आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh | Essay

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh | Essay

 

आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi  (200 words )

जो विद्या प्राप्त करना चाहता है, वह विद्यार्थी है । आदर्श विद्यार्थी किसी चरित्रवान् व्यक्ति से अच्छी बातें सीखता है । वह उत्तम स्वभाव वाला होता है । उसके हृदय में सेवा का भाव रहता है । वह अच्छे गुण ग्रहण करता है । वह अवगुण छोड़ देता है । वह विनम्र, आज्ञाकारी, स्थिर स्वभाव वाला होता है । वह शांत चित्त से अध्यापकों के उपदेश सुनता है । वह खूब मनन करता है । वह मन को संयमित रखता है । वह खूब मेहनत करता है।

वह सरलता, सादगी, स्वच्छता, पवित्रता आदि अच्छे गुणों पर अधिक ध्यान देता है। वह पढ़ने-लिखने में निष्ठा रखता है । वह शारीरिक श्रम भी करता है । वह व्यायाम करता है।

वह अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहता है। अनुशासन उसका अभिन्न अंग होता है। वह अपने माँ-बाप, अध्यापक आदि का आदर करता है। वह महान् नेताओं की जीवनियाँ पढ़ता है। वह उनसे प्रेरणा प्राप्त करता है। वह समय का सदुपयोग करता है । वह छोटे-से-छोटा और बड़े-से-बड़ा काम करने में संकोच नहीं करता।

महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अम्बेदकर आदि महान् पुरुष आदर्श विद्यार्थी थे। इसलिए वे भविष्य में देश के नेता बन गये।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh ( 250 words )

जिसके मन में ज्ञान प्राप्त करने की लालसा है, वे ही सच्चे अर्थों में छात्र या विद्यार्थी हैं। छात्रों को विद्या प्राप्ति के रास्ते में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस काम में सफलता पाने के लिए उनमें कुछ विशेष गुणों की आवश्यकता होती है।

छात्रों का सबसे पहला गुण है अपनी पढ़ाई-लिखाई के प्रति रुचि रखना । बिना रुचि के स्थाई ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। गुरुजनों एवं शिक्षकों के प्रति विनय-भाव रखना छात्रों का दूसरा अनिवार्य गुण है ।

अध्ययनशील छात्र विनयी होते हैं। जो विनयी होगा वह अनुशासनहीन नहीं हो सकता । अनुशासन का शाब्दिक अर्थ कठोर बन्धन नहीं है। यह तो सबकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाये गये नियमों का पालन है।

छात्रों में अच्छे-बुरे की पहचान कर पाने का विवेक होना आवश्यक है। मनुष्य यह कुछ तो जन्म से पाता है और कुछ अच्छे अनुशासन में सीख जाता है। भले-बुरे का ज्ञान हो जाने पर छात्र समय जैसी बहुमूल्य वस्तु का सदुपयोग सीख पाते हैं। ये जान जाते हैं कि बीता समय लौटकर नहीं आ सकता। विद्यार्थी का एक-एक क्षण अमूल्य निधि है।

धैर्य और सहनशीलता छात्रों का एक और आवश्यक गुण है। छात्रों के जीवन में ऐसे बहुत से क्षण आते हैं, जब उन्हें अपना भविष्य दिखाई नहीं देता या अब तक का सारा परिश्रम व्यर्थ लगने लगता है; परन्तु धीरज का सहारा लेकर आदर्श छात्र अपना प्रयत्न जारी रखता है। वह अपनी चेष्टाओं से नहीं डिगता और उच्च कोटि की सफलता प्राप्त करता है। आदर्श छात्र ही आदर्श मनुष्य बनता है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Essay on Ideal Student in Hindi ( 300 words )

