शासन चलाया जाता है और दुकानदारी होती है। भगवान् की भक्ति भी स्वस्थ शरीर से ही होती है । शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेक साधनों में प्रातः भ्रमण एक सरल और उपयोगी साधन है । प्रातः भ्रमण एक प्रकार का व्यायाम ही है। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है, मन प्रसन्न होता है और मस्तिष्क भी शान्त तथा नव चेतना से भर जाता है ।

जब रात बीतने लगती है, उषा के स्वागत के लिए पक्षी कलरव करने लगते हैं; कलियाँ खिलने लगती हैं और उन पर भरे मधुर गुञ्जार करने लगते हैं; शीतल, मन्द, सुगन्ध वायु चलने लगती है, वह समय प्रातः भ्रमण के लिए सर्वथा उपयोगी होता है। निद्रा को त्याग कर उस सुन्दर बेला में सैर के लिए निकल जाना चाहिए ।

प्रातः काल की सैर के लिए सबसे उपयोगी स्थान कोई वन, उपवन या नदी का तट होता है। किसी खुली सड़क पर भी, जिसके दोनों ओर हरे-भरे वृक्ष लगे हों या किसी खुले मैदान में भी प्रातः भ्रमण किया जा सकता है। प्रकृति के भव्य दर्शन इन्हीं स्थानों पर होते हैं। उसकी मधुर लालिमा, पक्षियों का कलरव, पुष्पों की सुगन्ध, मन्द और शीतल वायु का स्पर्श, हरी घास पर मोती सी चमकती ओस की बूँदों के दर्शन हमें प्रातः काल के भ्रमण में ही होते हैं।

प्रातः भ्रमण स्वास्थ्य के लिए सब से अच्छी औषधि है। इस से शरीर में स्फूर्ति आती है, आलस्य दूर भागता है, मन प्रसन्न होता है। मन काम करने में लगता है तथा उसमें नये तथा पवित्र विचारों का उदय होता है। नित्य नियमपूर्वक प्रातः भ्रमण करने वाला व्यक्ति कभी अस्वस्थ नहीं हो सकता। छात्रों, अध्यापकों, साहित्यकारों, वैज्ञानिकों आदि मस्तिष्क से काम करने वालों के लिए तो प्रातः काल की सैर वरदान है। प्रातः काल की सैर लम्बे-लम्बे कदमों से करनी चाहिए और हाथ आगे-पीछे हिलाते रहना चाहिए। इससे शरीर का अच्छा व्यायाम हो जाता है। सैर करते समय मुँह बन्द रखना चाहिए और श्वास नाक से लेना चाहिए। इससे नसों में रक्त का संचार ठीक प्रकार से होता है और मुख पर कान्ति छा जाती है।

अतः स्वास्थ्य प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों को नित्य नियमपूर्वक प्रातः भ्रमण अवश्य करना चाहिए।

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( Essay-4 ) सुबह की सैर पर निबंध- Morning Walk Essay in Hindi ( 400 words )

संसार में सभी मनुष्य स्वस्थ रहते हुए सौ वर्ष तक जीने की कामना करते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए मनुष्य अनेक प्रकार के व्यायाम करता है। व्यायाम के लिए साधनों को इकट्ठा करने में मनुष्य को थोड़े बहुत घन की भी आवश्यकता पड़ती है। अतः निर्धन व्यक्ति धन के बिना कुछ भी नहीं कर सकता। पर ईश्वर की कृपा से प्रातः काल का समय मनुष्य को उपहार के रूप में प्राप्त है। उसमें भ्रमण करने मात्र से ही पूरा व्यायाम हो जाता है और खर्च भी कुछ नहीं होता।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रातः काल का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। भ्रमण के आनन्द का लाभ उठाने के लिए हमें सूर्य उदय होने से पहले उठना चाहिए। नित्य नियम की शौचादि क्रियाओं से निवृत्त होकर, स्वच्छ जल से मुख और आँखों को धोकर बाहर निकल जाना चाहिए। यद्यपि प्रातः काल के भ्रमण के लिए कोई भी स्थान उपयुक्त होता है, फिर भी बगीचे और छोटी-छोटी पहाड़ियां अधिक लाभदायक हैं। बगीचे में खिले हुए रंग-बिरंगे फूल नेत्रों और मन के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं।

भ्रमण करने से मनुष्य को आनन्द की प्राप्ति होती है। उसकी आत्मा प्रसन्न होती है। और उसका पूर्ण विकास होता है। अंत:करण निर्मल हो जाता है। शरीर में चुस्ती आ जाती है । प्रत्येक अंग के हिलने-जुलने से उनका भी पूरा व्यायाम हो जाता है। चेहरा प्रसन्न तथा तेजमय हो उठता है। मांसपेशियां बलिष्ठ और पुष्ट हो जाती हैं। शुद्ध रक्त का संचार होता है । नंगे पैरों से ओस की बूँदों पर चलने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है ।

