जीवन में खेलों का महत्त्व पर निबंध | Jivan Mein Khelon Ka Mahatva Nibandh | Essay

In this article, we are providing an Jivan Mein Khelon Ka Mahatva Nibandh | Essay in Hindi जीवन में खेलों का महत्त्व पर निबंध हिंदी में | Essay in 200, 300, 500, 600 words For Students. Importance Of Sports In Life Essay in Hindi.

जीवन में खेलों का महत्त्व पर निबंध | Jivan Mein Khelon Ka Mahatva Nibandh

 

Jeevan Mein Khelo Ka Mahatva Essay in Hindi ( 300 words )

स्वस्थ शरीर जीवन की पहली आवश्यकता है। ठीक ही कहा गया हैं- पहला सुख निरोगी काया । स्वस्थ शरीर एक नियामत है। यदि मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक होगा तो वह सुखी रह सकेगा। निर्बल और अस्वस्थ व्यक्ति जीवन में कभी सफल तथा सुखी नहीं बन सकता। वह किसी भी काम को ठीक तरह से नहीं कर सकेगा। इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य की ओर से कभी असावधान नहीं रहना चाहिए।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, खेलकूद, जिम्नास्टिक आदि अनेक साधन हैं। व्यायाम तथा जिम्नास्टिक से शरीर स्वस्थ तो रहता है, परन्तु इनसे मनोरंजन नहीं होता। ये दोनों साधन नीरस हैं। इसके विपरीत खेलों से व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है। अतः व्यायाम और खेलकूद का गहरा सम्बन्ध है। यही कारण है कि विद्यार्थियों की रुचि व्यायाम की अपेक्षा खेल- में अधिक रहती -कूद है। वे खेलकूद में भाग लेकर स्वस्थ रहते हैं।

खेल-कूद से स्वास्थ्य तो बनता ही है, इसके अतिरिक्त अन्य कई लाभ भी हैं। खेलो से मनोरंजन होता है, शरीर चुस्त रहता है, बुद्धि का विकास होता है। सहयोग, उदारता, मेलजोल, अनुशासन की भावना आदि गुण खेलों में भाग लेने से अपने-आप आ जाते हैं। खेलकूद में भाग लेने से खिलाड़ियों में खेल भावना का विकास होता है। स्वामी विवेकानन्द जी के अनुसार – “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।”

खेलों से केवल खिलाड़ियों का ही नहीं देखने तथा सुननेवालों का भी मनोरंजन होता है। क्रिकेट, हॉकी आदि के मैचों के अवसर पर रेडियो तथा टी० वी० पर लगी भीड़ इस बात का प्रमाण है। खेल के मैदान में खिलाड़ियों से अधिक उत्साह दर्शकों में दिखाई देता है। सभी देशों में खेलकूद पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हर स्तर पर खेलों का आयोजन किया जाता हैं। विदेशों में खेलकूद पर अधिक ध्यान दिया जाता है। परन्तु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में इस ओर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए, नहीं दिया जा रहा है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि खेलों में भाग लेकर हम अपना स्वास्थ्य तो ठीक रखते ही हैं साथ ही अपने विद्यालय, कार्यालय तथा देश का नाम भी उज्ज्वल करते हैं।

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Jivan Mein Khelon ka Mahatva Essay in Hindi ( 600 words )

आज के समय में ‘खेल’ स्कूली शिक्षा के अविभाज्य अंग बन गये हैं । हाल के दिनों में शिक्षाविदों, अध्यापकों और स्कूल प्रशासकों ने स्कूली जीवन में खेलों और क्रीड़ा के महत्व को अच्छी तरह से महसूस किया है । एक जमाना था जब खेलों को मांसपेशियों के लिए थोड़ा व्यायाम करने और छात्रों को विश्राम का समय देने के लिए ‘अवकाश का पीरियड’ भर माना जाता था, किन्तु आज इसके मूल्य को अच्छी तरह से स्वीकार कर लिया गया है और इसे स्कूल के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।

