Essay on Picnic in Hindi- पिकनिक पर निबंध

In this article, we are providing an Essay on Picnic in Hindi पिकनिक पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500 words For Students.

पिकनिक पर निबंध | Picnic Essay in Hindi ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है।

Essay on Picnic in Hindi- पिकनिक पर निबंध

Essay on Picnic in Hindi

 

( Essay-1 ) Picnic Par Nibandh | Essay

वर्षा खत्म होने पर जब सुहावना मौसम आ गया तो एक दिन गुरुजी ने अपने आप पिकनिक मनाने की बात कही, तो सभी बच्चे प्रसन्नता से नाच उठे। हमारे अध्यापक ने शनिवार को सभी बच्चों को सूचित कर दिया कि कल रविवार प्रातः 8 बजे सभी छात्र विद्यालय के प्रांगण में आ जाएं। हम सब रविवार को कार्यक्रम के अनुसार विद्यालय में पहुंच गये। वहां से हमारे लिए एक बस बुक थी । हम निश्चित समय पर पिकनिक के लिए वहां से चल पड़े। हमने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कुछ दिल्ली के दर्शनीय स्थल भी देखने थे। हम सर्वप्रथम महरौली कुतुबमीनार देखने गये। उसके बाद चिड़ियाघर पहुंचे। वहां से पुराना किला भी देखा। उसके बाद हमें ठीक 12 बजे शांति वन पहुंचना था, वहीं पर हमारे पिकनिक के कार्यक्रम थे ।

हम समय पर शांति वन पहुंच गये। सर्वप्रथम भोजन का कार्यक्रम था। सभी छात्र अपने-अपने घर से अच्छे-अच्छे खाने बनवा कर लाए थे। सबका खाना इकट्ठा रखा गया, फिर सबने मिलकर हंसी मजाक से खाना खाया। सभी कार्यक्रम हमारे अध्यापक की देख-रेख में चल रहे थे। सभी छात्र गोल घेरे में बैठ गये। सबको एक-एक गीत सुनाना जरूरी था। कई बच्चों के गीतों में बड़ी हंसी आ रही थी। फिर सबने एक-एक चुटकुला सुनाया। चुटकलों में सबको हंसी आ रही थी। फिर वहीं पर हमारे अध्यापक जी ने हमें कुछ मनोरंजक खेल भी खिलाए। अंत में शाम को 6 बजे सभी छात्र अपने-अपने घर लौट आये।

 

( Essay-2 ) Picnic Essay in Hindi ( 300 words )

पिकनिक मनोरंजन का सबसे बेहतरीन साधन है। हम लोग रोज एक जैसी दिनचर्या से ऊब जाते हैं और अपनी जिंदगी में काम और चिंताओ से कुछ समय के लिए मुक्ति चाहते हैं और उसके लिए पिकनिक सबसे अच्छा उपाय है। हमें समय समय पर पिकनिक का प्लान बनाते रहना चाहिए। स्कूल में हमारे सहपाठियों के साथ भी हम पिकनिक पर जा सकते हैं और रविवार के दिन अपने परिवार ते साथ इसका आनंद ले सकते हैं।

पिछले रविवार की बात है जब मैं और मेरा पूरा परिवार पिकनिक मनाने के लिए नहर ते पास वाले बगीचे में गए थे। उय दिन मौसम बहुत ही सुहावना था और बादल छाए हुए थे। हम सब जमकर मौसम का आनंद ले रहे थे। हम घर से 9 बजे निकले थे और 10 बजे वहाँ पहुँच गए थे। हमनै खाने पीने, खेल कुद का समान है और चटाई आदि गाड़ी में पहले ही रख ली थी। उस दिन उस बगीचे में बहुत सो लोग आए हुए थे। हम सब ने वहाँ बैठकर बहुत सारी बातें की और फिर नहर के शीतल पानी में नहाने लगे और एक दुसरे के ऊपर पानी डाल रहे थे। तब तक म्मी ने हमारे लिए खाना लगा दिया था और हम लोगों ने स्वादिष्ट पकौड़े और सैंडविच का मजा लिया। हम थोड़ी थोड़ी देर के लिए खुले आसमान के नीचे लेट गए और शुद्ध हवा का आनंद लिया। फिर हमने बैडमिंटन खेला जिसमें मैं और म्मी एक टीम में थे और पापा और मेरी बहन दुसरी टीम में। हमारी टीम जीत गई थी।

