रेल यात्रा पर निबंध- Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh | Essay

In this article, we are providing an Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh रेल यात्रा पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500 words For Students. Train Journey Essay in Hindi

रेल यात्रा पर निबंध- Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh | Essay

 

A short Essay on Train Journey in Hindi ( 150 words )

गरमी की छुट्टियों में हमने मुंबई जाना तय किया । यह एक दिन का रेलगाड़ी का सफर था ।

पिता जी टिकटें ले आए और हम सबने बहुत उत्साहपूर्वक अपना सामान बाँधा। हम टैक्सी द्वारा स्टेशन तक पहुँचे। कुली ने हमें भीड़ से निकालकर हमारी रेलगाड़ी तक पहुँचाया। हमारी आमने-सामने की ही सीटें थीं। धीरे-धीरे रेल चलना शुरू हुई और छुक-छुक की आवाज़ आने लगी।

रेल की गति बढ़ी और बाहर की सभी चीज़ें तेज़ी से पीछे जाने लगीं। खेत, गाँव, कभी-कभी वाहन, आदमी, जानवर आदि झट से दिखाई पड़ते और फट से गायब हो जाते।

बीच-बीच में स्टेशन भी आए। हमनें कहीं से चाय और कहीं से कुछ खाने-पीने का सामान भी खरीदा। रात में सोते-सोते रेल के झूले बहुत अच्छे लगते थे। अगले दिन भी हम बाहर के दृश्यों पर मोहित होते रहे और कब मुंबई पहुँच गए, पता भी न चला।

 

Rail Yatra Par Nibandh | Essay ( 200 words )

सर्दी की छुट्टियाँ थीं। पहाड़ों में बर्फ़ कैसे गिरती है, मैं यह देखना चाहती थी। माँ ने मामा जी के यहाँ मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया।

पिता जी रेल की टिकट लाए। माँ ने सामान बाँधा । ऑटोरिक्शा में बैठ हम स्टेशन पहुँचे। रेलवे स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। कुली सामान इधर से उधर ढो रहे थे । ठेले वाले आवाज़ें लगाकर अपना-अपना सामान बेच रहे थे । भीड़ से निकलकर हम रेल में बैठे। रेल चली। धीरे-धीरे छुक-छुक की आवाज़ तेज़ होने लगी।

रेल ने अपनी गति बढ़ाई। पेड़ पीछे दौड़ रहे थे। कभी खेत आते, कभी गाँव। सब पीछे छूट रहे थे। तेज़ हवा चल रही थी। कभी-कभी तो बाहर चलते आदमी भी दिखाई नहीं देते थे। कभी-कभी मुड़ते समय रेल हिलती, तो मैं डर जाती थी। कभी नीचे नदी या नाला आता तो रेल चींटी की चाल चलती। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। बीच-बीच में स्टेशन आते। तरह-तरह की चीजें बेचने वाले आते। हम खाते-पीते मसूरी कब पहुँच गए, पता ही नहीं चला।

जरूर पढ़े-

Essay on Parvatiya Yatra in Hindi

Kisi Yatra Ka Varnan essay in Hindi

 

रेल यात्रा पर निबंध- Rail Yatra Par Nibandh ( 250 words )

गर्मी की छुट्टी थी । हम सब नानी के घर दिल्ली जा रहे थे । हमने अपना सामान बांधा और स्टेशन पहुँचे । पिताजी ने पहले ही टिकट ले लिया था । हमारी रेल सामने ही लगी थी । हम अपनी सीट पर पहुँचे, अपना सामान लगाया और बैठ गए ।

हमारे आस-पास दूसरे लोग भी बैठे थे । थोड़ी देर बाद रेल चल पड़ी । स्टेशन पीछे छूट गया । रास्ते के पेड़-पौधे पीछे भागते से लग रहे थे । बाहर का दृश्य बहुत सुन्दर था । दूर तक हरियाली, जंगल और पहाड़ थे । रेल कभी छोटे गाँव से गुजरती । गाँव के बच्चे रेल देख खुश होते । टा-टा करते । रेल एक नदी के पुल से गुजरी । अजब-सा शोर हुआ। कुछ लोगों ने नदी में सिक्के फेंके ।

रेल स्टेशनों पर रुकती जाती। स्टेशन आते ही शोर होने लगता । लोग रेल पर चढ़ने-उतरने लगते । तरह-तरह की चीजें बेचनेवाला आता । खोमचेवाले आवाज लगाते । चाय चाय की पुकार मच जाती । हम तरह-तरह की चीजें खाते । पत्रिका बेचनेवाला भी आया । मैंने चाचा चौधरी का कॉमिक्स लिया । रेल फिर चल पड़ी । मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था ।

रात होते ही लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं भी खाना खाकर अपने बर्थ पर लेट गई । रेल बड़ी तेज भाग रही थी । मैं बर्थ पर लेटी हिल रही थी । लग रहा था किसी झूले पर हूँ। फिर मुझे नींद आ गई ।

सुबह माँ ने उठाया । हम दिल्ली पहुँच गए थे । हमने अपना सामान समेटा और उतर पड़े ।

 

मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Meri Pehli Rail Yatra par Nibandh ( 450 to 500 words )

यात्रा का अपना ही आनन्द होता है और फिर रेलयात्रा की तो बात ही कुछ और है। मैं अपनी प्रथम रेलयात्रा को आज तक नहीं भूल पाया हूँ। उस समय मेरी आयु नौ-दस वर्ष की थी जब मैंने सबसे पहले रेल से यात्रा की। इससे पहले मैं अपनी माताजी के साथ बस द्वारा तो कई बार आ जा चुका था। पिताजी जब अपनी रेल यात्रा का जिक्र किया करते थे तो मेरे मन में भी रेल यात्रा की तीव्र इच्छा पैदा हो जाती थी ।

उस वर्ष जब एक दिन पिताजी ने आकर बताया कि इस वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में हम सब चेन्नई जा रहे हैं तो यह सुनकर मेरी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। मार्च मास में ही पिताजी ने सीटों का आरक्षण करवा लिया था क्योंकि बाद में टिकटों का मिलना असम्भव था। हमारी यह यात्रा तमिलनाडु एक्सप्रेस से थी। परीक्षा समाप्त होते ही हमने यात्रा की तैयारियाँ शुरू कर दीं। जिस दिन हमें जाना था उससे पहली रात तो मैं रेलयात्रा की उत्सुकता में सो भी नहीं सका । हमारी ट्रेन रात्रि के 10.30 बजे चलती थी। परन्तु मैं तो सन्ध्या होते ही स्टेशन चलने की जल्दी मचाने लगा था। 8.30 बजे हम थ्री-विलर से नई-दिल्ली स्टेशन के लिए चले। स्टेशन पहुँचकर वहाँ की इमारत तथा भीड़ देखकर मैं चकित रह गया । वहाँ कुलियों ने हमें घेर लिया। पिता जी ने एक कुली से समान उठवाया। हम प्लेटफार्म पर पहुँचकर अपने डिब्बे में जा पहुँचे। सामान ठीक से रखने के बाद हम आराम से अपने सीट पर बैठ गए।

पिताजी पानी की बोतल में ठण्डा पानी भर लाए। ठीक 10.30 बजे ट्रेन चल दी। थोड़ी ही देर में टी. टी महोदय ने आकर हमारी टिकट देखी। हमने अपनी-अपनी बर्थ पर अपने बिस्तर लगा लिए। मुझे नीचे की बर्थ मिली। मुझे नींद नहीं आ रही थीं, परन्तु मैं कब सो गया मुझे पता नहीं चला। सुबह जब मेरी आँख खुली तो हमारी ट्रेन हरे-भरे खेतों के बीच से गुजर रही थी। ऐसे लगता था मानो खेत और पेड़ चल रहे हों। यह दृश्य बड़ा ही मोहक था। हमने उठकर हाथ-मुँह धोया । तभी ट्रेन में ही गरमा-गरम नाश्ता कॉफी मिल गई। मुझे रेल में बैठकर नाश्ता करना बड़ा अच्छा लग रहा था। पिताजी ने दोपहर तथा रात के खाने का ऑर्डर भी दे दिया। हमें ट्रेन में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। यह ट्रेन बहुत कम स्टेशनों पर रुकती थी। जहाँ कहीं रुकती पिता जी नीचे उतरकर हमारे लिए कुछ न कुछ ले आते। मैं अपने साथ कहानियों की दो पुस्तकें भी ले गया था, जिन्हें मैंने रेल में ही पढ़ लिया। तीसरे दिन द्रोपहर को हम चेन्नई पहुँच गए। यह थी मेरी प्रथम रेल यात्रा ।

 

———————————–

दोस्तों इस लेख के ऊपर Rail Yatra Par Nibandh (रेल यात्रा पर निबंध ) आपके क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

Essay on Train Journey in Hindi‘ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Meri Pratham Rail Yatra par Nibandh

Rail Yatra essay in hindi

10 lines on Train Journey

10 lines on Train Journey in Hindi

Train Journey nibandh

Rail Yatra Essay

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *