हाथी पर निबंध- Elephant Essay in Hindi Language

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Elephant Essay in Hindi ( Hathi par Nibandh ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words and 500 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.

In this article, we are providing information about Elephant in Hindi. हाथी पर पूरी जानकारी जैसे की आकार-प्रकार, स्वभाव, खाद्य-पदार्थ, उपयोगिता अदि के बारे बताया गया है। 

हाथी पर निबंध | Elephant Essay in Hindi Language

 

10 Lines Essay on Elephant in Hindi ( 100 words )

हाथी एक जंगली जानवर है।

हाथी का शरीर बहुत विशाल होता है।

हाथी बहुत ताकतवर जानवर है।

हाथी के दो बड़े कान, दो आँखें बहुत छोटी होती हैं।

हाथी की एक लम्बी सूंड होती है।

हाथी शुद्ध शाकाहारी जानवर है।

हाथी, शांत और सरल स्वभाव का होता है।

हिन्दू लोग हाथी की पूजा करते हैं।

हाथी की आयु लगभग सौ वर्ष होती है।

हाथी बहुत ही उपयोगी जानवर है।

 

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Hathi par Nibandh ( 150 to 180 words )

हाथी एक शक्तिशाली, जंगली पशु है । इसे पाला भी जाता है । हाथी काले रंग का एक विशाल जानवर है । इसके खंभे के समान चार मोटे पैर होते हैं । इसकी दो छोटी-छोटी आँखे, दो सूप के समान बड़े-बड़े कान और एक छोटी पूँछ होती है।

हाथी को एक लम्बी सूंड़ होती है। इसके दो बड़े-बड़े दाँत होते हैं जो बाहर की तरफ निकलेहै।

ये दोनों अंग हाथी को विशिष्ट बनाते हैं। लँड हाथी की नाक है। इससे यह पानी पीता है। पेड़ों की टहनियाँ तोड़ कर खाता है । इसके दाँत बहुत कीमती होते हैं। इससे तरह-तरह की वस्तुएँ बनती हैं।

हाथी एक बलशाली पशु है। इसलिए इससे बोझ ढोने का काम लिया जाता है । पुराने जमाने में राजा-महाराजा शान से इसकी सवारी करते थे। परन्तु अब हाथी सर्कस या चिड़ियाघर में ही दिखाई पड़ते हैं।

यह एक समझदार प्राणी है। सर्कस में यह अच्छे करतब दिखाता है। बच्चे इसे देखकर बहुत खुश होते हैं । कुछ धार्मिक अवसरों पर कहीं-कहीं हाथी की सवारी और इसकी पूजा की जाती है। यह एक अनूठा तथा उपयोगी पशु है।

 

Elephant Essay in Hindi ( 250 words )

हाथी एक चौपाया पशु है। इसका शरीर बहुत भारी होता है। इसकी आँखें बहुत छोटी होती हैं तथा कान बड़े-बड़े होते हैं। हाथी की पूँछ भी बहुत छोटी होती है। इसके एक लम्बी सूंड होती है। इससे पकड़कर वह अपना भोजन मुँह में ले जाता है। इसी से वह डालियों को तोड़ता है और इसी से पानी पीता है। हाथी के मुँह में दो दाँत बाहर होते हैं, इनसे वह अपनी रक्षा करता है तथा खाने के दाँत उसके मुँह के अन्दर होते हैं।

हाथी बहुत ही समझदार पशु है। उसका स्वभाव भी प्रायः अच्छा होता है। सिखाने पर यह सीख जाता है। उसे स्थान और घटना की खूब याद रहती है। हस्तिपाल (महावत) इसे अंकुश से वश में रखते हैं। हाथी सरकन्डे, गन्ने, केले के पौधे तथा अन्य हरी घास खाता है। हाथी पालने वाले इसे गेहूँ, चावल आदि भी उबाल कर और गुड़ मिलाकर देते हैं। प्राचीन समय में राजा हाथी पर बैठकर युद्ध करते थे। जिसके पास अधिक हाथी होते थे, वह शक्तिशाली माना जाता था। आजकल हाथी प्रायः बोझा ढ़ोने के काम आता है। दुर्गम वनों में लट्ठों को हाथी ही लाता है। इसके साथ ही हाथी सर्कस में भी काम आता है। हाथी के दाँत भी बड़े काम की वस्तु है। इनसे अनेक प्रकार के खिलौने बनते हैं।

