हिमालय पर निबंध- Essay on Himalaya in Hindi

In this article, we are providing information about Himalaya in Hindi- An essay on Himalaya in Hindi Language. हिमालय पर्वत पर निबंध | Himalaya Essay in Hindi, Himalaya Parvat Par Nibandh in 100,200,250,300,500,600 words

हिमालय पर्वत पर निबंध | Himalaya Essay in Hindi ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है।

हिमालय पर निबंध- Essay on Himalaya in Hindi

Essay on Himalaya in Hindi

 

( Essay-1 ) हिमालय पर्वत पर निबंध | Himalaya par Nibandh ( 200 words )

हिमालय पर्वत भारत की उत्तर दिशा में है । यह दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है । इसीलिए इसे पर्वतराज कहते हैं । यह दीवार की तरह खड़े रहकर भारत को अत्यन्त शीतल पवन से बचाता है । यह कश्मीर से असम तक फैला हुआ है । इसकी लंबाई करीब बाईस सौ मील है । इसकी सबसे ऊँची चोटी का नाम गौरीशंकर है। इसलिए कई चोटियाँ पर सदा बर्फ जमी रहती है ।

हिमालय से गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्रा, सिन्धु आदि कई नदियाँ निकलती हैं । इनमें साल भर पानी रहता है । इन पर अनेक बाँध बनाये गये हैं। इनका पानी सिंचाई के लिए उपयोगी है । इनके पानी से बिजली का उत्पादन होता है।

हिमालय की गोद में कश्मीर जैसा सुन्दर प्रदेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे यात्रा – स्थल हैं । हिमालय में अनेक प्रकार की मूल्यवान् जड़ी- बूटियाँ मिलती हैं । वे औषध बनाने में उपयोगी हैं । हिमालय में घना जंगल है । इससे लकड़ी मिलती है । लकडी इंधन का काम करती है । उससे फर्नीचर बनाया जाता है ।

हिमालय हमें यह सन्देश देता है – “तुम मेरी तरह दृढ़ रहो । तुम बाधाओं, कष्टों और पीड़ाओं से मत विचलित हो जाओ। तुम नभ को छू सकते हो

Also Read-

10 Lines on Himalaya in Hindi

 

( Essay-2 ) Himalaya Par Nibandh | Essay in Hindi ( 250 words )

हिमालय संसार से सबसे बड़ा पर्वत है। इसलिए इसे पर्वतराज कहते हैं इसकी लम्बाई 2,500 किलोमीटर है। इसमें कई पर्वत श्रेणियाँ हैं जो एक-दूसरे के पीछे पश्चिम से पूर्व की ओर फैली हुई हैं। हिमालय की चौड़ाई सब जगह समान नहीं है। चौड़ाई कहीं 150 किलोमीटर है, तो कहीं 400 किलोमीटर। पश्चिम में चौड़ाई अधिक है, पूर्व में कम ।

हिमालय की दक्षिण की ओर फैली पर्वत श्रेणी ‘शिवालिक की पहाड़ियाँ’ कहलाती हैं। ये पहाड़ियाँ बालू, मिट्टी और कंकड़ों से बनी हैं। ये अधिक ऊँची नहीं हैं ।
शिवालिक की पहाड़ियों के उत्तर में जो श्रेणियाँ हैं, उन्हें ‘लघु हिमालय’ कहा जाता है। इन पर चीड़ और देवदार के पेड़ बहुत पाये जाते हैं । लघु हिमालय के निचले भागों में डलहौजी, शिमला, अल्मोड़ा, मसूरी, नैनीताल और दार्जिलिंग जैसे सुन्दर पहाड़ी नगर बसे हुए हैं, जहाँ देश-विदेश के लोग सैर करने जाते हैं।

लघु हिमालय के उत्तर में महा हिमालय पर्वत श्रेणी है। अपनी ऊँचाई के कारण यह संसार में प्रसिद्ध है। संसार में सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट इसी में है। कंचनजंगा चोटी भी इसी में है। नंदादेवी और नंगा पर्वत की चोटियाँ भी प्रसिद्ध हैं। महा हिमालय बर्फ से ढका रहता है। बर्फ धीरे-धीरे खिसककर घाटियों में आगे बढ़ती है। इन्हें हिम-नद कहा जाता है ।

कहीं-कहीं पर हिमालय में सुन्दर घाटियाँ हैं। कश्मीर की घाटी उनमें सबसे सुन्दर है।

पश्चिम में हिमालय की दो शाखाएँ हैं— हिन्दू-कुश अफगानिस्तान में और सुलेमान पाकिस्तान में है। हिमालय के उत्तर-पश्चिम में लद्दाख का पठारी प्रदेश भारत का ही भाग है।

गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि अनेक नदियाँ हिमालय से ही निकलती हैं। हिमालय की झीलें, झरने, वन, बाग, सीढ़ीनुमा खेत, आकाश को छूने वाले पेड़ और हिम से ढकी चोटियाँ देखकर मन मुग्ध हो जाता है।

 

( Essay-3 ) हिमालय पर निबंध |  Essay on Himalaya in Hindi ( 300 words )

हिमालय पर्वत संसार के सबसे ऊणचे पर्वतों में से एक है जिसे गिरीराज के नाम से भी जाना जाता है। हिमालय दो शब्दों से मिलकर बना है हिम और आलय जिसका अर्थ है बर्फ का घर। हिमालय भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और चीन से लगता है और संसार की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट हिमालय की ही चोटी हैं जो कि प्राचीन काल से हमलावरों से हमारी रक्षा करती आई है। हिमालय पर पूरा साल बर्फ पड़ती रहती है। हिमालय लंबाई में 2500 किलोमीटर और चौड़ाई में 612,021 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। हिमालय की गोद में कुदरत अपने रंग बिखेरती है। हिमालय 70 करोड़ वर्षौं से भी प्राचीन है। हिमालय पर्वत भारत को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह भारत की उतर सीमा से सटी हुई एक मजबूत दीवार है।

प्राचीन काल में भी हिमालय का बहुत महत्व रहा है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान शिवजी का घर है। गंगा, यमुना, गंगोत्री जैसी बहुत सी पवित्र नदियाँ हिमालय से ही निकलती हैं। हिमालय एक पवित्र स्थान भी है क्योंकि यहाँ पर बद्रीनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ और रिशीकेश जैसे बहुत से तीर्थ स्थल हैं। हिमालय कि कश्मीर की घाटी दुनिया की सबसे बड़ी और खुबसुरत घाटी है जो कि फल फूल और उद्यानों से भरी रहती है।

वैग्यानिकों के अनुसार हिमालय जीवंत है। उनका मानना है कि हिमालय हर वर्ष 20 मीलीमीटर बढ़ता है। मनुष्य के द्वारा पर्यायवरण को हानि पहुँचाने और खनन के कारण हिमालय में भूकंप और भूसंख्लन का खतरा बढ़ गया है। अत: हमें हिमालय की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। हिमालय की चढाई बहुत ही रोचक और खतरों से भरी हुई हैं। हिमालय भारत का गौरव है और रक्षक भी है। हिमालय पर्वत श्रंखला को युवा पर्वत श्रंखला में गिना जाता है।

 

( Essay-4 ) हिमालय पर निबंध | Essay on Himalaya in Hindi ( 600 words )

प्रस्तावना

हिमालय विश्व का एक महान पर्वत है। यह संसार का सबसे ऊँचा और सौन्दर्यशाली पहाड़ है। भारतवर्ष हर प्रकार की प्राकृतिक शोभा और सौन्दर्य से पूरित है। नदियाँ, पर्वत, वन, मैदान, रेगिस्तान आदि सभी प्राकृतिक उपादानों से भारत सुशोभित है। इसके तीन ओर समुद्र हिलोरें लेता है तो उत्तर दिशा में अचल, अडिग हिमगिरि प्रहरी बन कर अड़ा हुआ है। हिमालय पश्चिम से पूर्व तक भारत की उत्तरी सीमा पर 2400 किलोमीटर की लम्बाई में सुदृढ़ प्राचीर के समान फैला हुआ है। यह युगों से भारत की सुरक्षा करता आ रहा है। जैसे कोई पिता अपनी संतान का पालन-पोषण और रक्षा करता है।

प्राकृतिक सुषमा

हिमालय की प्राकृतिक शोभा और सुषमा अद्भुत है। यह प्रकृति की विविध साज-सज्जा से सुशोभित है। इसकी ऊँची-ऊँची चोटियाँ इसकी गौरव-गरिमा की भाँति आकाश को चूमती हैं। सफेद बर्फ से आच्छादित चोटियाँ चाँदी के समान चमकती रहती हैं और जब इन पर सूर्य की सुनहरी किरणें पड़ती हैं तो अनेक सौन्दर्यशाली रत्नों की सृष्टि होती है। बर्फ ढँकी चोटियों से पिघलने वाली बर्फ से स्वच्छ जलराशि फूटती रहती है जो अनेक जलधाराओं में कलकल-छलछल करती प्रवाहित होती रहती हैं। ये जल धाराएँ आगे बढ़कर गंगा, यमुना, सिन्ध, ब्रम्हपुत्र आदि नदियों का रूप ग्रहण करती हैं। हिमालय की घाटी में अनेक वन, बाग-बगीचे हैं जो इसकी प्राकृतिक शोभा में चार चाँद लगाते हैं। तरह-तरह के वृक्षों-लताओं से लदे फल-फूल हमारे हृदय में प्रसन्नता की हिलोरें उत्पन्न करते हैं। हिमालय की ही नहीं, वरन विश्व की सबसे ऊँची चोटी ‘एवरेस्ट’ है। इसके अतिरिक्त अन्य प्रसिद्ध चोटियाँ हैं- कैलाश, नन्दादेवी, कंचनजंघा आदि। हिमालय की चोटियों पर मँडराने वाले बादलों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों ये पंख लगाकर उन्मुक्त आकाश में उड़ान भर रहे हैं।

भारत का वरदान

हिमालय से भारत को अनेक लाभ है। अगर हिमालय न होता तो जो भारत हमें दिखाई पड़ता है उसका यह रूप न रहता जो आज है। इसलिए हिमालय को भारत का वरदान कहना सर्वथा उचित है। हिमालय ने भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है। राजनीतिक रूप से इसने सदा विदेशी आक्रमणकारियों से भारत की रक्षा की है। बड़ी से बड़ी शक्तिशाली सेनाओं के लिए भी इसके उतुंग शिखरों को पार करना असम्भव रहा है। आर्थिक दृष्टि से भारत के निर्माण और विकास में हिमालय की देन अकूत रही है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ इसके मैदानी भाग को उपजाऊ बनाती हैं। इन नदियों के माध्यम से व्यापार होते हैं। इसके अतिरिक्त हिमालय से भारत को अनेक आर्थिक लाभ है। यही मानसूनी हवाओं को रोक कर वर्षा करवाता है। अगर हिमालय न होता तो समूचा उत्तरी भारत रेगिस्तान होता है। भारत की संस्कृति के निर्माण में हिमालय का अभूतपूर्व योगदान रहा है। हिमालय से निकलने वाली गंगा और यमुना के तट पर भारत के अनेक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान अवस्थित हैं जो भारतीय संस्कृति के निर्माता हैं। हिमालय की कन्दराओं में आदिकाल से बड़े-बड़े योगी-यती, महात्मा, साधु-संत तपस्यारत रहे हैं। भगवान शिव का आवास कैलाश (हिमालय) पर ही स्थित है। भारत की सामाजिक संरचना में भी पर्वतराज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

निष्कर्ष

हिमालय भारत का गौरव – मुकुट है। इसके अस्तित्व से ही भारत का अस्तित्व है। हिमालय की गोद में दार्जिलिंग, मंसूरी, शिमला, नैनीताल आदि प्राकृतिक वैभव और सौन्दर्य से विभूषित पर्यटक स्थल बसे हैं जिनकी शोभा देखने के लिए प्रति वर्ष लाखों देशी-विदेशी सैलानी आते रहते हैं। गंगोत्री, हरिद्वार, ऋषिकेश, मानसरोवर, केदार–गौरी, बद्रीनारायण, वैष्णव देवी आदि तीर्थ स्थल यहीं पर हैं जिसके दर्शन के लिए हजारों-हजार दर्शनार्थी प्रतिवर्ष आते रहते हैं । यहाँ के वनों में असंख्य जड़ी-बूटियों का भंडार है जो अनेक महत्वपूर्ण औषधियाँ बनाने के काम आती हैं। तात्पर्य यह है कि हिमालय भारत का निर्माता, रक्षक, पोषक है। भारत और हिमालय का गहरा सम्बन्ध है। दोनों का अस्तित्व एक दूसरे पर निर्भर है। हिमालय की महिमा का जितना भी गुणगान किया जाए वह थोड़ा है। इसीलिए हिमालय को देवात्मा कहा जाता है, क्योंकि यह देवों की आवास-भूमि है।

# Paragraph on Himalaya in Hindi

Read Also-

Essay on Kashmir in Hindi

Mere Sapno Ka Bharat Essay

Essay on Parvatiya Yatra in Hindi

ध्यान दें– प्रिय दर्शकों Essay on Himalaya in Hindi आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे

1 thought on “हिमालय पर निबंध- Essay on Himalaya in Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *