मंगलवार व्रत कथा, विधि- Tuesday | Mangalvar Vrat Katha in Hindi

इस पोस्ट में हम अपने दर्शकों को मंगलवार व्रत की पूरी जानकारी दे रहे है जैसे की- मंगलवार व्रत की कथा, विधि, नियम और लाभ। Providing information about Tuesday Fast Katha | Mangalvar Vrat Katha in Hindi , Vidhi, Rules and Benefits, How to do Mangalvar Vrat Katha, Tuesday Fast Vidhi in Hindi.

मंगलवार व्रत कथा, विधि- Tuesday | Mangalvar Vrat Katha in Hindi

मंगलवार के व्रत की विधि ( Mangalvar Vrat Vidhi )

1. यह व्रत मंगलवार को रखा जाता है।

2. यह हनुमान जी का व्रत है।

3. इस दिन शाम के समय, हनुमान जी का पूजन करने के बाद एक बार भोजन करना होता है।

4. पूजन में लाल फूल और मिष्ठान चढ़ाये जाते हैं।

5. भोजन में मीठी चीजें खाई जाती हैं।

Mangalvar Vrat Katha benefits | मंगलवार व्रत कथा के लाभ-

मंगलवार का व्रत सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है।

इसे करने से भक्त के रक्त विकार दूर होते हैं।

उसको राज-सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति होती है।

मंगलवार व्रत कथा ( Hanuman ji ki Vrat katha in hindi )

प्राचीन काल की बात है। एक नगर में एक ब्राह्मण युगल रहता था। उसके पास सब कुछ था, मगर सन्तान न थी। इससे वे बड़े दुःखी रहते थे। काफी सोच विचार के बाद ब्राह्मण हनुमान जी का पूजन करने के लिए जंगल में चला गया। घर पर रह कर ब्राह्मणी मंगलवार का व्रत रखने लगी। एक बार कुछ ऐसा संयोग हुआ कि मंगलवार को एक और व्रत पड़ गया, फलतः ब्राह्मणी उस मंगलवार को महावीर हनुमान का १ भोग न लगा सकी। इसका उसको बड़ा खेद था। अन्त में उसने निश्चय किया कि अगले मंगलवार को ही मैं हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करूंगी। वह सात । दिन तक भूखी प्यासी रही। दूसरे मंगलवार को उसे मूर्छा आ गई। उसी मुर्छा में हनमान जी ने उसे दर्शन देकर कहा, ‘मैं तेरी भक्ति भावना से प्रसन्न हूँ। तुमको मैं मंगल रूपी बालक दिये जाता हूँ, तू इसे अपना पुत्र जान, यह तेरे सारे कष्ट दूर करेगा। ऐसा कहकर हनुमान जी अन्र्तध्यान हो गये। सुन्दर बालक को पाकर ब्राह्मणी अत्यन्त प्रसन्न हुई।

कुछ दिनों के बाद ब्राह्मण देवता जंगल से लौट आया घर में मंगल नामक बालक को खेलता देखकर उसने ब्राह्मणी से उसका परिचय पूछा। ब्राह्मणी ने बताया कि हनुमान जी का प्रसाद है। तो ब्राह्मण को इसका यकीन नहीं आया। उसने समझा कि ब्राह्मणी अपना पाप छुपाने के लिए यह मन घड़त कथा सुना रही है। वह उसी दिन से पत्नी के चाल चलन पर शक करने के कारण बड़ा दुःखी रहने लगा।

एक दिन ब्राह्मण जल भरने के लिए कुएं पर जा रहा था ब्राह्मणी ने उससे कहा कि । साथ में मंगल को भी लेते जाओ। ब्राह्मण उसे साथ ले गया और मौका देखकर उसे कुएं में डाल दिया। मंगल को कुएं में डालकर जल लेकर जब वह घर लौटा तो ब्राह्मणी ने मंगल के विषय में पूछा। इससे पहले कि ब्राह्मण कोई उत्तर दे मंगल ने मुस्कुराते हुए घर में प्रवेश किया। इस प्रकार मंगल को सही सलामत अपने ही पीछे आता देखकर ब्राह्मण को पत्नी की बात में कुछ सच्चाई दिखाई देने लगी।

उसी रात ब्राह्मण को हनुमान जी ने दर्शन दिए और कहा-“तुम ब्राह्मणी पर व्यर्थ सन्देह करते हो। वह सती साध्वी महिला है। मंगल मेरा वरदान है। उसे अपना पुत्र जानो।

इस सच्चाई को जानकर ब्राह्मण को बड़ी खुशी हुई। वह तभी से मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखने और कथा सुनने लगा। धीरे-धीरे उसके सभी दुःख और अभाव समाप्त हो गये।

मंगलवार की दूसरी व्रत कथा ( Tuesday Vrat Katha )

प्राचीन काल की घटना है। एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। उसके मंगलियां । नाम का एक पुत्र था, वृद्धा को हनुमान जी पर बड़ी आस्था और श्रद्धा थी। वह हरेक । मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रख कर यथाविधि उनका भोग लगाती थी। इसके अलावा मंगलवार को न तो वह लीपती थी और ना ही मिट्टी खोदती थी।

इसी प्रकार से व्रत रखते हुए जब उसे काफी दिन बीत गये तो हनुमान जी ने सोचा कि चलों आज इस बुढ़िया की श्रद्धा की परीक्षा हो जाये। वे साधु का वेष बनाकर उसके द्वार पर जा पहुँचे और पुकारा है कोई हनुमान भक्त जो हमारी इच्छा को पूरी करे? बढिया ने यह पुकार सुनी तो बाहर आई और पूछा कि महाराज क्या आज्ञा है? । साधु के वेष में हनुमान जी बोले कि मैं भूखा हूं। भोजन बनाऊँगा। तू थोड़ी सी जमीन लीप दे। बुढ़िया ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि महाराज लीपने और मिट्टी खोदने के अलावा जो काम आप कहें वह मैं करने को तैयार हूँ।

साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा-त अपने बेटे को बुला। मैं उसे औंधा लिटाकर, उसकी पीठ पर भोजन बनाऊँगा। बुढ़िया ने सुना तो उसके पैरों तले की धरती खिसक गई। मगर वह वचन हार चुकी थी। उसने मंगलिया को पुकार कर साधु महाराज के हवाले कर दिया। मगर साधु ऐसे ही मानने वाले न थे। उन्होंने बुढ़िया के हाथों से ही मंगलिया को औंधा लिटाकर, उसकी पीठ पर आग जलवायी।

आग जलाकर, दुखी मन से बुढ़िया अपने घर के अन्दर जा घुसी। साधु जब भोजन बना चुका तो उसने वृद्धा को बुलाकर कहा कि वह मंगलिया को पुकारे ताकि वह आकर भोग लगा ले। वृद्धा आंखों में आँसू भरकर कहने लगी कि अब आप उसका नाम लेकर मेरे हृदय को और मत दुखाओ। लेकिन साधु महाराज न माने तो वृद्धा को भोजन के लिए मंगलिया को पुकारना पड़ा पुकारने की देर थी कि मंगलिया बाहर से हंसता हुआ घर में दौड़ा आया। मंगलिया को जीता जागता देखकर वृद्धा को सुखद आश्चर्य हुआ। वह साधु महाराज के चरणों में गिर पड़ी। हनुमान जी ने उसे अपने असली रूप में दर्शन दिये। हनुमान जी उसे सभी प्रकार के सुखों का आर्शीवाद देकर अन्र्तध्यान हो गये।

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