वस्तुतः हाथी बहुत ही उपयोगी पशु है।

 

Hindi Elephant Essay

 

Elephant Essay in Hindi ( 350 words )

परिचय : हाथी एक विशालकाय पशु है। इसके पैर लम्बे और मोटे होते हैं और देखने में खम्भे की तरह मालूम पड़ते हैं। इसके दोनों कान सूप जैसे बड़े होते हैं। इसका मस्तिष्क गोल और कन्धे से करीब आधा हाथ ऊँचा उठा रहता है। अपनी सूंड से यह नाक और हाथ का काम लेता है। सूंड़ के दोनों ओर बगल में दो लुभावने दाँत होते हैं। इसका चमड़ा बहुत मोटा और काला होता है। यह भारत, श्रीलंका, म्यांमार (बर्मा) और अफ्रीका के घने जंगलों में पाया जाता है।

स्वभाव : हाथी एक शान्त और समझदार पशु है। अपनी शक्ति का इसे तनिक भी घमण्ड नहीं है। कभी-कभी यह क्रुद्ध भी हो जाता है। इसके सुनने और सूँघने की शक्ति बड़ी तेज होती है। यह अपने महावत को तुरन्त पहचान लेता है। यह महावत के इशारे पर चलना, बैठना, उठना सीखता है। यह संगीत और खुशबू पसन्द करता है। यह सूंड से राह चलते समय धूल अपने मस्तक पर फेंकता रहता है। पानी इसके लिए प्रिय है । हाथी अपनी सूंड से पानी खींचता है और अपने शरीर पर छिड़कता है।

भोजन तथा प्राप्ति-स्थान : यह पीपल, बरगद आदि पेड़ों की टहनियाँ, केले के पौधों तथा गन्ना आदि को बड़े चाव से खाता है। यह मांस, मछली कभी नहीं खाता। इसके अलावा यह घास, पत्तियाँ, चना, चावल आदि भी खाता है। यह भारत, म्यांमार (बर्मा), स्याम, पूर्वी द्वीप समूह, श्रीलंका तथा अफ्रीका के घने जंगलों में पाया जाता है।

उपयोगिता : हाथी सवारी के काम आता है। बड़े-बड़े रईस और धनी आदमी इसे अपने दरवाजे की शोभा बढ़ाने के लिए रखते हैं। पुराने जमाने में इस पर चढ़कर सैनिक युद्ध किया करते थे । शिकारी इसी पर बैठकर बाघ का शिकार करते हैं। प्राचीनकाल में लड़ाई में भारी-भारी तोपों को खींचने और सामान ढोने में इसका प्रयोग किया जाता था । सरकस में यह तरह-तरह का खेल दिखाता है। जंगलों में लकड़ियों के भारी-भारी कुन्दों को हाथी अपने सूंड़ से उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है। इसकी हड्डियों और दातों से अनेक प्रकार की उपयोगी चीजें बनायी जाती हैं, जैसे-खिलौने, छुरी की बेंट, बटन और कंघी । 1982 ई० भारत में आयोजित एशियाड खेलों में अप्पू नामक हाथी के शावक को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में व्यवहृत किया गया।

 

Long Essay on Elephant in Hindi ( 700 words )

भूमिका

पशु मनुष्य जीवन के आवश्यक अंग हैं। बिना पशुओं के मनुष्य अपने को सुरक्षित नहीं रख सकता है। उनके सहयोग और सहायता से ही मनुष्य ने अपना विकास किया। यदि मनुष्य को पशुओं का सहयोग नहीं मिलता तो मनुष्य आज इस हालत में न होता।

सामान्य परिचय एवं आकार प्रकार

हाथी एक जंगली पशु है। मनुष्य ने उसे पालतू बनाया। हाथी का शरीर बहुत विशाल होता है। इतना विशाल कोई दूसरा चौपाया जानवर नहीं है। इसके शरीर पर अन्य पशुओं से कम रोएँ होते हैं। इसके शरीर का चमड़ा कड़ा, खुरदुरा और पोटा होता है। इसके दो बड़े कान, दो आँखें बहुत छोटी होती हैं। इसके माथे के सामने एक सूंड़ लटकती रहती है। सूंड़ के दोनों तरफ एक-एक लम्बे दाँत होते हैं जो मुँह के बाहर निकले रहते हैं। हाथी के खाने के दाँत जबड़ों में होते हैं। ये जबड़ों वाले दाँत ही उसके लिए उपयोगी होते हैं। एक कहावत है- ‘हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और।’ हाथी की सूंड़ के सबसे नीचले हिस्से में दो छोटे-छोटे छेद होते हैं जिनसे हाथी सांस लेता है। हथिनि के बाहरी दांत नही होते हैं। हाथी की गर्दन बहुत छोटी होती है जिसे वह इधर-उधर घुमा नहीं सकता है। हाथी का रंग कालापन लिए मटमैला होता है। हाथी की आयु लगभग सौ वर्ष होती है।

