व्यायाम का महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Exercise in Hindi

In this article, we are providing Essay on Importance of Exercise in Hindi. व्यायाम का महत्व पर निबंध- व्यायाम का अर्थ और रूप, व्यायाम करने का ढंग, व्यायाम के लाभ

व्यायाम का महत्व निबंध- Essay on Importance of Exercise in Hindi

भूमिका- जीवन-उपवन में खुशियों के फूल और सुख का सौरभ तभी बिखरता है, जब शरीर सुन्दर, स्वस्थ और नीरोग होता है। जीवन संघर्ष में, जीवन यात्रा में, सफलता की चोटियों पर तभी पहुंच सकते हैं जब शरीर शक्ति और उत्साह से भरा होता है। मनुष्य को शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना पड़ता है। इससे शक्ति का क्षय होता है। इसकी पूर्ति होने पर ही पुन: क्रियाशील होना सम्भव होता है। शरीर की तुलना इंजन से की जा सकती है, जो उसी स्थिति में क्रियान्वित होता है जब उसे ऊर्जा प्राप्त होती है। केवल पोषक तत्व खाने पर ही शरीर स्वस्थ और बलशाली नहीं होता है अपितु इसके लिए अन्य साधन भी अपनाने पड़ते हैं और इन्हीं साधनों में व्यायाम भी प्रमुख और अनिवार्य साधन है।

व्यायाम का अर्थ और रूप- संस्कृत के कथन के अनुसार-शरीरमाद्य खलु धर्म साधनम’ अर्थात् शरीर ही सभी धर्मों का साधन है। इसी प्रकार अंग्रेज़ी में कहा गया है

‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।’

महर्षि चरक के अनुसारया

चेष्टा स्थैर्याथा बलवर्धिनी देह व्यायामः।

अर्थात् वह कार्य जिससे शरीर सुदृढ़ होता है जिससे बल बढ़ता है, उसे व्यायाम कहते हैं। स्पष्ट है कि व्यायाम का अर्थ उन शारीरिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा शरीर नीरोग रहता है, बल की वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क संतुलित रहता है।

व्यायाम का कोई एक विशेष रूप नहीं होता, अपितु शरीर के अनुसार ही व्यायाम करना उचित होता है। व्यायाम में आयु का विशेष ध्यान रखा जाता है। बच्चों के लिए रस्सी कूदना, विभिन्न प्रकार के खेल खेलना, योगासन करना व्यायाम के रूप हैं। जिमनास्टिक, तैराकी जैसे खेल भी व्यायाम के ही स्वरूप हैं। बच्चों के शरीर में विकास और वृद्धि तीव्र गति से होती है। अत: व्यायाम के द्वारा शरीर का विकास संतुलित रूप में हो सकता है। बच्चों के शरीर की अस्थि और माँस-पेशियां अपेक्षाकृत अधिक लचकदार होती है अत: वे सहजता से मुड़ सकती हैं। भार-तोलन जैसे व्यायाम में विशेष सावधानी रखना आवश्यक होती है। इसी प्रकार बच्चों के लिए दौड़ना भी व्यायाम का ही रूप है। युवावस्था में विभिन्न प्रकार के व्यायाम किए जा सकते हैं। खिलाड़ियों को भी व्यायाम की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने शरीर का संतुलन बना कर रख सकें। इस अवस्था में योगाभ्यास के अतिरिक्त सभी प्रकार के खेलकूद, व्यायाम इस प्रकार के होने चाहिए जिसमें अधिक शरीरिक श्रम न करना पड़े। प्रात:काल का भ्रमण इस अवस्था के लिए सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है।

व्यायाम केवल पुरुषों के लिए नहीं होते है अपितु स्त्रियों के लिए भी विशेष प्रकार के व्यायाम उपयोगी होते हैं। केवल घर के काम करने से ही अथवा नित्य प्रति काम करने से व्यायाम नहीं होता। किसान जो अपने खेतों में हल चलाता है तथा मज़दूर हमेशा शारीरिक श्रम करता है, को भी व्यायाम की आवश्यकता होती है। व्यायाम के लिए किसी निश्चित समय का होना आवश्यक है। दिन-भर व्यायाम नहीं किया जा सकता तथा भोजन करने के तुरन्त बाद भी उचित नहीं होता।

व्यायाम करने का ढंग- व्यायाम करने से पूर्व तथा पश्चात् कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए जैसे भरे हुए पेट के बाद व्यायाम करना हानिकारक होता है। इसी प्रकार व्यायाम करने के तुरन्त बाद स्नान करना शरीर के लिए हानिकारक होता है। व्यायाम करने में लगातार घंटा अथवा दो घंटे का समय भी लगाना उचित नहीं होता। कुछ समय बाद थोड़ा-सा विश्राम करना श्वसन प्रणाली के लिए लाभदायक होता है। जब साँस फूलने लगती है तब विश्राम करना आवश्यक होता है। इससे फेफड़ों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। शरीर पर मालिश करने से भी शरीर लचकदार बनता है तथा माँसपेशियाँ सरलता से गतिशील होती है। विशेष प्रकार के व्यायामों में विशेष प्रकार की सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है। प्राणायाम जैसे व्यायाम करते समय एक नासिका का बंद होना आवश्यक होता है। व्यायाम करते हुए यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि अनावश्यक रूप से अधिक शक्ति का प्रयोग न किया जाए। 

