Vriksharopan Par Nibandh | Essay in Hindi- वृक्षारोपण पर निबंध

In this article, we are providing Vriksharopan Par Nibandh | Vriksharopan Essay in Hindi मेरी वृक्षारोपण निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने Essay on Vriksharopan in Hindi | Tree Plantation Hindi Essay लिखा है। वृक्षारोपण पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4,5, 6, 7, 8, 9 ,10 और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

Vriksharopan Par Nibandh | Essay in Hindi- वृक्षारोपण पर निबंध

 

वृक्षारोपण पर निबंध- Vriksharopan Par Nibandh | Essay in Hindi ( 300 to 400 words )

वृक्ष हमारे बहुत अच्छे मित्र और संरक्षक हैं। वृक्षों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों से हमें भोजन, वस्त्र, औषधियां, गृह-निर्माण का सामान और उद्योग-धंधों के लिए कच्चा माल मिलता है। ये ही हमारे फलों, फूलों और पशुओं के चारे के साधन हैं। जलाने के लिए ईधन भी इन्हीं से प्राप्त होता है।

वृक्ष प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। ये उसके मुख्य और भव्य अलंकार भी हैं। ये हमारे लिए तो प्रकृति का अमूल्य वरदान हैं। इनसे हमें प्राणवायु मिलती है। हमारे वातावरण को ये शुद्ध रखते हैं, उसे मोहक बनाते हैं। इनके नीचे छाया में उठना-बैठना, पढ़ना-लिखना या कोई और काम करना बड़ा सुखद होता है।

भगवान बुद्ध को पीपल के वृक्ष के नीचे ही ज्ञान प्राप्त हुआ था। वृक्षों की महिमा अपार है। वृक्ष ध्वनि प्रदूषण को भी कम करते हैं। ये भू-स्खलन, भू-क्षरण, बाढ़ आदि को रोकते हैं। पेड़ों की हरियाली मन-मस्तिष्क के लिए टॉनिक का काम करती है। भारत में पेड़ों और वनों का महत्त्व प्राचीन काल से ही रहा। अनेक पेड़ों की पूजा होती है। उन्हें पवित्र माना जाता हैं उनमें देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। पीपल, तुलसी, आँवला, बेल, बड़, केले का वृक्ष आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें पवित्र माना जाता है और पूजा की जाती है। कदम्ब वृक्ष कृष्ण को प्रिय था। वटवृक्ष में शिव का और पीपल में विष्णु का निवास माना जाता है।

इन सभी कारणों से वन महोत्सव और वृक्षारोपण की परम्परा हमारे यहाँ पुराने समय से चली आ रही है। परन्तु आधुनिक युग में वनों पर बड़ा दबाव है। उनका क्षेत्र घट रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से एक नया संकट खड़ा हो गया है। पारिस्थितिक तंत्र का सन्तुलन बिगड़ रहा है जिससे सुरक्षा परत ओजोन में ‘ब्लैक होल’ का घेरा बड़ा होने से प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ती जा रही हैं। यह सब विनाश की ओर बढ़ते कदम हैं। शीघ्रता से प्रकृति के साथ हो रहे अन्याय को नहीं रोका तो वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब समस्त सृष्टि का विनाश हो जायेगा। बढती हई जनसंख्या और नगरों, कस्बों व गावो के विस्तार ने स्थिति और भी गंभीर कर दी है। ऐसी स्थिति में वृक्षारोपण हमारा एक आवश्यक उत्तरदायित्व बन गया है। हमें । अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, उनका संरक्षण और देखभाल करनी चाहिए। वनों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए। वनों की सुरक्षा, हमारी सुरक्षा है क्योंकि वन पर्यावरण को सन्तुलित अवस्था में रखते हैं।

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वृक्षारोपण का अर्थ व महत्त्व ( What is Tree Plantation? )