प्राप्ति स्थान

हाथी अनेक एशियाई देशों में पाया जाता है। भारत के अतिरिक्त यह सुमात्रा, जावा, मलाया, श्रीलंका, बोर्नियो, श्याम आदि देशों में पाया जाता है। अफ्रीका के कुछ देशों में भी यह पाया जाता है। बर्मा में सफेद हाथी पाए जाते हैं।

स्वभाव एवं खाद्य पदार्थ

हाथी, शांत और सरल स्वभाव का होता है। यह पशुओं में सबसे समझदार माना जाता है। यह अपने मालिक और महावत को बहुत मानता है। यह महावत के हर आदेश का पालन करता है। इसे संगीत बहुत प्रिय है। यह अपनी पीठ पर भारी बोझ लादकर बड़ी-बड़ी नदियों को आसानी से पार कर जाता है। पानी में स्नान करना इसे बहुत प्रिय है। हाथी शुद्ध शाकाहारी जानवर है। गन्ना, पेड़ की पत्तियाँ, शाक-सब्जी, फल-फूल, घास-पात आदि इसके भोजन हैं। यह गेहूँ की रोटी भी बड़े चाव से खाता है। जंगली हाथी झुंड में रहना पसंद करते हैं। उनमें बड़ी सहयोगिता होती है। पागल हाथी बहुत खतरनाक होता है। ऐसी अवस्था में इस पर काबू पाना बहुत कठिन होता है। हथिनी एक बार में एक ही बच्चा देती है। हाथी के बच्चे अपनी सँड़ से दूध पीते हैं। अक्सर हथिनी अपनी सूंड़ से दूध निकालकर बच्चे के मुंह में डाल देती है। हाथी का सूंड उसका सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं। इससे वह बहुत तरह का काम लेता है।

उपयोगिता

आजकल हाथी हमारे लिए बहुत उपयोगी पशु नहीं है। प्राचीन काल में युद्ध में इसका अच्छा उपयोग किया जाता था। प्राचीन काल में राजा-महाराजा और सामंत हाथी पर सवारी करते थे। उस समय सेना में हाथियों का अलग दल होता था। युद्ध में वे बोझा भी ढोते थे और युद्ध भी करते थे। हाथी पर सवार होकर शिकारी शिकार करते थे। शादी-व्याह के समय हाथी की वर यात्रा निकालते हैं। सर्कस में हाथी तरह-तरह के खेल और नृत्य दिखलाते हैं। बर्मा में हाथियों से लकड़ी के बड़े-बड़े लढे खींचने और ढोने का काम लिया जाता है।

हाथी बहुत ताकतवर जानवर है। युद्ध काल में वह बड़ी-बड़ी तोपों को खींचकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा देता है। जंगलों में रास्तों पर गिरे पेड़ों को खींच कर एक तरफ कर देता है। जिससे रास्ता साफ हो जाता है। जिस काम को चालीस-पचास व्यक्ति मिलकर नहीं कर सकते उसे हाथी अकेले कर देता है। हाथी के दाँत और हड्डियों से अनेक बहुमूल्य वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

उपसंहार

जो भी हो, हाथी मनुष्य का आदि मित्र है। हिन्दू लोग हाथी की पूजा करते हैं। वे हाथी को गणेश मानते हैं। क्योंकि श्री गणेशजी का मुंह हाथी के समान है। आधुनिक युग में रेल, मोटर गाड़ी, बस आदि के प्रचलन के कारण हाथी का महत्व कम हो गया है। हाथी पालना सबके बूते का नहीं है, क्योंकि इसको पालने में बहुत खर्च करना पड़ता है। जो भी हो, हाथी का राष्ट्रीय महत्व है। हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए। चिड़िया खानों में बच्चे हाथी की सवारी करते हैं। इससे उनका मनोरंजन होता है।

 

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