व्यायाम के लाभ- व्यायाम के लाभों को अंगुलियों पर गिनना सम्भव नहीं है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि व्यायाम तन, मन तथा मस्तिष्क के लिए प्रत्येक पहलू से उपयोगी होता है। जहां तक तन का प्रश्न है व्यायाम के द्वारा शरीर सुगठित होता है। मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं। चेहरे पर कान्ति तथा तेज़ उत्पन्न होता हैं। शरीर में अनेक प्रकार की जो व्याधियां उत्पन्न होती है वे व्यायाम के द्वारा दूर हो जाती हैं। पेट के रोग, अपच की शिकायत उन लोगों को अधिक होती है जो अधिकतर बैठे रहते हैं और कोई शारीरिक श्रम नहीं करते। जैसे-दर्जी, मोची आदि। ये लोग यदि नित्य प्रति समय निकाल कर व्यायाम करें तो इनके शरीर को बीमारियां नहीं घेर सकती हैं।

व्यायाम के द्वारा रक्त-संचार ठीक प्रकार से होता है। इसलिए शरीर में स्फूर्ति रहती है, मन में उत्साह रहता है तथा किसी भी कार्य को करने के लिए व्यक्ति तत्पर रहता है।

प्राय: देखा जाता है कि लोगों का शरीर अधिक चर्बी बढ़ने से अनावश्यक रूप से मोटा हो जाता है। इस प्रकार का मोटापा आ जाने से सांस फूलने लगती है तथा चलना-फिरना, उठना-बैठना कष्टदायक सिद्ध होता है।

व्यायाम करने से शरीर में पसीना आता है तथा विभिन्न प्रकार के अनावश्यक पदार्थ जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं पसीने के साथ बाहर निकल आते हैं। इस प्रकार शरीर स्वस्थ रहता है। रोम छिद्र के खुल जाने से पसीना सरलता से आ जाता है।

प्राणायाम जैसे व्यायाम के द्वारा अधिक मात्रा में आक्सीजन गैस फेफड़ों में प्रवेश करती है तथा दूषित वायु कार्बनडाई-आक्साइड के रूप में शरीर से बाहर निकल आती है। इस प्रकार शरीर में ताप का भी नियन्त्रण होता है।

व्यायाम करने से मन और मस्तिष्क स्वस्थ तथा संतुलित रहते हैं जिससे बुद्धि क्रियाशील रहती है तथा समस्याओं का समाधान करने में समर्थ होती है। स्नायु का नियन्त्रण होने से आंखों की शक्ति बढ़ती है तथा किसी भी प्रकार का मानसिक आघात सहन करने के लिए व्यक्ति तत्पर होता है।

व्यायाम करने से रक्त संचार नियन्त्रित रहता है। इसलिए जब शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं का क्षय होता है तो व्यायाम करने से नई कोशिकाओं का निर्माण भी तीव्र गति से होता है।

नियमित व्यायाम करना अनेक दृष्टिकोणों से सार्थक होता है। शक्ति संचार के साथ-साथ हड़ियों का ताकतवर होना शरीर में लचकता तथा शरीर का विकसित होना भी व्यायाम के द्वारा सम्भव होता है। सोने पर व्यक्ति गहरी नींद में सोता है और प्रात:काल जल्दी ही जाग जाता है। उसका स्वभाव हंसमुख बनता है तथा चिड़चिड़ापन और क्रोध आदि दूर होते हैं।

उसनहार- व्यायाम के ये लाभ अतिश्योकित नहीं है अपितुः दैनिक जीवन में देखा जाता है की नियमित रूप से व्यायाम करने वाला व्यक्ति निरोग तथा दीर्ष- जीवी होता है। यह सत्य है की व्यायाम करने के साथ- साथ पोस्टिक आहार खाना चाहिए : ब्रमचर्य का पालन करना चाहिए तथा नशीले पद याँ से दूर रहना चाहिए। किसी भी ढंग का व्यायाम उसे नियमित और उचित ढंग से व ने पर सदैव लाभ होता है। तन और मन की शुद्ध के लिए व्यायाम अत्यावश्यक है तथा विद्यार्थी जीवन में इसका विशेष महत्व हैनीरोगता उपचार जो चाहो, शक्ति का भण्डार जो चाहो, प्रतिदिन करो सभी व्यायाम, सुखी रहोगे आठों याम।

योग के महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Yoga in Hindi

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