आज का विद्यार्थी ही कल का राष्ट्र-निर्माता है। अतः देश के प्रत्येक विद्यार्थी का जीवन आरम्भ से ही आदर्शपूर्ण होना चाहिए। आदर्श क्या है ? आदर्श विद्यार्थी किसे कहते हैं ? इसके उत्तर में कहा जा सकता है कि जिन श्रेष्ठ गुणों के कारण समाज का निर्माण होता है और जिन सात्विक गुणों का समाज में आदर होता है, उनके समूह को ही आदर्श कहते हैं। इसी प्रकार सुशील, विनम्र, आज्ञाकारी, अनुशासन प्रिय, अध्ययनशील, सदाचारी विद्यार्थी आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।

आदर्श विद्यार्थी में अनेक गुण होने चाहिए। आदर्श छात्र का पहला गुण सुशीलता और सच्चरित्रता है। समाज में उसी व्यक्ति को आदर मिलता है, जो सुशील और सच्चरित्र हो। विद्वान् या धनवान् होने पर भी यदि कोई चरित्रहीन है तो उसे कोई आदर नहीं देता।

आदर्श छात्र का दूसरा गुण नम्रता व अनुशासन प्रियता है। नम्रता से व्यक्ति अनेक सद्गुणों को सीखता है। अनुशासन और आज्ञाकारिता के गुण नम्रता के साथ ही स्वाभाविक रूप से आ जाते हैं। गुरुजनों की सेवा भी आदर्श विद्यार्थी का उत्तम गुण है।

एक आदर्श छात्र में संयम का होना भी आवश्यक है। संयम से छात्र में एकाग्रता आती है। विद्यार्थी को स्वाद में, बनाव-शृंगार में, मनोरंजन में (सिनेमा आदि में), क्रोध में संयम से काम लेना चाहिए।

नियमितता आदर्श छात्र का अन्य गुण है। उसे अपना प्रत्येक कार्यअध्ययन, भोजन, खेल-कूद और निद्रा—नियमित समय पर ही करना चाहिए।

आदर्श छात्र को कुसंगति से बचना चाहिए और सुसंगति अपनानी चाहिए। उसे अपने सहपाठियों के हित के लिए तत्पर रहना चाहिए और उनके प्रति स्नेह-भाव रखना चाहिए।

‘सादा जीवन और उच्च विचार’ एक आदर्श छात्र का सिद्धान्त होना चाहिए। इसी प्रकार उसे स्वावलम्बी भी होना चाहिए; अपना प्रत्येक कार्य उसे स्वयं ही करना चाहिए। आदर्श छात्र का सबसे बड़ा गुण विद्या ग्रहण करना है। उसे अपना अधिक समय विद्याध्ययन में ही लगाना चाहिए। उक्त गुणों के अतिरिक्त मधुर भाषण करना, सत्य बोलना, गुण ग्रहण करने के लिए तत्पर रहना आदर्श छात्र के अन्य गुण हैं। इनसे ही वह सम्मान तथा सफलता प्राप्त करता है।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Chatra Par Nibandh ( 400 words )

रूपरेखा-1. भूमिका, 2. पुरातन काल में जीवन का विभाजन, 3. आदर्श विद्यार्थी के कर्त्तव्य, 4. उपसंहार ।

विद्या मानव मन को प्रकाशित करने वाला अत्युत्तम साधन है | इस साधन की प्राप्ति का एक विशेष समय होता है, एक अवस्था होती है । यह विद्यार्थी जीवन कहलाती है। विद्या का इच्छुक विद्यार्थी कहलाता है । जो विद्यार्थी इस समय में अपने आदर्शों एवं गुणों को स्थिर रखता है, वह आदर्श विद्यार्थी कहलाता है।

पुरातन काल में मानव जीवन बड़ा ही व्यवस्थित था । वह चार आश्रमों में । विभाजित था। पहला आश्रम ‘ब्रह्मचर्याश्रम कहलाता था । इसमें विद्यार्थी 25 वर्ष तक विविध प्रकार की शिक्षा गुरुकलों में रहकर ग्रहण किया करता था। वहां का वातावरण इतना शुद्ध और सुन्दर होता था कि विद्यार्थी के जीवन में सद् भावनाओं, सदाचार, संयम और पारस्परिक स्नेह का संचार हो जाता था। इस काल में आदर्श विद्यार्थी वह कहलाता था, जिसमें कौवे की चेष्टा, बगुले का सा ध्यान, कुत्ते की सी निद्रा, अल्पाहार करने और घर से दूर रहने की आदत हो ।

आज के युग में परिस्थितियों के परिवर्तन के साथ-साथ शिक्षा पद्धति में भी परिवर्तन आ गया है । गुरुकलों और आश्रमों के स्थान पर विद्यालय और महाविद्यालय बन चुके हैं। इनमें निकला हुआ उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी ही आदर्श विद्यार्थी कहलाता है। आजे का आदर्श विद्यार्थी वह है जो शिक्षण संस्था कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेता हो और अपने संगी साथियों में नेता के नाम से प्रसिद्ध हो । अनेक प्रतियोगिताओं में पुरस्कार विजेता हो । अपने संभाषण से दूसरे को यथाशीघ्र प्रभावित कर सकता हो । खेल-कूद में भी चैम्पियन हो भले ही सद् भावनाओं, सदाचार, विनय, सादगी, गुरुभक्ति आदि गुणों से दूर हो ।

कुछ भी हो पीतल में स्वर्ण की क्षमता नहीं आ सकती। स्वर्ण तो स्वर्ण ही होता है । पीतल अग्नि को नहीं सहन कर सकता जबकि स्वर्ण के लिए वही अग्नि उसकी कसौटी है। आज के युग के आदर्श विद्यार्थी पीतल की सी ही चमक-दमक रखते हैं। उनके जीवन का प्रसाद बालू की दीवारों के सहारे खड़ा है। कुछ समय के लिए वे बेशक किसी को भी प्रभावित कर लेते हों, पर उसमें स्थिरता नहीं ला सकते; जबकि आदर्श विद्यार्थी कुन्दन की तरह होता है । सद् व्यवहार, विनय, शील, संयम, ब्रह्मचर्य, नियमितता, सत्यता और ईमानदारी से उसका जीवन ओत-प्रोत होता है। उसके जीवन की सीमा मर्यादित होती है। और विद्या का वर्णन करना ही उसकी साधना होती है। वास्तव में आदर्श विद्यार्थी का जीवन दूसरों के लिए एक आदर्श होता है ।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध- Adarsh Vidyarthi Par Nibandh ( 500 words )

1. आदर्श विद्यार्थी कौन?
2. बुद्धिमान होना, न कि किताबी कीड़ा।
3. मेहनती, अनुशासनप्रिय एवं हँसमुख।
4. खेल-कूद तथा पढ़ाई में बराबर तारतम्य।
5. उसके उद्देश्य, उसका व्यक्तित्व।
6. निर्भीक, उत्तरदायी, कर्तव्यनिष्ठ।

