In this article, we are sharing a Panchatantra Moral story- Batuni Kachua Story in Hindi- Talkative Tortoise Moral Story in Hindi for Students and Kids.
बातूनी कछुए की कहानी- Batuni Kachua Story in Hindi
Murkh Kachua Story in Hindi | बातूनी कछुए की कहानी
किसी जंगल में एक तालाब था। तालाब के किनारे एक पेड़ था। तालाब में एक कछुआ रहता था। पेड़ पर दो बगुलों का जोड़ा रहता था। कछुआ बहुत बातूनी था। कछुए की उन बगुलों से दोस्ती थी। तीनों आपस में खूब बातें किया करते थे।
एक बार उस जंगल में वर्षा नहीं हुई। तालाब का पानी सूखने लगा। जंगल के सभी पशु-पक्षी पानी की तलाश में दूसरी जगह जाने लगे। उन दोनों बगुलों ने भी उस पेड़ को छोड़ने का निश्चय किया।
जाने से पहले उन्होंने कछुए से कहा-“कि हम इस तालाब को छोड़कर जा रहे हैं।” कछुए ने कहा-“मैं तुम्हारा मित्र हूँ, मुझे भी अपने साथ ले चलो।” बगुले बोले-“मित्र हम भी तुम्हें छोड़ना नहीं चाहते। परन्तु क्या करे। हम तो उड़कर दूसरी जगह जा सकते हैं। परन्तु तुम तो उड़ नहीं सकते।”
बगुलों की बात सुनकर कछुए ने कहा-“यह ठीक है कि मैं उड़ नहीं सकता। परन्तु यदि तुम मुझे अपने साथ ले जाना चाहो तो मैं तुम्हें एक तरकीब बताऊँ।”
बगुलों ने कहा “हाँ हाँ, हम तुम्हें अपने साथ ले जाना चाहते हैं। कछुए ने कहा, “तुम एक मजबूत लकड़ी ले आओ। उसके दोनों किनारों को तुम अपनी चोंच से पकड़ लेना। मैं लकड़ी को बीच से पकड़कर लटक जाऊँगा। इस प्रकार तुम मुझे भी अपने साथ उड़ाकर ले जा सकते हो।” बगुले एक मजबूत लकड़ी ले आए। उन्होंने कछुए से कहा-“तुम ठहरे बहुत बातूनी। यदि तुमने मुँह खोला तो तुम । गिरकर मर जाओगे। अत: वायदा करो कि अपना मुँह बन्द रखोगे।”
कछुए ने वायदा किया कि वह चुप रहेगा। बगुले लकड़ी के साथ कछुए को लेकर उड़ चले। जब वे सड़क के ऊपर उड़ते जा रहे थे तब सड़क पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। उन्होंने ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा था। वे हँसने और तालियाँ बजाने लगे। उन्हें हँसते हुए देखकर कछुए को बड़ा गुस्सा आ गया। उसने कुछ कहने के लिए जैसे ही मुँह खोलना चाहा कि लकड़ी छूट गई और वह नीचे गिरकर मर गया।
शिक्षा- पहले सोचो, फिर बोलो।
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