In this article, we are providing Essay on My Family in Hindi | Mera Parivar Par Nibandh, मेरा परिवार पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.
दोस्तों आज हमने My Family Essay in Hindi लिखा है मेरा परिवार पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है।
Essay on My Family in Hindi- मेरा परिवार पर निबंध
Very Short 10 lines Essay on My Family in Hindi | Mera Parivar Essay in Hindi 10 Lines
1. हम परिवार के चार सदस्य हैं।
2. मेरे पिता जी घर के मुखिया हैं।
3. मेरी माता जी घर का प्रबन्ध करती हैं।
4. मेरी एक छोटी बहन है।
5. उसका नाम गीतिका है।
6. वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती है।
7. मेरे पिता जी अध्यापक हैं।
8. वह हमें रात को पढ़ाते हैं।
9. माता जी हमें स्कूल के लिए तैयार करती हैं।
10. रात को वह कहानियां सुनाती हैं।
11. हम भाई-बहन सदा उनकी आज्ञा मानते हैं.
12. हम सब बड़े प्यार से और सुख से रहते हैं।
13. हमारा परिवार आदर्श परिवार है।
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10 Lines on My Family in Hindi
Essay in Hindi on My Family- मेरा परिवार पर निबंध ( 180 words )
मेरा परिवार छोटा परन्तु संपन्न है। घर-परिवार में कुल मिलाकर चार सदस्य हैं। मेरे माता-पिता हैं, और हम दो भाई-बहन। बहन नेहा मुझसे छोटी है। मैं उससे चार वर्ष बड़ा हूँ। वह तीसरी कक्षा की छात्रा है और मैं सातवीं कक्षा का छात्र। हम एक ही पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं और साथ-साथ बस में स्कूल जाते हैं।
मेरे पिताजी एक सरकारी बैंक में प्रबंधक हैं। बैंक प्रमुख के रूप में उन्हें बड़ा काम रहता है। वे सदा व्यस्त रहते हैं। छुट्टी के दिन भी उन्हें फुर्सत नहीं मिल पाती। वे अपनी कार से बैंक आते-जाते हैं। हम लोग भी कार का उपयोग करते हैं। मेरे पिताजी को चाय और मिठाइयों का बड़ा शौक है। मेरी माताजी उनके लिए नित नयी-नयी चीजें बनाती हैं।
मेरी माताजी पतली-दुबली लेकिन बड़ी चुस्त महिला हैं। वे एक स्कूल में अध्यापिका हैं। वे स्कूल के बाद अपना सारा समय हमारी सेवा और देख-रेख में बिताती हैं। हमारा अपना घर है। इसमें सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं हैं। साथ में पीछे एक छोटा-सा उद्यान भी है। वहाँ कई तरह के फल-फूल वाले पेड़-पौधे हैं।
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Essay on My Family in Hindi- मेरा परिवार पर निबंध 200 words
मेरे परिवार में हम कुल छः लोग हैं। माँ, पिताजी, दादाजी, दादीजी, मैं और मेरा छोटा भाई।
मेरे पिता एक चिकित्सक हैं। वे एक बड़े अस्पताल में काम करते हैं। मेरी माँ शिक्षिका हैं। वे इतिहास पढ़ाती हैं। मेरे दादाजी शिक्षक थे, पर अब काम नहीं करते।
हर दिन सुबह मैं और मेरा भाई पाठशाला जाते हैं। पिताजी अस्पताल जाते हैं। दादाजी भी सुबह समाचार पत्र तथा दूध लेने बाहर निकल जाते हैं। दादीजी मंदिर जाती हैं। माँ अपनी पाठशाला चली जाती हैं। इस तरह सुबह होते ही हम सब अपने कामों में लग जाते हैं।
दोपहर हम पाठशाला से लौटते हैं। पिताजी भी खाना खाने घर आते हैं । हम सब साथ खाना खाते हैं। थोड़ा आराम करने के बाद पिताजी फिर चले जाते हैं। माँ मुझे और मेरे भाई को पढ़ाती हैं।
