Essay on School Annual Function in Hindi- विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबन्ध

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Essay on School Annual Function in Hindi- विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबन्ध

भूमिका- हमारे विद्यालय में उत्सव तो बहुत मनाए जाते हैं, परंतु पारितोषिक वितरणोत्सव विशेष महत्व रखता है। यह प्राय: हमारे विद्यालय में नवंबर के अंत में मनाया जाता है, किंतु इस वर्ष दिसंबर की 15 तारीख को ही मनाया गया ।

साज-सज्जा- विद्यालय के साथ समीप वाले क्रीड़ा-क्षेत्र में उत्सव मनाने का प्रबंध किया गया। प्रात:काल एक बड़ा सुंदर शामियाना लगाया गया। उसके इर्द-गिर्द भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए रस्सी से सीमाएँ बांध दी गई थीं। पूर्व-पश्चिम दोनों ओर आमने-सामने दो स्टेज बनाए गए। एक पर प्रधान महोदय और विद्यालय के अधिकारी बैठे थे। दूसरे पर छात्रों के कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्र तथा अध्यापक विराजमान थे। दायीं ओर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के बैठने के लिए कुर्सियाँ रखी हुई थीं और बायीं ओर साधारण जनता के लिए बैंच रखे हुए थे। एक और महिलाओं के बैठने के लिए प्रबंध किया गया था- दोनों मंडप चित्रों और झंडियों से सजाया गए थे। प्रधान महोदय की कुर्सी के आगे सुंदर मेज पर फूलदान रखे हुए थे। इस प्रकार सारा स्थान शोभायमान हो रहा था।

बालचरों दवारा सलामी- यह उत्सव ठीक प्रात: 10 बजे आरंभ होना था। छात्र बहुत पहले ही नियत स्थानों पर बैठ चुके थे। बालचर चारों ओर तैनात थे। वे सब असुविधाओं को दूर कर रहे थे। दर्शकों की असुविधाओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया गया था। ठीक 10 बजे कार्यवाही आरंभ हो गई। प्रधान महोदय ने अपने इस उत्सव की अध्यक्षता प्रदेश के शिक्षामंत्री महोदय से करवायी। उनके पदार्पण करते ही विद्यालय के बैंड ने उनके स्वागत में सुरीली धुन बजाई। फिर विद्यालय के बालचरों ने उनको सलामी दी। तत्पश्चात् सब उपस्थित महानुभावों ने उनका स्वागत किया। उनकी कुर्सी के दायीं और प्रधानाध्यापक तथा बायीं ओर मैनेजर महोदय बैठे थे। इसके एक ओर मेज पर छात्रों में बाँटे जाने वाले पारितोषिक रखे हुए थे।

शारीरिक प्रदर्शन- सर्वप्रथम प्रार्थना की गई। इसके पश्चात् विद्यार्थियों ने अपने शारीरिक प्रदर्शन दिखाए। फिर अछुतोदोधार नामक नाटक का अभियान किया गया। इसमें पुजारी का काम बहुत अच्छा रहा। फिर दो गीत गाए गए। तदनंतर “सेठ-सेठानी’ का खेल खेला गया। फिर कुछ हास्यप्रद कव्वालियाँ प्रस्तुत की गई। बाद में पहाड़ी नृत्य और गीत गाए गये। तदंतर मुख्याध्यापक महोदय ने विवरण पत्रिका पढ़कर सुनाई। फिर प्रधान महोदय ने अपने कर कमलों से छात्रों में पारितोषिक बाँटे।

अध्यक्ष महोदय का भाषण– अध्यक्ष महोदय ने छोटा-सा भाषण दिया कि आप सब छात्र देश की संपत्ति हैं। अत: सदा अपने कत्र्तव्यों का पालन करते हए देश के सच्चे नागरिक बनो। तभी हमारे देश का उद्धार होगा। तब प्रधानाध्यापक महोदय ने प्रधान जी तथा उपस्थित जनता को धन्यवाद दिया। जिन छात्रों को पारितोषिक मिले थे, वे फूले नहीं समा रहे थे।

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