तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास- Tirupati Balaji Temple History In Hindi

In this article, we are providing information about Tirupati Balaji in Hindi- Tirupati Balaji Temple History In Hindi Language. हिस्ट्री ऑफ तिरुपति बालाजी टेम्पल | तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और तथ्य

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास- Tirupati Balaji Temple History In Hindi

तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश में तिरूमाला तिरूपति के साँतवी पहाड़ी पर स्थित है। प्रभु वेंकटेश्वर स्वामी या बालाजी जिन्हें विष्णु भगवान का रूप माना जाता है यहाँ पर विराजमान है। वैकुंड एकाद्शी के दिन यहाँ पर भक्त प्रभु के दर्शन करने जाते हैं।

Tirupati Balaji Temple History In Hindi

History of Tirupati Balaji काँचीपूरम के शासक वंश पल्लव ने 9वीं शताब्दी में जब इस स्थान पर अधिकार स्थापित किया था तब से ही इस मंदिर का इतिहास शुरू हुआ था। लेकिन 15वीं शताब्दी में विजयनगर वंश के शासन में इस मंदिर की ख्याति सीमित ही रही। 1843-1933 तक मंदिर का कार्यभार हाथीरामजी मठ के महंत ने संभाला था। मंदिर का प्रबंधन 1933 में मद्रास सरकार ने अपने हाथ में लिया और बाद में उसे स्वतंत्र समीति तिरूमाला- तिरुपति को सौंप दिया था।

तिरुपति बालाजी मंदिर की वस्तु कला | Architecture Information about Tirupati Balaji Temple in Hindi

तिरुपति बालाजी मंदिर 26.75 किलोमीटर वर्ग के क्षेत्र में बसा हुआ है। यह वेकेटंद्री नामक सातवी पहाड़ी पर स्थित है जो कि श्री स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे पर स्थित है। इस मंदिर में जहाँ पर वेंकेटश्वर भगवान की स्वयं प्रकट हुई मूर्ति है उसे आंनद निलायम कहा जाता है जिसमें भोगश्रीनिवास मूर्ती की सुंदर मूर्ति भी है जिसे सुप्रभातसेवा के समय पर देवता के चरणों में रख दिया जाता है। गर्भगृह में वेंकटेश्वर की मूर्ति है जिसका मुख पूर्व की तरफ है। यह मंदिर समुद्र की सतह से 865 मीटर ऊँचे पर्वत पर स्थित है। यह विष्णु भगवान के 8 स्वयंभू मंदिरों में से एक है। यर विश्व का सबसे समृद्ध और प्रसिद्ध मंदिक है जो कि द्रवडियन वास्तु शैली में बना है।

तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Tirupati Balaji Temple Information and Facts in Hindi

1. इस मंदिर में बिना घी तेल के अखंड ज्योत जलती है।

2. यहाँ पर वेंकटेश्वर महाराज के बालों को असली बताया जाता है जो कि हमेशा मुलायम रहते हैं और कभी भी नहीं उलझते।

3. बालाजी की मूर्ति से कान लगाकर सुनने पर समुद्र के प्रवाहित होने की आवाज सुनाई देती है और इसी वजह से उनकी मुर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है।

4. गुरवार के दिन पूरी मूर्ति पर चंदन का लेप किया जाता है और जब उसे साफ किया जाता है तो उसमें देवी लक्ष्मी की प्रतिमा दिखाई देती है।

5. पचाई कपूर को यदि दिवार पर रगड़ा जाए तो वह चटक जाता है जबकि भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति की सफाई इससे ही की जाती है और उसे कोई हानि नहीं पहुँचती है।

6. मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं तरफ एक छड़ी है जिससे उनके बाल स्वरूप की पिटाई की जाती है और तिरुपति बालाजी की ठोड़ी पर चोट लगी थी जिसे भरने के लिए पुजारी वहाँ पर चंदन का लेप लगाते हैं।

7. जिस पर्वत पर मंदिर बने है उसे शेषांचल कहते हैं और इसकी सात चोटीयाँ शेषनाग का प्रतीक माना जाता है।

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