प्रातः कालीन भ्रमण विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी है। भ्रमण करने से उनका मस्तिष्क हल्का और ताजा हो जाता है। वे जो भी विषय पढ़ते हैं, उन्हें अच्छी तरह से याद हो जाता है। उनके मस्तिष्क की थकावट दूर हो जाती है और उसे नई चेतना प्राप्त होती है।

भ्रमण करते समय मनुष्य को निश्चिन्त होकर भ्रमण करना चाहिए। किसी प्रकार की चिन्ता को मन में स्थान नहीं देना चाहिए क्योंकि चिंता से भ्रमण का आनन्द जाता रहता है। भ्रमण के समय मुँह को बंद रखना चाहिए और नाक से लम्बे-लम्बे सांस लेने चाहिएं।

अतः यदि हम चाहते हैं कि जीवन में कभी भी औषधियों का सेवन न करना पड़े, यदि हम चाहते हैं कि कभी भी अस्वस्थ न हों, यदि हम प्रकृति के सौन्दर्य का पूर्ण आनन्द उठाना चाहते हैं, यदि सौ वर्ष का स्वस्थ और प्रसन्न जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो हमें प्रातः कालीन भ्रमण अवश्य करना चाहिए।

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( Essay-5 ) सुबह की सैर पर निबंध- Morning Walk Essay in Hindi ( 450 to 500 words )

प्रातः काल मनुष्य को ईश्वर का अनुपम उपहार है। हमारे देश में प्रातः काल को ‘ब्रह्म मुहूर्त’ कहते हैं। प्रातःकाल सैर करने से पूरा व्यायाम हो जाता है तथा कुछ खर्च भी नहीं करना पड़ता जबकि व्यायाम के अन्य साधनों में कुछ न कुछ खर्चा अवश्य होता है। धनी-निर्धन, बूढ़े- बच्चे, स्त्री-पुरुष सभी प्रातः भ्रमण कर इससे लाभ उठा सकते हैं। 24 घण्टों के रात-दिन में प्रातः काल को सबसे अधिक शान्त, सबसे अधिक पवित्र माना गया है। प्रातःकाल घास पर, फूलों – पत्तों पर पड़ी ओस की बूँदें मोतियों का भ्रम पैदा करती हैं। प्रातःकाल आकाश में उगते सूर्य का दृश्य बड़ा मनमोहक होता है। मन्द सुगन्ध वायु बहती है। सचमुच प्रातः काल का समय सैर के लिए बहुत ही अच्छा है।

प्रातः कालीन भ्रमण स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को बढ़ाता है तथा रोगी को स्वस्थ बनाने में सहायक होता है। वास्तव में प्रातः भ्रमण बीमारों के लिए रामबाण है, संजीवनी बूटी है। प्राकृतिक चिकित्सा में अनेक रोगों के लिए प्रातः भ्रमण की सलाह दी जाती हैं। टी० बी० के रोगियों को प्रातः भ्रमण से बहुत लाभ होता है। वजन घटाने के लिए भी प्रातः भ्रमण की सलाह दी जाती है।

प्रातःकाल भ्रमण के लिए बाग बगीचा तथा नदी का तट बहुत ही अच्छा माना जाता है। पत्तों की हरियाली आँखों को शीतलता प्रदान करती है। खिले फूलों को देखकर मानव मन भी खिल उठता है। इस समय घास पर नंगे पैर घूमने से आँखों की ज्योति बढ़ती है। नदी तट की शीतल स्वच्छ वायु तन-मन के ताप को दूर करती है। पानी में उठती लहरें मन को मोह लेती हैं। उदासी और थकावट जाती रहती हैं।

विद्यार्थियों के लिए तो प्रातः कालीन भ्रमण विशेष रूप से उपयोगी है। सुबह सैर करने वाले विद्यार्थियों का मस्तिष्क ताजा हो जाता है। उनकी स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। वे अपने पाठ को आसानी से याद कर लेते हैं। प्रातःकाल खुली हवा में घूमते समय मन में किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रखनी चाहिए। चिन्ता से घूमने का आनन्द ही जाता रहता है। घूमते समय मुँह बन्द करके धीरे-धीरे चलना चाहिए।

गांधी जी घूमने को विशेष महत्त्व देते थे। वे नियमित रूप से प्रातःकाल भ्रमण को जाते थे। उनका कहना था कि प्रातः कालीन भ्रमण के कारण ही मैं सदा स्वस्थ रहा तथा अपने दिनभर के कार्य स्फूर्ति के साथ करता रहा। जो व्यक्ति प्रातःकाल घूमने के लिए नहीं जाते, सोते रहते हैं वे आलसी तथा सुस्त हो जाते हैं ऐसे लोग ही दुःखी तथा रोगी रहते हैं। अतः हमें नियमपूर्वक प्रतिदिन प्रात:काल भ्रमण के लिए जाना चाहिए। इसे अपनी दिनचर्या का एक आवश्यक अंग बना लेना चाहिए।