वृक्षारोपण से अभिप्राय है प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए वृक्ष लगाकर उन्हें उगाना। मनुष्य के जीवन को सुखी, समृद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का विशेष महत्त्व है। मनुष्य को आदिकाल से प्रकृति द्वारा जो कुछ मिलता रहा है, उसे निरन्तर प्राप्त करते रहने के लिए वृक्षारोपण की अत्यन्त आवश्यकता है।

वृक्षों की महत्ता ( Importance of Tree Plantation | Vriksharopan Ka Mahatva )

आदियुग में मनुष्य वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कंदराओं में ही रहा करता था। वह वृक्षों से प्राप्त फल-फूल आदि खाकर या पेड़ों की डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपनी उदर-पूर्ति करता था। वृक्षों की छाल को वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। इतना ही नहीं बल्कि मनुष्य इन वृक्षों की देवताओं की तरह पूजा करता था। वृक्ष वर्षा में अधिक जलवर्षण से, शिशिर में तुषारपात से तथा गर्मी में सूर्यताप से उसी प्रकार हमारी रक्षा करते हैं जैसे माता-पिता अपने बच्चों की रक्षा करते हैं। आज भी हमारे देश में पीपल, बड़, केला, तुलसी आदि पेडपौधों की पूजा-अर्चना की जाती है। अतः पेड़ों को काटना पाप समझा जाता
था।

औद्योगीकरण की प्रवृत्ति

औद्योगीकरण तथा शहरीकरण की बढ़ती हुई प्रवृत्ति के कारण आज ग्रामीण क्षेत्र के पास के इलाके शहरों में विलीन होते जा रहे हैं। इन इलाकों में लहलहाते हुए खेत तथा हरे-भरे पेड़-पौधों की सफाई हो रही है। यहाँ के वनों का स्थान शानदार बस्तियों और बड़े-बड़े उद्योगों ने ले लिया है। वृक्षों को निर्दयता से काटा जा रहा है। जिन वृक्षों की शीतल तथा सुखद छाया में थका हुआ राही विश्राम कर लेता था, वहाँ अब फैक्ट्रियाँ हैं, उद्योग संस्थान हैं तथा आवासगृह हैं। वृक्षों की कमी के कारण नगरवासियों को ऑक्सीजन कम मिलने लगी है। इसका उनके स्वास्थ्य पर दूषित प्रभाव पड़ने लगा है। ईंधन के भाव तेज हो गए और भूमि की उपजाऊशक्ति भी कम हो गई है।

वन-महोत्सव की योजना

वृक्षों की कमी होना तथा उनके दूषित प्रभाव के कारण भारत सरकार ने सन् 1950 में ‘वन-महोत्सव’ की योजना का कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। जगह-जगह नए वृक्ष लगाने का काम बहुत तीव्रगति से प्रारम्भ किया गया था। परन्तु 1950 के वन-महोत्सव की इस योजना में धीरे-धीरे शिथिलता आने लगी।

वृक्षारोपण

वृक्षों के महत्त्व को देखते हुए अब देशभर में वृक्षारोपण का कार्यक्रम विशाल एवं व्यापक रूप से चलाया जा रहा है। सरकार की ओर से यह काम स्थानीय निकायों को सौंप दिया गया है। उस समय से लेकर वृक्षारोपण का यह कार्य सभी विद्यालयों में लगभग प्रत्येक वर्ष जुलाई के महीने में होने लगा है। इसके साथ ही 12 नवम्बर, 1976 को केन्द्र सरकार ने प्रत्येक राज्य सरकार को एक निर्देश भेजा था कि केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी राज्य में जंगलों की सफाई व कटाई नहीं की जायेगी।

उपसंहार

क्योंकि वृक्ष हमारे देश की नैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक समृद्धि के मूल स्रोत हैं, इसीलिए भारत सरकार वृक्ष तथा वन-सम्पदा की ओर विशेष ध्यान दे रही है। सूखे तथा बाढ़ जैसी भयानक आपदाओं को रोकने के लिए भी भारत सरकार वन-संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण भी करा रही है।

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