In this article, we are providing a Peacock Essay in Hindi | Rashtriya Pakshi Mor Par Nibandh मोर पर निबंध in 100, 150, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.
दोस्तों आज हमने Essay about Peacock in Hindi लिखा है मोर पर निबंध हिंदी में कक्षा | class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। National Bird Peacock information in Hindi Essay.
Peacock Essay in Hindi- राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध
10 Lines Essay on Peacock in Hindi ( 100 words )
1. मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
2. मोर का आकार-प्रकार साधारण पक्षियों से बड़ा होता है।
3. इसकी पूँछ रंग-बिरंगे पंखों से भरी रहती है।
4. पंखों के बीच में गोल-गोल आकृतियाँ होती हैं।
5. सिर के ऊपर एक बहुत सुन्दर कलगी होती है।
6. मोर का नृत्य बहुत ही मोहक होता है।
7. मोर अपनी पूँछ के लम्बे पंखों को फैलाकर नाचता है।
8. मोर बहुत शांत और सरल स्वभाव का पक्षी है।
9. मोर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों है।
10. मोर कीड़े-मकोड़े, हरी सब्जियाँ, अनाज के दाने आदि खाता है।
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Information About Peacock In Hindi
मोर पर निबंध- Short Peacock Essay in Hindi ( 150 words )
मोर एक अत्यंत सुन्दर पक्षी है। यह अन्य पक्षियों से बड़ा होता है। सुन्दरता में यह पक्षियों का राजा कहलाता है।
मोर का पूरा शरीर चमकीले नीले रंग का होता है । इसके पंख लंबे और रंग-बिरंगे होते हैं । मोर के सिर पर एक कलंगी होती है । यह अधिक ऊँचाई तक उड़ नहीं सकता है।
मोर जंगल में पेड़ पर रहता है । कुछ लोग इसे पालते हैं । इसकी आवाज बड़ी तेज होती है। यह खेतों से दाना तथा कीड़े निकाल कर खाता है। मोर साँप को अपनी चोंच से नोंच-नोंच कर मार डालता है। इसीलिए साँप मोर से डरता है।
बारिश के दिनों में आकाश काले मेघ से ढंक जाता है। तब मोर मग्न। होकर अपने पंखों को फैलाकर नाचने लगता है । तब यह बहुत सुंदर दिखता है । मोर के पंख से अनेक प्रकार की सजावट की वस्तुएँ बनती हैं। भगवान कृष्ण अपने मुकुट में मोर का पंख लगाया करते थे। बच्चे इसके पंख को अपनी पुस्तकों में संभाल कर रखते हैं।
आजकल मोर चिड़ियाघरों में देखे जाते हैं । मोर भारत का ‘राष्ट्रीय पक्षी’ है।
राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध- National Bird Peacock Hindi Essay ( 200 words )
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह बहुत ठंडे प्रदेशों को छोड़कर प्रायः सारे भारत में पाया जाता है। इसका रंग बहुत सुन्दर होता है इसका कंठ नीला होता है तथा इसके सिर पर एक कंलगी होती है। इसके पंख लम्बे, नीले और सुनहरे रंग के होते हैं और उन पर छोटे-छोटे चकते होते हैं। मोर की सुन्दरता को देखकर ही कवि रवीन्द्रनाथ ने कहा था – हे मोर ! तू इस मृत्युलोक को स्वर्ग के समान बनाने के लिए ही यहाँ आया है।
मोर का नृत्य बहुत ही मोहक होता है। जब वर्षा-काल में आकाश में बादल छा जाते हैं। तो उन्हें देखकर यह मस्त होकर नाचने लगता है, किन्तु जब नाचते हुए इसकी दृष्टि अपने पैरों पर पड़ती है तो इसका नृत्य समाप्त हो जाता है क्योंकि इसके पाँव बहुत ही असुन्दर होते हैं।
