मैनें अपनी गर्मी की छुट्टी कैसे बितायी पर निबंध- Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi

In this article, we are providing an Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi मैनें अपनी गर्मी की छुट्टी कैसे बितायी पर निबंध | Essay in 100, 150. 200, 300, 500, 800 words For Students. Summer Vacation Essay in Hindi

मैनें अपनी गर्मी की छुट्टी कैसे बितायी पर निबंध पर निबंध’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है।

मैनें अपनी गर्मी की छुट्टी कैसे बितायी पर निबंध- Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi

 

( Essay-1 ) Maine apni Garmi ki Chhutti Kaise Bitayi par Nibandh ( 200 words )

मई मास की एक तारीख से विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद होने वाले थे। मेरे कुछ सम्पन्न सहपाठी अवकाश के मौके पर दिल्ली से बाहर किसी पर्वतीय स्थान पर बिताने की योजना बना रहे थे तो मेरे जैसे अधिकांश छात्र दिल्ली में ही रहकर अवकाश बिताने की बात कह रहे थे। मैं भी सोचने लगा कि अवकाश के दिनों का उपयोग किस प्रकार किया जाए। अन्ततः तीस अप्रैल को छुट्टी की घोषणा हो गई।

मैंने विचारा, कि घर की आर्थिक स्थिति के कारण मैं बाहर तो जा नहीं सकता, तो क्यों न ऐसा कार्यक्रम बनाएं कि अवकाश के दिनों के लिए मिला गृहकार्य भी हो जाए और अवकाश का आनंद भी प्राप्त कर लिया जाये। फलतः मैंने एक समय-तालिका बना ली और उसके अनुसार उसे क्रियान्वित करना आरंभ कर दिया।

मैं नित्य प्रातः उठकर बाग में जाने लगा। बाग में मैं दौड़ लगाता और हल्का व्यायाम भी करता । प्रातः की शीतल, मन्द, सुगंध वायु से और पक्षियों के कलरव से हृदय आनंद से परिपूर्ण हो जाता। इसके साथ ही मैंने एक कार्यक्रम भी बनाया कि मैं ग्रीष्मावकाश के दो भासों में दिल्ली के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को भी देख लूं। उसी के अनुसार मैंनें गांधी स्मारक और शास्त्री जी की समाधियां, लाल किला, चिड़ियाघर, कुतुबमीनार, ओखला, बिड़ला मंदिरे, राष्ट्रपति भवन, बुद्धापार्क के भी भली प्रकार दर्शन कर लिए। इस प्रकार दिल्ली में रहते हुए मैंने ग्रीष्मावकाश का पूरा सदुपयोग किया।

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( Essay-2 ) Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi ( 300 words )

मई मास की पन्द्रह तारीख से विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बन्द होने वाले थे। मेरे कुछ सम्पन्न सहपाठी अवकाश के ही मास दिल्ली से बाहर किसी पर्वतीय स्थान पर बिताने की योजना बना रहे थे तो मेरे जैसे अधिकांश छात्र दिल्ली में ही रहकर अवकाश बिताने की बात कर रहे थे। मैं भी सोचने लगा कि अवकाश के दिनों का उपयोग किस प्रकार किया जाए ! अन्ततः चौदह मई को छुट्टी की घोषणा हो गई ।

मैंने विचारा कि घर की आर्थिक स्थिति के कारण मैं बाहर तो जा नहीं सकता तो क्यों न ऐसा कार्यक्रम बनाएँ कि अवकाश के दिनों के लिए मिला गृहकार्य भी हो जाय और अवकाश के दिनों का आनन्द भी प्राप्त कर लिया जाये। फलतः मैंने एक समय-तालिका बना ली और उसके अनुसार उसे क्रियान्वित करना आरम्भ कर दिया ।

मैं नित्य प्रातः उठकर बाग में जाने लगा। बाग में मैं दौड़ लगाता और हल्का व्यायाम भी करता। प्रातः की शीतल, मन्द, सुगन्ध वायु से और पक्षियों के कलरव से हृदय आनन्द से परिपूर्ण हो जाता और शरीर – स्फूर्ति से भर जाता। बाग से लौटकर स्नान करता; स्नान के बाद पूजा करता। जब कलेवा करके अवकाश का ‘गृहकार्य’ करता । इसके पश्चात् मैं कुछ देर समाचार पत्र पढ़ता और माताजी को बाजार से आवश्यक सामान लाकर भी देता । मध्याह्न के समय भोजन कर कुछ देर विश्राम करता । तदन्नतर भाई-बहिनों के साथ कुछ खेल खेलता । पुनः सायं काल मित्रों के साथ बाग में जाकर खेलता और देश तथा समाज के सम्बन्ध में भी चिन्तन करता ।