आदर्श विद्यार्थी कौन है? कुछ लोग सोचते हैं कि जो छात्र मेधावी तथा सफल छात्रों में सर्वोपरि है, वही आदर्श विद्यार्थी है। लेकिन यह सोचना बिल्कुल गलत है। पढ़ाई में तेज और मेधावी छात्र पचास प्रतिशत तक आदर्श विद्यार्थी हो सकता है। मेधावी छात्र अपने आपको सबसे श्रेष्ठ दिखाने की चेष्टा करता है। कभी-कभी बुद्धिमान् विद्यार्थी भी एक किताबी-कीड़ा बनकर रह जाता है। लेकिन एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा परिश्रमी, उदार तथा सभ्य होता है। वह बुद्धिमान् होता है, व्यावहारिक होता है और अध्ययन के अलावा विद्यालय की अन्य गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी हमेशा प्रसन्नचित्त, सकारात्मक सोच वाला, आशावादी, सहयोग करने वाला, अनुशासित तथा परिश्रमी होता है। वह आज्ञाकारी तथा सभी का आदर करने वाला होता है। वह गुरुजनों, अपने से बड़े-बुजुर्गों एवं वरिष्ठ विद्यार्थियों का सम्मान करता है। वह हमेशा नियमित, नियमनिष्ठ, सहयोगकर्ता तथा सहपाठियों की सहायता करने वाला होता है। वह अपना खाली समय पुस्तकालय में या पुस्तकें, पत्रिकाएँ तथा समाचार-पत्र पढ़ने में बिताता है; लेकिन वह किताबी-कीड़ा नहीं होता। समय-समय पर वह खेल-कू दों और सामूहिक गतिविधियों में हिस्सा लेता है। वह अपने स्वास्थ्य तथा पढ़ाई को कभी नजरअंदाज नहीं करता है। वह अपने व्यक्तित्व को निखारने और चमकाने के लिए विशेष प्रयत्न करता है। वह अपने नैतिक चरित्र तथा व्यक्तित्व में हमेशा वृद्धि करता है। वह हमेशा
मित्रवत व्यवहार करने वाला, दयालु तथा प्रत्येक कार्य में सहयोग करने वाला होता है। मित्रों तथा अध्यापकों का वह स्नेह भाजन बनता है।

आदर्श विद्यार्थी सदैव क्रियाशील, सजग, साफ-सुथरे कपड़े पहनने वाला, शिष्टाचारी एवं विनम्र होता है। वह कभी महँगे तथा फैशन वाले कपड़े नहीं पहनता। वह अच्छे स्वास्थ्य वाला, प्रसन्नचित्त तथा अच्छाई को ग्रहण करने वाला होता है। उसे फैशनपरस्त तथा दिखावे की कोई जरूरत नहीं होती। उसके विचार स्वागत योग्य होते हैं। वह जहाँ भी जाता है, वहीं भाईचारा तथा आपसी सौहार्द फैलाता है। वैसे तो वह हमेशा ही आज्ञाकारी होता है, पर कभी-कभी छोटी-मोटी शरारतें भी कर देता है। वह प्रत्येक अच्छी चीज का आनन्द लेता है, जीवन में आधुनिकता लाता है, मगर बुरी आदतों से दूर रहता है। वह गन्दे लोगों की संगति कभी नहीं करता है।

उसका मुख्य लक्ष्य अपने व्यक्तित्व का चहुंमुखी विकास करना होता है। वह स्वास्थ्य रक्षा तथा शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करता है। एक आदर्श विद्यार्थी अपने कर्तव्य एवं उत्तरदायित्वों के प्रति सदैव सतर्क रहता है। वह अपने माता-पिता, गुरुजनों तथा समाज का आभार व्यक्त करता है। वह मिलने वाले अवसरों का भरपूर लाभ उठाता है। वह अपने समय का उपयोग बुद्धिमत्तापूर्वक, योजनाबद्ध रूप में तथा समय को धन समझकर करता है। वह यह जानता है कि विद्यार्थी ही भविष्य के नागरिक, राजनेता, वैज्ञानिक तथा माता-पिता हैं। वह हमेशा अपनी मातृभूमि, ऐतिहासिक धरोहर, संस्कृति एवं सभ्यता पर गर्व महसूस करता है।

एक आदर्श विद्यार्थी सामाजिक तथा जनकल्याण की गतिविधियों में बराबर हिस्सा लेता है। वह समस्त संसार को स्वर्ग बनाना चाहता है। वह अपने राष्ट्र के महान् स्त्री-पुरुषों के रहन-सहन, शिक्षाओं एवं उनके विचारों का गहराई से अध्ययन करता है और उनको जीवन में अपनाकर उनपर चलने की कोशिश करता है। वह कभी अपने सतपथ से भटकता नहीं है। अतः एक आदर्श विद्यार्थी में उपर्युक्त सभी गुण होने चाहिए।

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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