मोर के पंखों से पंखे बनती हैं। श्रीकृष्ण भी अपने मुकुट पर मोर पंख लगाते थे। शरद में इसके पंख गिर जाते हैं, जब लोग उन्हें एकत्रित कर लेते हैं। पुनः बसन्त आने पर उसके पंख निकल आते हैं। मोर साँपों का शत्रु है। जहाँ मोर होता है वहाँ साँप नहीं होते। वस्तुतः मोर सुन्दर और उपयोगी पक्षी है।
10 Lines Peacock Hindi Essay
राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध | Hindi Essay About Peacock ( 300 words )
पक्षियों में मोर सबसे सुन्दर पक्षी है। यह हमारे देश भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यही कारण है। कि मोर को पकड़ना, इसका शिकार करना अपराध माना जाता है। बरसात के दिनों में आकाश में छाए काले बादलों को देखकर जब मोर नाचता है तो सबका मन मोह लेता है।
मोर का कद अधिक ऊँचा नहीं होता। मोरनी की अपेक्षा मोर की लम्बाई अधिक होती है। इसके पंख बहुत ही सुन्दर रंग के होते हैं। इसके पंखों में सूर्य की किरणों जैसा पीलापन पाया जाता है। मोर की गर्दन अधिक लम्बी नहीं होती। यह पंखों से ढकी रहती है। मोर तथा मोरनी दोनों के सिरों पर रंग-बिरंगी चमकीली कलगी होती हैं। इसकी चोंच लम्बी तथा नुकीली होती है। मोर का सारा शरीर सुन्दर है, परन्तु इसकी टाँगें थोड़ी भद्दी होती हैं। कहते हैं मोर अपनी टाँगों को देखकर रोता है। मोरनी के पंख मोर जैसे नहीं होते।
नाचते हुए मोर का दृश्य बड़ा ही मन मोहक होता है। जब मोर नाचता है तो यह अपने पंखों को अर्ध गोलाकार रूप में फैला लेता है। नाचते हुए मोर के चारों ओर मोरनी चक्कर लगाती रहती है। उसके विषय में कहा गया है-जंगल में मोर नाचा किसने देखा?
मोर अधिक ऊँचाई तक तथा अधिक दूरी तक नहीं उड़ सकता। यह हरे-भरे जंगलों तथा हरे-भरे खेतों के आस-पास ही रहता है तथा रात पेड़ पर बिताता है। यह कीड़े-मकौड़े तथा अनाज के दाने खाता है। मोर साँप को भी मार देता है। मोर की आवाज सुनते ही साँप बिलों में छिप जाते हैं। कुछ आयुर्वैदिक दवाइयाँ बनाने में मोर के पंख का प्रयोग किया जाता है। भगवान कृष्ण मोर के पंख को अपने मुकुट में धारण करते थे। इसलिए मोर पंख बहुत पवित्र माना जाता है। प्राचीन काल में मोर के पंख का उपयोग कलम के रूप में भी होता था। मोर के पंखों से पंखे भी बनाए जाते हैं।
मोरनी की चाल बड़ी सुन्दर होती है। इसलिए कवियों ने सुन्दर युवतियों की चाल की उपमा मोरनी की चाल से दी है। हिन्दी तथा संस्कृत के कवियों ने अपनी कविताओं में मोर का काफी उपयोग किया है। कालिदास ने इसे स्वर्ग का पक्षी कहा है। इसकी रक्षा करना हमारा धर्म तथा परम कर्त्तव्य है।
मोर पर निबंध | Long Essay on Peacock in Hindi ( 500 to 600 words )
भूमिका
पशु की भाँति पक्षी भी मनुष्य के लिए उपयोगी होते हैं। मनुष्य के साथ उनका भी उतना ही पुराना सम्बन्ध है जितना पशुओं के साथ । संसार में भाति-भाति के पक्षी पाए जाते हैं। मोर इन पक्षियों में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
साधारण परिचय
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह अन्य पक्षियों से बहुत निराला और अनोखा पक्षी है। यह सबसे मन मोहक और आकर्षक पक्षी है। हमारे देश में यह बहुतायता से पाया जाता है।
आकार-प्रकार