शाम को हम खेलने जाते हैं। दादीजी और दादाजी भी टहलने जाते हैं। माँ कभी-कभी बाजार जाती हैं या अपनी किसी सहेली से मिलने जाती हैं।
रात हम सब थोड़ी देर टी.वी. देखते हैं। साथ खाना खाते हैं। फिर सो जाते हैं।
हम छोटे से घर में मिल जुल कर रहते हैं। हम एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते हैं। काम करने में एक दूसरे की मदद करते हैं।
मैं अपने परिवार को बहुत प्यार करती हूँ।
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My Family Essay in Hindi | Mera Parivar Par Nibandh ( 400 words )
हमारा परिवार बहुत छोटा है। हम घर में पाँच प्राणी रहते हैं। मेरी माँ, मेरे पिताजी, मेरा बड़ा भाई और मेरी दादी। मेरा भाई मुझ से दो साल बड़ा है। हम दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं। मेरा भाई आठवीं कक्षा में और मैं छठी में पढ़ती हूँ। हम दोनों पैदल विद्यालय जाते हैं क्योंकि हमारा विद्यालय घर के समीप है।
मेरे पिताजी डी० डी० ए० के ऑफिस में काम करते हैं। वह अपने ऑफिस बस से ही आते-जाते हैं। मेरी माँ अध्यापिका है। उनका स्कूल घर से कुछ दूरी पर है; वह रिक्शे पर विद्यालय जाती हैं। घर में दादी अकेली रहती हैं। अभी वे अपना कार्य स्वयं करने में सक्षम हैं।
शाम को हम सब इकट्ठे घूमने के लिए बाग में जाते हैं। वहाँ पर माँ-पिताजी भी हमारे साथ बैड-मिन्टन खेलते हैं। वह दोनों हमें हास्यप्रद चुटकुले और नई-नई कविताएँ भी सुनाते हैं।
मेरे घर का वातावरण बहुत ही शान्त है। कोई भी आपस में नहीं झगड़ता। समस्याओं का समाधान सब मिलजुलकर कर लेते हैं। घर के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में दादी की सलाह अवश्य ली जाती है। उनकी बात को घर का प्रत्येक सदस्य मानता है। वृद्ध होने के कारण उनकी सेवा भी की जाती है।
विद्यालय की छुट्टियाँ होने पर पिताजी हमें बाहर घुमाने भी ले जाते हैं। घर का प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे से प्रेम से बोलता है। माँ-पिताजी हमें बहुत प्यार करते हैं और हम उन्हें। त्यौहारों के अवसर पर हमारे पिताजी हमें नये-नये कपड़े बनवा देते हैं। मेरी माँ घर पर ही नमकीन और मिठाइयाँ बना लेती है। क्योंकि बाजार से खरीदने पर ये चीजें बहुत महँगी पड़ती हैं और घर का बजट बिगड़ जाता है। हम अपने कपड़े स्वयं ही प्रैस करते हैं, पर कीमती कपड़े धोबी से प्रैस करवा लेते हैं।
परिवार में रिश्तेदारों का आना-जाना भी लगा रहता है। कभी मेरे मामाजी और उनके बच्चे हमसे मिलने आ जाते हैं और कभी हम अपने ताऊजी के पास चले जाते हैं।
हम शाकाहारी भोजन करते हैं। दाल, सब्जियाँ और दूध, दही प्रयोग में लाते हैं। कभी-कभी मक्खन और मटर पनीर का सेवन भी कर लेते हैं। हमारे परिवार में हमारे पिताजी और माताजी हमारा जन्मदिन बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। वे अनेक मित्रों को बुलाते हैं। हम अपनी दादी जी और माँ-पिताजी के चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं। मेरी दादी तो इस अवसर पर फूली नहीं समाती।
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