In this article, we are providing an essay on Shiksha Mein Khel Ka Mahatva in Hindi. शिक्षा में खेल-कूद का महत्त्व पर निबंध.
Essay on Shiksha Mein Khel Ka Mahatva in Hindi- शिक्षा में खेल-कूद का महत्त्व पर निबंध
Shiksha Mein Khel Kud ka Mahatva Nibandh ( 250 words )
शिक्षा और खेल मानवी जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं । जिस तरह से ज्ञान प्राप्त करने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण होती हैं उसी तरह से हमारा स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए खेल भी महत्वपूर्ण होते हैं । खेलने से हमारा मानसिक और शारीरिक विकास होता हैं । सिर्फ विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में खेलों का समावेश करना चाहिए । जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा के साथ-साथ खेल भी महत्वपूर्ण होते हैं । खेल खेलने से हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं । विद्यालयों में विषयों में खेलों के एक विषय का भी समावेश किया जाता हैं । विद्यालयों में विद्यार्थियों के खेलकूद के विकास के लिए व्यायाम शिक्षक और खेल शिक्षकों की नियुक्ति की जाती हैं और वह विद्यार्थियों का व्यायाम लेते हैं और खेल खेलना सिखाते हैं ।
हमारे शरीर का विकास भी खेलकूद पर ही निर्भर होता हैं । खेल खेलने से हमें कार्य करते समय आलस्य नहीं आता । जब विद्यार्थी जीवन में खेलों का समावेश करते हैं तब उन्हें पढ़ाई करते वक्त आलस्य नहीं आता और वह अच्छी तरह से पढ़ाई करते हैं । अब खेलकूद को विद्यालय में और माता पिता से ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता । जब विद्यार्थी घर में होते हैं तब वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल पर बिताते हैं पर यह उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता । इसलिए विद्यार्थियों को खेलकूद का महत्व समझाकर उन्हें खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ।
Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay in Hindi
शिक्षा का अभिप्राय केवल पुस्तकों का ज्ञान अर्जित करना ही नहीं, अपितु शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के मानसिक विकास के साथ-साथ उसके शारीरिक विकास की ओर भी ध्यान देना है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेल-कूद का महत्व किसी से कम नहीं। यदि शिक्षा से बुद्धि का विकास होता है तो खेलों से शरीर का । ईश्वर ने मनुष्य को शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक-तीन शक्तियाँ प्रदान की हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए इन तीनों का संतुलित रूप से विकास होना आवश्यक है।
शिक्षा तथा खेल एक-दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरा अपंग है। शिक्षा यदि परिश्रम लगन, संयम, धैर्य तथा भाईचारे का उपदेश देती है तो खेल के मैदान में विद्यार्थी इन गुणों को वास्तविक रूप में अपनाता है। जैसे कहा भी गया है- ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।’ –
यदि व्यक्ति का शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो संसार के सभी सुख तथा भोग-विलास बेकार हैं। एक स्वस्थ शरीर ही सभी सुखों का भोग कर सकता है। रोगी व्यक्ति सदा उदास तथा अशांत रहता है। उसे कोई भी कार्य करने में आनंद प्राप्त नहीं होता है। स्वस्थ व्यक्ति सभी कार्य प्रसन्नचित होकर करता है। इस प्रकार स्वस्थ शरीर एक नियामत है। |
खेलना बच्चों के स्वभाव में होता है। आज की शिक्षा-प्रणाली में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि बच्चों की पुस्तकों की अपेक्षा खेलों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करवाई जाएँ। आज शिक्षा-विदों ने खेलों को शिक्षा का विषय बना दिया है, ताकि विद्यार्थी खेल-खेल में ही जीवन के सभी मूल्यों को सीख जाएं और अपने जीवन में अपनाएँ।
अच्छे स्वस्थ की प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के खेलों का सहारा लिया जा सकता है। दौड़ना, खुदना, कबड्डी, टेनिस, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, जिमनास्टिक, योगाभ्यास आदि से उत्तम व्यायाम होता है। इनमें से कुछ आउटडोर होते हैं और कुछ इंडोर । आउटडोर खेल खुले मैदान में खेले जाते हैं। इंडोर खेलों को घर के अंदर भी खेला जा सकता है। इनमें कैरम, शतरंज, टेबलटेनिस आदि हैं। न केवल अपने देश में, बल्कि विदेशों में भी खेलों का आयोजन होता रहता है। खेलों से न केवल खिलाड़ियों का अपितु देखने वालों का भी भरपूर मनोरंजन होता है। आज रेडियो तथा टी०बी० आदि माध्यमों के विकास से हम आँखों देखा हाल अथवा सीधा प्रसारण देख सकते हैं तथा उभरते खिलाड़ी प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
आज के युग में खेल न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि इनका सामाजिक तथा राष्ट्रीय महत्व भी है। इनमें स्वास्थ्य प्राप्ति के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। इनसे छात्रों में अनुशासन की भावना आती है। खल के मैदान में छात्रों को नियमों में बंधकर खेलना पड़ता है, जिससे आपसी सहयोग और मेल-जोल की भावना का भी विकास होता है। खेल-कूद मनुष्य में साहस और उत्साह की भावना पैदा करते हैं। विजय तथा पराजय दोनों स्थितियों को खिलाड़ी प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता है। खेल-कूद से शरीर में स्फूर्ति आती है, बुद्धि का विकास होता है तथा रक्त संचार बढ़ता है। खेलों में भाग लेने से आपसी मन-मुटाव समाप्त हो जाता है तथा खेल भावना का विकास होना है। जीविका-अर्जन में भी खेलों का बहुत महत्व है।
आज खेलों में ऊँचा स्थान प्राप्त खिलाड़ी संपन्न व्यक्तियों में गिने जाते हैं। किसी भी खेल में मान्यता प्राप्त खिलाड़ी को ऊँचे पद पर आसीन कर दिया जाता है तथा उसे सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। खेल राष्ट्रीय एकता की भावना को भी विकसित करते हैं। राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ी अपना तथा अपने देश का नाम रोशन करते हैं।
भारत जैसे विकासशील देश के लिए आवश्यकता है कि प्रत्येक युवक-युवती खेलों में भाग ले तथा श्रेष्ठता प्राप्त करने का प्रयास करे। आज का युग प्रतियोगिता का युग है और इसी दौड़ में किताबी कीड़ा बनना पर्याप्त नहीं, बल्कि स्वस्थ, सफल तथा उन्नत व्यक्ति बनने के लिए आवश्यक है-मानसिक, शारीरिक तथा आत्मिक विकास।
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Sir namasteeeee,
aap ka ye likh bhut hi accha lga, mai bhi ek sports teacher hun, ydi aapko koi help ho to mujhe jrur call kriyega.
dhanyabaad
Very nice keep going
This was very helpful for me
It is very nice
Continue
i am very happy sir beacuse simple essay
This essay is so useful for school student which always do study not time to play games.good job sir.
Very good essay writing 😮😮😮
Thank You..
Thank You very much..
Nice …
Thank u