मोर का आकार-प्रकार साधारण पक्षियों से बड़ा होता है। इसकी पूँछ बहुत लम्बी होती है। इसकी पूँछ रंग-बिरंगे पंखों से भरी रहती है। पंखों के बीच में गोल-गोल आकृतियाँ होती हैं। जो चन्द्रमा के समान दिखाई पड़ती हैं। ये आकृतियाँ अनेक सुन्दर रंगों वाली होती हैं। पूँछ को छोड़कर मोर के शरीर की लम्बाई 40-50 इंच और ऊँचाई पैर से सिर तक तीन-साढ़े तीन फुट होती है। इसका सिर छोटा और गोलाकार होता है। सिर के ऊपर एक बहुत सुन्दर कलगी होती है। मोर की चोंच छोटी होती है। इसकी गर्दन लम्बी होती है। इसके पैरों में पाँच–पाँच उँगलियाँ होती हैं। इसकी हर उँगली में तेज और लम्बे नाखून होते हैं। मोर के पैर भद्दे होते हैं। इसके शरीर का रंग हल्के हरे रंग का होता है जो रोओं से ढंका रहता है। मोर के शरीर पर काले धब्बे होते हैं। मोर अपनी पूँछ के लम्बे पंखों को फैलाकर नाचता है।
प्राप्ति स्थान
मोर भारत और श्रीलंका में विशेष रूप से पाए जाते हैं। ये जंगलों में रहना अधिक पसंद करते हैं। नदियों के किनारे के जंगलों में ये अधिक पाए जाते हैं। जलाशयों के पास रहना इन्हें अधिक पसंद है। आजकल जंगलों के अभाव में बागों और खेतों में भी रहने लगे हैं। मोर प्रायः जन संकुल अंचल में रहना पसंद नहीं करते हैं।
स्वभाव एवं खाद्य पदार्थ
मोर मुख्य रूप से जंगली पक्षी है। बहुत कोशिश करने पर यह पालतू भी बन जाता है। यह बहुत शांत और सरल स्वभाव का पक्षी है। इसके उड़ने वाले पंख बहुत कमजोर होते हैं। बहुत आवश्यकता पड़ने पर यह थोड़ी दूर तक उड़ भी लेता है किन्तु अधिक दूर तक नहीं। यह बहुत ऊँचाई तक नहीं उड़ सकता है। रात में यह पेड़ों पर रहता है। वर्षाकाल में यह बहुत प्रसन्न रहता है। वर्षा होने या बादलों को गरजने पर यह प्रसन्न हो जाता है। इस समय यह मोरनी के आस-पास अपने पंख फैलाकर नाचने लगता है। इसका नृत्य बहुत मन मोहक और आकर्षक होता है। मोर झुण्ड में रहना पसंद करता है। प्रायः आदमियों को देख यह डर कर भाग जाता है। गर्मी में इसके पंख झड़ जाते हैं और ठंडक की शुरुआत में नए पंख आने लगते हैं। मोरनी एक बार में दो से दस अण्डे देती है वह अण्डों को बहुत सावधानी से सेती है। मोर-मोरनी से सुन्दर और आकर्षक होता है।
मोर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों है। आवश्यकतानुसार वह दोनों प्रकार के आहार ग्रहण करता है। मोर साँप का शत्रु है। यह साँप को मारकर खा जाता है। साँप मोर से बहुत डरते हैं। साधारणत: मोर कीड़े-मकोड़े, हरी सब्जियाँ, अनाज के दाने आदि खाता है।
उपयोगिता
मोर मनुष्य के लिए मनोरंजन के साधन हैं। बहुत से लोग इसकी सुन्दरता के कारण पालते हैं। पालतू मोर बगीचों, मैदानों आदि में आराम से रहते हैं। साँप जैसे विषैले कीड़ों को खाकर यह मानव जाति की रक्षा करता है। मोर का नाच देखकर लोग मनोरंजन करते हैं। मोर के पंख से अनेक उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। नृत्य, नाटक आदि में मोर के पंखों का मुकुट बनाकर पहनते हैं। श्रीकृष्ण मोर का मुकुट धारण करते थे। इसके पंख से सुन्दर पंखे बनाए जाते हैं। इससे झाड़न भी बनाया जाता है।
उपसंहार
मोर की इन्हीं विशेषताओं के कारण भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय पक्षी स्वीकार किया। इसकी लोकप्रियता का रहस्य यह है कि यह संसार के सभी चिड़िया खानों में रखा गया है। मोर का पौराणिक महत्व भी है। हिन्दू मोर को श्रद्धा की दृष्टि देखते हैं। उनके देवता कार्तिकेय मोर पर सवारी करते हैं। श्रीकृष्ण मोर मुकुट धारण करते हैं। इन उदाहरणों से मोर की पवित्रता प्रमाणित होती है। मोर का इतना महत्व उसकी सुन्दरता, मनमोहक रूप के कारण ही है।
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