 

( Essay-6 ) सुबह की सैर पर निबंध- Essay on Morning Walk in Hindi with points ( 500 words )

प्रातः की सैर सबके लिए लाभदायक

प्रातः की सैर से बढ़कर कुछ भी नहीं। इससे हमारा मस्तिष्क तरो-ताजा तथा शरीर स्वस्थ रहता है। यह एक तरह से हल्का व्यायाम है और इसे हर कोई कर सकता है। युवा, स्त्री, पुरुष, वृद्ध और बच्चे-सभी प्रातःकालीन सैर का आनन्द ले सकते हैं। यह सभी के लिए लाभदायक है। सुबह के समय वायु ताजा, वातावरण शान्त तथा स्वच्छ होता है। यह सैर के लिए सबसे उत्तम समय होता है। सुबह की सैर मन-मस्तिष्क को ताजगी प्रदान करती है। प्रातः के समय हमारे फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। यह हमें ऊर्जावान्, सक्रिय तथा चुस्त-दुरुस्त रखती है। डॉक्टर भी अपने रोगियों/मरीजों को प्रातः सैर की सलाह देते हैं।

प्रातः वातावरण शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक

शहर तथा महानगरों में वहाँ के लोग प्रातः सैर के लिए पार्क, बाग-बगीचों तथा खुले स्थानों पर जाते हैं। वे वहाँ दौड़ते हैं, टहलते हैं और दूसरे तरह के हल्के व्यायाम करते हैं। वे सड़कों के किनारे-किनारे लम्बी सैर पर निकल जाते हैं। प्रात:काल में सड़कों पर ट्रैफिक नहीं होता है। यही वह समय होता है जब व्यक्ति साफ-शुद्ध हवा का सेवन कर सकता है। प्रात:काल में सूर्य नारायण का उदित होना, चिड़ियों का चहचहाना तथा सुहाना मौसम – ये सब मन को आह्लादित कर देते हैं।

प्रकृति का मनोरम रूप

गाँवों में प्रात: के समय नदी नहरों के किनारे सैर के लिए जा सकते हैं। वहाँ पर तो विस्तृत हरे-भरे खेत फैले हुए हैं। जो गाँव या शहर समुद्र के किनारे बसे हैं, वहाँ के लोग प्रातः की सैर के लिए समुद्र के तरी वाले क्षेत्र में जाते हैं। यहाँ प्रकृति बड़ा मनोहारी दृश्य उपस्थित करती है। यहाँ प्रात: के समय सूर्य का उगना, समुद्र की लहरों पर नृत्य करती सूर्य की रश्मियाँ, पक्षियों का उड़ना और उनका कलरव, रंग-बिरंगे सुगन्धित पुष्प तथा हरी-हरी घास आदि मिलकर अलौकिक दृश्य उपस्थित करते हैं। गाँवों में किसान प्रातः ही अपने खेतों की ओर निकल पड़ते हैं। समुद्री क्षेत्र के लोग प्रातः ही समुद्र में मछली पकड़ने के लिए निकल जाते हैं और प्रातः से ही काम में व्यस्त हो जाते हैं।

प्रातः सैर के लाभ

हम सबको प्रातः उठकर सैर पर जाने की आदत डालनी चाहिए। जो लोग तनाव ग्रस्त रहते हैं, हृदय के रोगी और अन्य दूसरे रोगों से ग्रस्त हैं- उनके लिए प्रात: की सैर बहुत लाभदायक है। चिकित्सक तथा विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रातः की सैर से तनाव तथा हृदय रोग ठीक हो सकते हैं। यह उन लोगों के लिए भी जरूरी है जो स्वस्थ और नीरोग हैं, वे अपने आपको और अधिक स्वस्थ तथा मजबूत बना सकते हैं। कुल मिलाकर प्रातः की सैर सभी रोगों में औषधि का काम करती है।

जल्दी सोना और जल्दी जागना

हम सबको एक दिन के लिए भी प्रातः भ्रमण को छोड़ना नहीं चाहिए। उन लोगों के लिए प्रातः जल्दी उठना उतना सम्भव और आसान नहीं, जो देर रात को काम पर से लौटते हैं। लेकिन शेष अन्य लोगों को प्रात: सैर पर अवश्य जाना चाहिए। ‘जल्दी सोना-जल्दी जागना’ यह नियम बड़ा ही उपयोगी है। हम सबको इसका पालन अवश्य करना चाहिए

 

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सुबह की सैर‘ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

सुबह की सैर निबंध

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