शाम के करीब 5 बजे बारिश होनी शुरू हो गई थी और हम सारा सामान समेट कर वापिस घर की तरफ चल पड़े। रास्ते में हमने बारिश का मजा लिया और सब ने मिलकर गाने गाए। घर पहुँचे तो काफी अंधेरा हो गया था और फिर हमने पूरे दिन की बातें की और खुशी के पलों को याद किया। पिकनिक के कारण हम सब खुश थे और टैंशन मुक्त भी थे।

 

( Essay-3 ) Essay on Picnic in Hindi ( 500 words )

प्रस्तावना

आज दुनिया में मनुष्य अपने काम में इतना लगा रहता है कि उसे बिलकुल फुरसत नहीं मिलती। सबेरे उठना, तैयार होना, दफ्तर जाना या व्यापार के लिए जाना, शाम को घर लौटना, खाना और फिर सोना । अगले दिन फिर वही काम । मनुष्य जीना चाहता है। जीने के लिए उसे खाना पड़ता है और खाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है । फिर उसे फुरसत कहाँ मिलेगी जो अपने बारे में या अपनों के बारे में सोच सके। नतीजा यह होता है कि चिड़चिड़ा बन जाता है और मन में अशांति हो जाती है । अपने इस रोजाने के चक्कर से छुटकारा पाने के लिए मनुष्य कई उपाय करता है जिससे वह इन रोज़ाना चिंताओं को थोड़ी देर के लिए भूल जाय । ऐसे ही उपायों में एक है वनभोज ।

बनभोज कब, कहां और कैसे

वनभोज के लिए अपने शहर के अंदर या शहर की सीमा पर कोई शांत जगह चुनी जाती है। सबेरे जाकर शाम तक लौट आते हैं। खाने-पीने की चीजें घर से ले जाते हैं। मनोरंजन के लिए स्पीकर आदि ले जाते हैं। बेकार का सामान नहीं ले जाते ।

सबसे पहले वनविहार की जगह चुनने के बाद धूप आदि से बचने के लिए तंबू बनाते हैं या पेड़ की छाया में बैठते हैं। बच्चे खेलने चले जाते हैं। घर के बड़े लोग बैठे-बैठे ही अपनी चिंताओं को भूलकर मन बहलाने की बातें करते हैं। या वन में चारों तरफ घूमकर प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं। दुपहर का भोजन भी वहीं करते हैं। थोड़ा आराम करके शाम को फिर खेलते हैं और घर लौटते हैं।

वनभोज से लाभ

वनभोज से हमें कई लाभ होते हैं। अपने घरों में तो हम अपनी ज़रूरतें और सुख-सुविधाओं की सब चीजें रखते हैं। लेकिन वनभोज के लिए ये सभी चीजें नहीं ले जा सकते। इस प्रकार सुख सुविधाओं के बिना जीवन की हालतों से हम समझौता करना सीख लेते हैं। और ऐसे जीवन का अनुभव भी पाते हैं। दूसरे रोजाना जीवन चक्कर से बचकर वहाँ जाने से हमारा मन प्रसन्न हो जाता है और मन का बोझ हलका हो जाता है। मोबाइल टीवी के दौर में हम पिकनिक को भूलते जा रहे है। हमे अपनी इस वयस्थ जिंदिगाडी से पिकनिक के लिए जरूर टाइम निकलना चाहिए इससे हमारे स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चों के लिए असुविधाओं के बीच में भी नये जीवन का अनुभव और सुख मिलता है। वहां जाकर हम अपनी समस्याओं को चिंताओं को भूल जाते हैं। मन हल्का हो जाता है। मन में ताजगी आती है। फिर लौटकर दुगने जोश से तकलीफों का सामना करते हैं।

निष्कर्ष

किंतु दुख की बात यह है कि मनुष्य अपने रोजाना के चक्कर में इतना फँसा हुआ है कि न तो उसके पास वनभोज | पिकनिक का साधन मिलता है और न समय या छुट्टी । हमें साल में कम से कम एक बार तो वनविहार | पिकनिक के लिए समय निकालना ही चाहिए।

 

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