मैसूर पैलेस का इतिहास- Mysore Palace History in Hindi

In this article, we are providing information about Mysore Palace in Hindi- Mysore Palace History in Hindi Language. हिस्ट्री ऑफ मैसूर महल | मैसूर पैलेस का इतिहास

मैसूर पैलेस का इतिहास- Mysore Palace History in Hindi

मैसूर महल दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में स्थित एक खुबसुरत और ऐतिहासिक महल है। इस महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महल भारत आने वाले यात्रियों के आकर्षण का एक मुख्य केंद्र है।

Mysore Palace History in Hindi

Mysore Palace ka Itihas मैसूर पैलेस को महाराज राजर्षि महामहिम कृष्णराजेंद्र वाडियार चतुर्थ ने बनवाया था। इस महल को बनने में लगभग 15 साल का समय लगा था। इसका निर्माण कार्य 1897 में शुरू हुआ था और यह महल 1912 में बनकर तैयार हुआ था। पहले राजमहल चंदन की लकड़ियों से बना हुआ था जिसको भारी हानि पहुँचने पर राजमहल के रूप में नए पैलेस का निर्माण करवाया गया। इस महल के बनने के बाद इसमें इतिहास में एक बार भी बदलाव नहीं किए गए हैं।

मैसूर महल की वस्तु कला | Architecture Information about Mysore Palace in Hindi

मैसूर महल को बेहद अद्भुत ढंग से बनाया गया है। यह द्रविड़, पूर्वी और रोमन स्थापत्य कला के मिश्रण से बना है। इसे स्लेटी पत्थरों से बनाया गया है और गुलाबी रंग के पत्थरों से बने गुबंद से सजा हुआ है।

महल में प्रवेश करते ही प्रवेशद्वार के दाहिने तरफ सोने के कलश से सजा मंदिर है और इसके दुसरे छोर पर भी वैसा ही मंदिर है जो कि दुर से देखने पर धुँधला नजर आता है। इनके विपरीत दिशा में मुख्य भवन है और बीच में एक बगीचा है। महल की दिवारों पर दशहरा के चित्र भी बने हैं जो कि सजीव लगते हैं। अंदर जाते ही एक बहुत बड़ा कक्ष है जिसके गलियारे के कोने में थोड़ी थोड़ी पर स्तंभ लगे हुए है। इस कक्ष में स्तंभ और छत पर सुनहरी नक्काशी की गई है। इसकी दिवारों पर कृष्णराजेंद्र वाडियार के जीवन से जुड़े चित्र लगे है जिनमें से ज्यादातर चित्र राजा राव वर्मा ने बनाए थे। कक्ष के बीच में छत की जगह एक रंग बिरंगे शीशों से बना ऊँचा गुबंद है जो कि सूरज और चाँद की रोशनी को एकत्रित करता है।

निचले कक्ष को देखने ये पहले दो तल हैं जिसमें पहले तल की सीढ़ियाँ चौड़ी है और उसे पूजा तल कहा जाता है जिसमें देवी देवताओं की तस्वीर लगी हुई है।

दुसरे तल पर दरबार हॉल है जिसमें बीच का एक भाग सुनहरे संतंभों द्वारा घिरा हुआ है। इस घेरे के दाईं और बाईं तरफ दो गोलाकार स्थान हैं। इसी तल को पिछले भाग में एक कक्ष में तीन सिंहासन है – महाराज, महारानी और युवराज के लिए। पुराने चंदन की लकड़ियो से बने महल को स्थान पर अब संग्रहालय है। महल में एक दुर्ग भी है जिसके गुंबद को सोने की पत्रिकाओं से सजाया गया है। महल में गोम्बे थोट्टी और गुड़ियाघर भी है जिसमें गुड़ियाओं को एकत्रित करके रखा गया है। सोने से बने राजसिंहासन की दशहरे पर प्रदर्शनी लगाई जाती है। गोम्बे थोट्टी के सामने सात तोपें रखी गई है। गजद्वार से हो कर महल के मध्य में पहुँचा जा सकता है जहाँ पर विवाह मंडप है। महल में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास भी है। यहाँ पर हथियार रखने के लिए भी कक्ष है।

# History of Mysore Palace in Hindi

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