कर्म ही पूजा है पर निबंध- Work is Worship Essay in Hindi

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कर्म ही पूजा है पर निबंध- Work is Worship Essay in Hindi

( Essay -1 ) Essay on Work is Worship in Hindi ( 300 words )

मनुष्य भगवान के द्वारा बनाया गया सबसे श्रेष्ठ प्राणी है लेकिन कोई भी व्यक्ति श्रेष्ठ तभी होता है जब वह अच्छे कर्म करता है। कर्म करने से ही मनुष्य की गति होती है। कर्म को बिना मनुष्य इस पृथ्वी पर कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है। मनुष्य का फर्ज है कर्म करना और उसके कर्मों का फल ही उसे अच्छे या बुरे परिणाम के रूप में मिलता है। मनुष्य के लिए कर्म ही उसकी पूजा है क्योंकि वह अपने कर्मों से ही प्रभू के द्वारा जाना जाता है। मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे वैसा बी परिणाम मिलता है।

कर्म का अर्थ होता है किसी भी कार्य को लग्न से करना लेकिन यदि उसी कार्य में थोड़ी सी श्रद्धा भी डाल दी जाए तो वह कर्म पूजा बन जाती है और उसमें हमें सफलता अवश्य ही मिलती है। हर वह काम जिसे हम पूरी लग्न और श्रदिधा के साथ करते हैं हमारे लिए पूजा ही है। किसी भी कार्य को करने का सबसे बेहतरीन तरीका है उसका आनंद लिया जाए, उसके लिए हर संभव प्रयास किया जाए, अपने कर्म को ही पूजा समझा जाए और यदि वहीं कर्म हम पर बोझ बन जाता है तो हमारी पूजा यानि कि हमारा कर्म उसकी पवित्रता को खो देता है जिससे उसकी गुणवत्ता भी कम हो जाती है।

हमें अपने कर्मों को पूजा के समान समझना चाहिए और इसकी पवित्रता को बनाए रखना चाहिए। कर्म मनुष्य का सबसे महंगा गहना होते हैं और प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्वय है कि वह इन्हें चमका कर रखे और इन्हें नेकी के लिए प्रयोग करे। हमारे द्वारा नित्य किए गए कर्मों से ही पूजा होती है जिसमें लग्न का होना अत्यंत आवश्यक है। हमें अपने प्रत्येक कार्य को सच्चे भाव से और कढ़ी मेहनत के साथ करना चाहिए। इस जीवन में कर्म के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।

 

( Essay -2 ) Work is Worship Essay in Hindi ( 500 words )

कार्य मानव का स्वाभाविक कर्तव्य

कार्य स्वाभाविक है, प्राकृतिक है। कार्य के बिना जीवन में है ही क्या? एक खाली और अनुपयोगी जीवन ! कार्य ही जीवन को सार्थक बनाता है। कार्य के बिना जीवन बोझिल, नीरस तथा बिना उद्देश्य का होता है। मनुष्य अपने कार्य तथा गतिविधियों से ही वरदान प्राप्त करता है। अच्छा कार्य कभी बेकार नहीं जाता। मेहनत का फल धन तथा खुशी के रूप में मिलता है। कार्य पूजा है और एक पवित्र सेवा है। एक सच्ची मेहनत को, कार्य को ईश्वर की प्रार्थना, इबादत कहा जाता है। आदर्शहीनता एक क्षुद्र अभिलाषा है। यह जीवन का अधोपतन है, विफलता का कारण है। कार्य से विहीन मनुष्य धरती पर बोझ के समान होता है।

कठिन परिश्रम का फल

आज मनुष्य जो कुछ भी है, अपनी लगन तथा सतत कड़ी मेहनत के कारण ही है। हमारी महान् सभ्यता, संस्कृति तथा इतिहास हमारे पूर्वजों की कड़ी मेहनत का ही चमत्कार है। मनुष्य कर्तव्यों का ताज है, क्योंकि वह अपने कौशल और क्षमता से कार्य को सम्भव बनाता है, लेकिन पशु ऐसा नहीं कर पाते। उसका मस्तिष्क उसे अच्छे-बुरे का निर्णय करने की शक्ति देता है। सब प्रकार से विचार करके उचित निर्णय लेने के लिए उसका मार्गदर्शन करता है।

मेहनत से सब कुछ सम्भव

कार्य से हमें सफलता तथा खुशी मिलती है। ताजमहल, लालकिला, पीसा की मीनार, मिस्र के पिरामिड अथवा बड़े-बड़े बाँध, सिंचाई की नहरें आदि सब कठिन कार्य की ही महिमा और परिणाम हैं। कोई भी महान और बड़ी चीज एक दिन के कार्य से सम्भव नहीं होती, बल्कि उसके पीछे लम्बा और कठोर परिश्रम ही प्रमुख होता है। कठिन कार्य या मेहनत से कुछ भी असम्भव नहीं। उत्कृष्ट साहित्य, चित्रकारी, बड़ी-बड़ी खोजें, आश्चर्यजनक आविष्कार और बड़े-बड़े कार्य इसीलिए सम्भव हुए, क्योंकि इनके लिए हमारे पुरखों ने रात-दिन निरन्तर कार्य किया। आज मनुष्य ने अन्तरिक्ष, पृथ्वी, प्रकृति तथा अनेक असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है। यह सब मनुष्य के खून-पसीना एक करने के कारण सम्भव हुआ।

खाली दिमाग शैतान का घर

एक कर्महीन व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। अगर किसी नवयुवक या युवती को रोजगार नहीं मिल पाता तो उसके पीछे अपना आलस तथा कर्महीनता ही प्रमुख होती है। कोई भी राष्ट्र महान तभी बनता है, जब उसके नागरिक कर्मशील होते हैं। कार्य के बिना जीवन नरक बन जाता है। कर्महीन व आलसी व्यक्तियों को देखो, उनका जीवन कितना दुखमय है। वे लोग भाग्य के भरोसे रहते हैं, कर्म में उनका विश्वास नहीं होता। भाग्य का रोना रोकर वे हमेशा दीन अवस्था में अपना जीवन-यापन करते हैं।

कार्य ही पूजा है

प्रवाहित जल कभी ठहरता नहीं है। पानी का सतत बहना- जीवन की क्रियाशीलता एवं कर्मशीलता का प्रतीक है। ठहरा हुआ पानी- गन्दगी, निष्क्रियता तथा मृत्यु का प्रतीक है। कार्यविहीन रहना अपराध है, एक रोग है, अभिशाप है। कर्म का दूसरा नाम है-स्वास्थ्य, खुशी, उल्लास और एक सम्पन्नता। कर्महीनता सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। वास्तव में कार्य तो मनुष्य के लिए ईश्वर द्वारा दिया हुआ वरदान है।

काम और आराम- एक सिक्के के दो पहलू

कोई कार्य कभी छोटा नहीं होता। जो भी, जहाँ भी कोई व्यक्ति कार्य करता है, वहाँ उसका अपना महत्त्व है। कार्य करते हुए हमें किसी प्रकार का संकोच या शर्म नहीं करनी चाहिए। क्योंकि प्रकृति ने हमें ये हाथ कुछ-न-कुछ कार्य करने के लिए दिए हैं। इसलिए मनुष्य को सदैव मानव कल्याण तथा सर्व जन हिताय के कार्य ही करने चाहिए, इससे शारीरिक सुख तथा मानसिक शान्ति मिलती है।

 

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3 thoughts on “कर्म ही पूजा है पर निबंध- Work is Worship Essay in Hindi”

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