इसके साथ ही मैंने एक कार्यक्रम यह भी बनाया कि मैं ग्रीष्मावकाश के दो मासों में दिल्ली के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को भी देख लूँ। उसी के अनुसार मैंने गाँधी-नेहरू और शास्त्रीजी की समाधियाँ, लाल किला, चिड़ियाघर, कुतुब मिनार, ओखला, बिड़ला मन्दिर, राष्ट्रपति भवन, बुद्धपार्क के भी भली प्रकार दर्शन कर लिए।

इस प्रकार दिल्ली में रहते हुए मैंने ग्रीष्मावकाश का पूरा सदुपयोग किया ।

 

How I Spent My Summer Vacation Hindi Essay

Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi

 

( Essay-3 ) Long Essay on How I Spent My Summer Vacation in Hindi

प्रस्तावना

गर्मी के कारण विद्यालय कुछ न कुछ समय के लिए छुट्टियाँ करते हैं। हमारे विद्यालय में भी इस वर्ष 1 मई से लगभग दो महीने की छुट्टियाँ हो गई। पिछले कई वर्षों से गर्मी से राहत पाने के लिए किसी ठण्डे इलाके में जाने की सोचते रहते थे, परन्तु पिताजी को समय न होने के कारण नहीं जा पाते थे । परन्तु अब की बार पिताजी ने किसी पर्वत की यात्रा करने की ‘हाँ’ कर दी। बस फिर क्या था हमने नैनीताल जाने का विचार बना लिया ।

नैनीताल जाने की तैयारी

नैनीताल जाने की तैयारी में लगभग दस दिन लग गए। अर्थात् हमको 10 मई को जाना था। इस बीच मैंने अपना गृह कार्य पूरा कर लिया । 10 मई के लिए हमारी टिकटें बुक थीं । अतः 9 मई की सायं तक अपना सारा सामान बाँध कर रख दिया । अगले दिन सवेरे 6 बजे की बस से नैनीताल के लिए रवाना होना था । उस रात हम भली प्रकार सो नहीं सके क्योंकि सुबह जल्दी उठना था। अतः हम सब सुबह 4 बजे उठ कर तैयार हुए और जल्दी ही घर से निकल पड़े। जाने वालों में हम पाँच प्राणी थे। मैं, बहिन नेहा, भाई नीतिन, पिताजी तथा माता जी। टैक्सी द्वारा कश्मीरी गेट बस अड्डा पहुँचे और अपनी बस में बैठ गए। थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी।

बस की यात्रा का अनुभव

हमारी बस तेज गति से मेरठ, मुरादाबाद, बरेली होती हुई लगभग चार बजे हल्द्वानी पहुँची। बस अड्डे पर जल-पान करके हमारी बस काठगोदाम होती हुई नैनीताल की सबसे सुन्दर जगह रानी बाग पहुँची । वहाँ कुछ ठण्ड लगी तो हमने गरम कपड़े पहने। रास्ते में हमको छोटे-छोटे खेत बहुत सुन्दर लग रहे थे । कुछ देर बाद हम नैनीताल के पास बस अड्डे पर पहुँच गए थे।

नैनीताल की सैर

हमने लगभग एक मास वहाँ गुजारा। हम नौका द्वारा तल्ली ताल से मल्लीताल पहुँचे, नैनादेवी के मन्दिर दर्शन करने गए। सायं को सुखद वातावरण में घूम फिर कर वहाँ का आनन्द उठाते रहे। हमने वहाँ लक्कड़-बग्घा, टीफमटाप, भीमताल, खुरपाताल आदि रमणीय स्थानों को देखा ।

निष्कर्ष

वहाँ पर एक मास रहकर लगभग 12 जून तक हम दिल्ली वापस आ गए। शेष समय विद्यालय के कार्य में बीत गया। इस प्रकार हमने अपना ग्रीष्मावकाश बिताया ।

 

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