खेलों को स्कूल की पढ़ाई के साथ जोड़े जाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण या उद्देश्य है छात्रों की जन्मजात खेल प्रतिभा का विकास करना। यदि उचित अवसर प्रदान किये जाएँ तो ऊर्जा और उत्साह से भरे बच्चे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। स्कूल केवल ऐसा स्थान मात्र नहीं है जहाँ केवल छात्र की मानसिक क्षमताओं का ही विकास किया जाता है बल्कि वह ऐसा स्थान भी है जहाँ वे अपनी छुपी हुई खेल प्रतिभाओं का भी विकास कर सकते हैं। हमारे देश की पी.टी. उषा, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, अंजू बॉबी जार्ज आदि कोई चाँद से उतरी हुई खेल प्रतिभाएँ नहीं हैं। उन्होंने अपने स्कूली जीवन के दौरान ही अपनी प्रतिभा को जाना- पहचाना और तराशा था ।

स्कूली जीवन की एकरसता को तोड़ने में खेलों के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती। सामान्य तौर पर कई पीरियड की पढ़ाई के बाद खेलने का अवसर दिया जाता है। यह छात्रों को थोड़ा विश्राम लेने में सहायता करता है । यह उन्हें उत्साह और नई ऊजा प्रदान करता है। खेलों के माध्यम से मन- मस्तिष्क को कुछ देर के लिए पढ़ाई के दबाव से मुक्त रखने से बच्चे की सीखने की प्रक्रिया को तेजी मिलती है। आज हमारे बच्चे पढ़ाई के अत्यधिक बोझ से दबे होते हैं। इस संदर्भ में खेल उनके लिए राहत और ऊर्जा का स्रोत बन सकते हैं।

खेलों के शारीरिक लाभ के पक्ष की भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। जब बच्चे आसपास दौड़ते हैं, घूमते-फिरते हैं और व्यायाम करते हैं और खेलों के जरिए खुली हवा में विभिन्न प्रकार की खेल गतिविधियों में लगे रहते हैं तो इससे शरीर को लाभ मिलता है। उनका शरीर विकसित होता है, मांसपेशियों का विकास होता है और मस्तिष्क को विश्राम मिलता है। यह उन्हें शारीरिक रूप से फुर्तीला और स्वस्थ बनाता है। डाक्टर अक्सर कहते हैं कि जो बच्चे अपना अधिकांश समय आलस्य में अथवा बहुत अधिक पढ़ाई और अध्ययन में खर्च कर बिता देते हैं वे शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों की तुलना में शारीरिक परेशानियों के ज्यादा शिकार बनते हैं।

खेलों और क्रीड़ा का एक और अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है छात्रों या खिलाड़ियों में अनुशासन की भावना भरना। खेलों और प्रतियोगिताओं में बच्चे नियमों से आबद्ध रहना, रेफरी के निर्णय को मानना और उकसाये जाने पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना जैसी बातें सीखते हैं। खेलों, विशेष रूप से खुले मैदानों में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में काफी हद तक स्व-नियंत्रण, आज्ञाकारी व्यवहार और अनुशासित सहभागिता की आवश्यकता होती है। यह उन्हें जीत ही नहीं हार को भी सम्मानपूर्ण तरीके से स्वीकार करने की शिक्षा देता है।

हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आने वाले दिनों में स्कूल के पाठ्यक्रमों में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और वह स्वयं एक अकादमिक या शैक्षणिक विषय बन सकता है । शैक्षणिक पहलू के अलावा खेल छात्रों में अनुशासन का गुण रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कैरियर के अच्छे अवसर भी प्रदान करते हैं । ये विश्राम और मनोरंजन प्रदान करते हैं और स्कूली जीवन को जीवंत और उत्साहपूर्ण बनाने के साथ-साथ छात्रों को शारीरिक रूप सें फिट (स्वस्थ ) और मानसिक रूप से फुर्तीला बनाये रखते हैं ।

 

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Jeevan Mein Khelon Ka Mahatva Par Nibandh’ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

khelo ka mahatva nibandh
Essay on Importance of sports in Life in Hindi

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