काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास- Kashi Vishwanath Temple History in Hindi

In this article, we are providing information about Kashi Vishwanath Temple in Hindi- Kashi Vishwanath Temple History in Hindi Language. हिस्ट्री ऑफ काशी विश्वनाथ टेम्पल | काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास और तथ्य

काशी विश्वनाथ मन्दिर का इतिहास- Kashi Vishwanath Temple History in Hindi

काशी विश्वनाथ मंदिर शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह मंदिर उतर प्रदेश के वाराणसी जनपद में काशी में स्थित है। काशी मंदिर का हिंदुओं में विशेष स्थान है। यहाँ पर जाने से और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ती होती है। यह शिवजी की प्रिय नगरी है और इसे आनंदवन और आनंदकानन के नाम से भी जाना जाता है।

Kashi Vishwanath Temple History in Hindi

Kashi Vishwanath Mandir Ka Itihas in Hindi काशी के मंदिर को सुंदर रूप 17वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्लयाभाई होल्कर ने 1780 में करवाया था जो कि शिवजी की भक्त थी। वर्तमान में जो मंदिर है उसे चौथी बार बनाया गया है। इससे पहले 1585 में बनारस से आए व्यापारी टोडरमल ने मंदिर को बनवाया था जिसे 1669 में ओरंगजेब के शासन काल में ध्वस्त कर दिया गया था। 1835 में राजा रंजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को सोने से मंढवा दिया था। कहा जाता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब सूर्य की सबसे पहली किरण काशी पर ही गिरी थी।

काशी विश्वनाथ मन्दिर की वस्तु कला | Architecture Information about Kashi Vishwanath Temple in Hindi

विश्वनाथ मंदिर के भीतर एक मंडप और गर्भगृह है। इसमें एक कुआ भी है जिसे ग्यानवापी की संग्या भी दी गई है। गर्भगृह में चाँदी से मंढा हुआ 60 सेंटीमीटर ऊँचा शिवलिंग है जो कि काले पत्थर से बना हुआ है और ईशान कोण में स्थित है।विश्वनाथ मंदिर के आस पास बहुत से मंदिर और पीठ बने हुए है। काशी विश्वनाथ मंदिर दो भागों में बना हुआ है जिसमें दाहिने हाथ को माँ भगवती विराजती है और दुसरी तरफ सुंदर रूप में शिवजी। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो शक्ति के साथ विराजमान है। तंत्र के अनुसार इसमें शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार और निवृति द्वार नामक चार द्वार भी है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे पर स्थित है।

काशी विश्वनाथ मन्दिर से जुड़े रोचक तथ्य | Kashi Vishwanath Temple Information and Facts in Hindi

1. यहाँ के गर्भगृह पर शिखर है जिसका गुबंद श्री यंत्र से मुंडित है। यह जगह तांत्रिक विद्या सिखने के लिए है।

2. मंदिर के शिखर पर लगे सोने के छत्र को देखने के पश्चात जो भी प्रार्थना की जाती है वह अवश्य पूरी होती है।

3. कहा जाता है कि यहाँ पर शिवजी स्वंय मृत व्यक्ति को कान में तारक मंत्र बोलते हैं जिससे उसे मुक्ति की प्राप्ती होती है और इसी कारण बाबा विश्वनाथ को ताड़केश्वर भी कहा जाता है।

4. शृंगार के समय सभी मुर्तियों का मुख पश्चिम की तरफ होता है।

5. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण में है जो उतर की तरफ जाता है और वहाँ बाबा के अघोर रूप के दर्शन होते है।

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