विद्यार्थी जीवन पर निबंध- Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

In this article, we are providing an Student Life | Vidyarthi Jeevan Par Nibandh विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500, 800 words For Students. Student Life Essay in Hindi

विद्यार्थी जीवन पर निबंध- Vidyarthi Jeevan Par Nibandh

 

Short Essay on Student Life in Hindi ( 100 to 150 words )

हमारे जीवन का जो समय विद्यालय में पढ़ने-लिखने में बीतता है उसे छात्र जीवन कहते हैं। इस जीवन में मनुष्य योग्य बनकर अपने जीवन को सफल और उन्नतिशील बना सकता है।

यह जीवन विद्यार्थी के लिए अमूल्य होता है। इस जीवन में जैसा बीज बोया जायेगा उसका फल भावी जीवन में उसी प्रकार मिलेगा। छात्र जीवन बड़ा कोमल होता है। इसमें सम्भलकर कदम रखना पड़ता है।

विद्यार्थियों का मुख्य ध्येय अपनी पाठ्य-पुस्तकों का अध्ययन होना चाहिए। संसार की घटनाओं से परिचित होने के लिए उन्हें दैनिक तथा साप्ताहिक अखबारों को भी पढ़ना चाहिए। विद्यालय में शिक्षकों की आज्ञा पालन करना तथा उनके द्वारा बतलाये हुए मार्ग पर चलना चाहिए। विद्यार्थी को बुरे लड़कों की संगति से दूर रहना चाहिए। उनको सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहिए क्योंकि उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

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Vidyarthi Jeevan Par Nibandh Essay- विद्यार्थी जीवन पर निबंध 200 शब्द 

विद्यार्थी जीवन सबसे अधिक मज़ेदार और याद रखने योग्य होता है। परन्तु वास्तव में यह फूलों की शैय्या भी नहीं होता। कईयों के लिए यह बड़ा कठिन जीवन है। यह काम और अनुशासन से भरा होता है। यही वह जीवन होता है जब कोई अपना भविष्य बनाता या बिगाड़ता है। हर विद्यार्थी को पढ़ने के उद्देश्य से विद्यालय में जाना चाहिए। यही वह समय होता है जब पढ़ने, सीखने, सहयोग, अनुशासन, सही और बुरे में अन्तर का ज्ञान और अपने चरित्र और व्यक्तित्व के विकास जैसी अच्छी आदतें सीखता है।

विद्यार्थी जीवन उत्तरदायित्वों से भरा होता है। एक अच्छा विद्यार्थी अपना समय सफल तभी बना सकता है जब वह समर्पण और पढ़ने की इच्छा से कक्षा में जाता है। यही वह समय है जब वह अपना शरीर, दिमाग और आत्मा का विकास करता है। वह एक उद्देश्य रखता है और उसे अध्ययन में परिश्रम, नियमितता, अनुशासन और समर्पण से पाने की कोशिश करता है। वह अपने बड़ों का आदर करना सीखता है। यही समय अपने भविष्य को बना कर अच्छे और सम्माननीय नागरिक, एक अच्छा मित्र और पड़ोसी और सामाजिक कार्यक्रर्ता बनता है। विद्यार्थी जीवन हर मनुष्य के जीवन का सुनहरी समय होता है। इस का अच्छी प्रकार ध्यान रखना चाहिए।

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विद्यार्थी जीवन पर निबंध | Hindi Essay Vidyarthi Jeevan Par Nibandh in 300 to 350 words

‘बच्चा इन्सान का पिता होता है’ बच्चों की शिक्षा उनके बचपन से ही शुरू हो जाती है। उसे प्रारम्भिक शिक्षा और तीन R सिखाए जाते हैं यानि कि पढ़ना, लिखना और अंकगणित। छटी कक्षा तक उस की शिक्षा पर माता-पिता और अध्यापक काफी ध्यान देते हैं। परन्तु जब वह बड़ी कक्षा में आ जाता है तो पढ़ाई में उसकी रुचि कम हो जाती है। यह किताबों के बढ़ते बोझ के कारण होता है।

वह विद्यार्थी जो अपने आप पढ़ता है उसकी पढ़ाई में कभी रुचि खत्म नहीं होती, वह अपनी पढ़ाई में और रुचि लेना शुरु कर देता है। अपनी पुस्तकों के इलावा वह और कई अच्छी पुस्तकें पढ़ता है जो उसकी कई प्रकार से सहायता करती हैं। उसका ज्ञान बढ़ता है। उसका शब्द कोष बढ़ता है और लिखने की अपना तरीका हो जाता है। उसके लिए विद्यालय में जाना जरूरी हो जाता है। वह अपने माता-पिता और अध्यापकों को प्रिय होता है। वह प्रसारित पत्र, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबन्ध लेखन आदि में जीतता है। उसके लिए विद्यार्थी जीवन आनन्ददायक होता है, उसका अधिकतर समय पढ़ाई में बीतता है। वह अपने अध्यापकों और बड़ों में नियमित नहीं है। पीछे वह जाते हैं। उने कम अंक आते हैं। वे बिना छुट्टी लिए स्कूल से अनुपस्थित रहते हैं। उनके लिए विद्यार्थी जीवन विनोदहीन और बोझ लगता है।

यह माता-पिता और अध्यापकों का कर्त्तव्य है कि वे वैसे विद्यार्थियों का प्यार से मार्ग दर्शन करें और किताबों से प्रेम करने में उनकी सहायता करें नहीं तो वे भटक जाएँगे और बुरी संगति में पड़ जाएँगें ।

विद्यार्थी जीवन न फूलों की सेज है न ही काँटों की । परन्तु उसे पढ़ाई की तरफ प्रेरित करना पड़ेगा। उसे नैतिक पाठ पढ़ाना चाहिए और महान व्यक्तियों की पुस्तकें पढ़ने के लिए देनी चाहिएँ। वह उनकी सफलता का राज़ जानेगा। विद्यार्थी का जीवन कठिन है। मैं विद्यार्थी जीवन में सीखने की भावना होनी चाहिए।

परिश्रम, ज्ञान संचय और समर्पण द्वारा विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह एक लगातार होनी वाली क्रिया है। जो उद्देश्य के साथ जीवन में परिश्रम करते हैं। वे हमेशा सफल होते हैं। वे जीवन के पिछले साल में जीवन का आनन्द लेते हैं। उनका लोग सम्मान करते हैं। वे अच्छे नागरिक बन जाते हैं। अच्छा नागरिक देश का खज़ाना होता है।

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भूमिका-

विद्या अर्जन करने वाले को विद्यार्थी कहते हैं। देखा जाए तो मनुष्य आजीवन कुछ-न-कुछ सीखता रहता है, ज्ञान प्राप्त करता रहता है। इस प्रकार हम सभी आजीवन विद्यार्थी ही रहते हैं। साधारणतः हम उसे विद्यार्थी कहते हैं, जो विद्यालय में अध्ययन करता है। प्राचीन भारत में विद्यार्थी जीवन को ब्रह्मचर्य आश्रम की संज्ञा दी गई थी। पाँच वर्ष की आयु से पच्चीस वर्ष की अवस्था को विद्यार्थी जीवन कहा जाता था। इस काल में मनुष्य का कार्य गुरुकुलों में विद्योपार्जन होता था ।

प्राचीन विद्यार्थी-

प्राचीन काल के विद्यार्थी का जीवन, रहन-सहन और क्रिया-कलाप आज के विद्यार्थी से सर्वथा भिन्न था। उस काल में भारतीय विद्यार्थी जंगलों में गुरु के आश्रमों में रहकर विद्याध्ययन करते थे। वहाँ राजा और रंक का भेद नहीं था। सभी विद्यार्थियों को समान रूप से शिक्षा दी जाती थी। उन आश्रमों का व्यय राजा तथा जनता वहन करती थी । उस समय गुरु की आज्ञा का पालन करना, विद्याध्ययन करना और गुरु की सेवा करना विद्यार्थी का कर्त्तव्य माना जाता था। उस काल के विद्यार्थियों का आचरण और चरित्र बहुत ऊँचा होता था। इसका कारण यह था कि विद्यार्थी अच्छे परिवेश में शिक्षा प्राप्त करते थे।

वर्तमान विद्यार्थी-

प्राचीन विद्यार्थी और आधुनिक विद्यार्थी में बहुत अन्तर है। आज का विद्यार्थी आश्रमों में न रहकर समाज के बीच रहकर शिक्षा ग्रहण करता है। अतः आज की सामाजिक अच्छाइयों और बुराइयों का प्रभाव उस पर पड़ता है। वह अपने जीवन का बहुत कम समय विद्यालय में व्यतीत करता है। उसका अधिकांश समय परिवार और समाज में बीतता है। इसलिए उसके जीवन पर विद्यालय से अधिक बाहर के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। वैसे आज के शिक्षा संस्थान व्यवसायी प्रवृत्ति के शिकार हैं। उनका उद्देश्य शिक्षा प्रदान करना कम, अर्थोपार्जन करना अधिक है। इन सब का प्रभाव विद्यार्थी जीवन पर भी पड़ता है। व्यक्ति परिवेश की देन होता है।

महत्व-

विद्यार्थी जीवन मनुष्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल है। यह कहना असंगत न होगा कि विद्यार्थी जीवन शेष जीवन की नींव है। इसी काल में उसके ज्ञान, चरित्र, आचरण और व्यवहार का विकास होता है। विद्यार्थी जीवन में ही सच्चे नागरिक का निर्माण होता है। किसी भी देश का भविष्य उस देश के विद्यार्थियों पर निर्भर करता है। यदि विद्यार्थी चरित्रवान, दृढव्रती कर्त्तव्यपरायण और शक्तिशाली होंगे तो वह देश निश्चित रूप से उन्नति करेगा।

विद्यार्थियों के गुण और कर्त्तव्य-

जब तक किसी में गुण का बीजारोपण नहीं होता है तब तक वह अपने कर्त्तव्य का भी पालन नहीं कर सकता है। विद्यार्थी में अनुशासन, स्वावलम्बन और गुरु-भक्ति परायणता, विनम्रता, उदारता, त्याग आदि गुणों का विकास हो सकता है। प्रत्येक विद्यार्थी में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है। इस गुण के कारण ही वह अपने जीवन को नियोजित कर सकता है। स्वावलम्बन भी विद्यार्थी का एक प्रमुख गुण है। विद्यार्थी को अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करना चाहिए। दूसरों के भरोसे रहना ठीक नहीं है। किसी की सहायता या दया चाहने वाला विद्यार्थी अपने जीवन में कभी सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है। विद्यार्थी को परिश्रमी होना चाहिए, क्योंकि प्रतिभा, परिश्रम पर निर्भर करती है। विद्यार्थी को हर प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए। माता–पिता तथा गुरुजनों की आज्ञापालन करना विद्यार्थी का विशेष गुण है।

आजकल विद्यार्थी गुरुजनों के प्रति अवज्ञा, सहपाठियों के साथ कलह, माता-पिता के प्रति अश्रद्धा जैसे व्यवहार करते हैं। यह उनके जीवन के लिए अहितकर है। प्रत्येक विद्यार्थी को इन बुराइयों से बचकर अध्ययन करना चाहिए । विद्यार्थी को सादाजीवन, उच्च विचार का ही अनुकरण करना चाहिए।

विद्यार्थी के जीवन का विकास तभी हो सकता है जब वह अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखे। विद्यालय तथा उसके बाहर शिक्षकों का अपमान करना, उनका मजाक उड़ना तथा निन्दा करना बहुत बड़ा अपराध है। ऐसे शिक्षार्थी गुरु के स्नेह से वंचित रहते हैं। वे गुरु की बातें को ध्यान से नहीं सुन पाते और इस प्रकार अपनी ही हानि करते हैं।

विद्यार्थी में जानने की भावना होनी चाहिए । यही प्रवृत्ति मनुष्य को नित्यप्रति नई-नई बातें जानने की प्रेरणा देती है। इसके लिए विद्यार्थी को एकाग्रचित्त होना चाहिए।

विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसके लिए विद्यार्थी को व्यायाम और तरह-तरह के खेल-कूद पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही उसे सहिष्णुता, परोपकार, निर्भीकता, स्वावलम्बन, पारस्परिक प्रेम, उदारता आदि मानवीय गुणों का विकास करना चाहिए ।

उपसंहार-

आधुनिक विद्यार्थी में उपर्युक्त गुणों का अभाव देखा जाता है। दुर्भाग्य से आज विद्यालयों का वातावरण भी प्रतिकूल है। ऐसे वातावरण में वर्तमान युग का विद्यार्थी किसी महान लक्ष्य की प्राप्ति कर भी पायेगा ?

 

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Vidyarthi Jeevan Par Nibandh’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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