Essay on Christmas in Hindi- क्रिसमस पर निबंध

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Essay on Christmas in Hindi-क्रिसमस पर निबंध

भूमिका–विश्व भर में ईसा मसीह का जन्मदिन ‘क्रिसमस’ नाम से जाना जाता है। दीन-दुःखियों के दर्द को समझने वाले इस महान् संत ईसा मसीह का जन्म पच्चीस दिसंबर को मनाया जाता है। हिंदी में क्रिसमस को ‘बड़ा दिन’ कहते हैं। ईसा सचमुच महान् महापुरुष थे। उनका जन्मदिन निश्चय ही बड़ा दिन है। ईसाइयों के धर्म-ग्रंथ ‘बाइबिल’ में ईसा मसीह की जन्मकथा विस्तार से वर्णित है।

‘बाइबिल’ के अनुसार नाजरेथ नगर (फिलिस्तीन) के निवासियों में यूसुफ नामक व्यक्ति थे, जिनके साथ मरियम नामक कन्या की मँगनी (सगाई) हुई थी। एक दिन मरियम को स्वर्ग दूत ने दर्शन देकर कहा, ‘‘आप पर प्रभु की कृपा है। आप गर्भवती होंगी, पुत्र रत्न को जन्म देंगी तथा नवजात शिशु का नाम ‘ईसा’ रखेंगी। वे महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलाएँगे।’’ मरियम को देवदूत के कथन पर विश्वास नहीं हुआ। स्वर्गदूत ने मरियम की शंका का समाधान करके उन्हें प्रभु की अद्भुत शक्ति के बारे में समझाकर शांत किया। मरियम ने सहज भाव से कहा, “मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझसे पूरा हो जाए यह हमारी मनोकामनाएँ।’

कुछ समय बाद वहाँ के शासक ने अपने राज्य में जनगणना के आदेश दिया। यूसुफ और मरियम ‘बेथेलहेम’ नगर में नाम लिखवाकर लौट रहे थे कि मार्ग में मरियम को प्रसव पीड़ा होने लगी। संयोग से एक सराय के मालिक ने उन्हें सराय में जगह दे दी। वहीं मरियम ने संसार के अद्भुत बालक को अस्तबल की चरनी में जन्म दिया। वह प्रदेश चरवाहों का क्षेत्र था। वहाँ चरवाहे रात में अपने जानवरों की सुरक्षा के लिए जाग रहे थे। स्वर्गदूत ने प्रकट होकर चरवाहों से कहा, ‘‘आज बेथेलहेम में तुम्हारे मुक्तिदाता प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ है। तुम बालक को कपड़ों में लिपटा और चरनी में लेटा हुआ पाओगे। उसी को मसीह समझो।’ ग्वाले स्वर्गदूत को देखकर डर गए, परंतु उसकी घोषणा से बहुत खुश हुए। संदेश सुनते ही वे तुरंत बेथेलहेम के लिए चल पड़े। उन्होंने यूसुफ, मरियम और बालक को देखा।

ईसा के जन्म के समय आकाश में एक तारा उदित हुआ। तीन ज्योषियों ने उस तारे को देखा और देखते-देखते वे येरुसलम पहुँच गए। वे लोगों से पूछ रहे थे कि यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं ? हम उन्हें प्रणाम करना चाहते हैं। वे खोजते-खोजते बेथेलहेम के अस्तबल में पहुँचे। वहाँ उन्होंने बालक तथा मरियम को प्रणाम किया।

जन्म के ठीक आठवें दिन उस बालक का नाम जीसस (ईसा) रखा गया। वह दिव्य बालक था। मात्र बारह वर्ष की अवस्था में ही उसने शास्त्रार्थ में बड़े-बड़े पंडितों को परास्त किया। ईसा मसीह के जीवन के अनेक वर्ष पर्यटन, एकांतवास एवं चिंतन-मनन में बीते। अनेक वर्षों की अथक साधना के बाद ईसा अपनी पवित्र आत्मा के साथ गलीलिया लौटे। उनका यश सुगंध की तरह सारे प्रदेश में फैल गया। वे सभागारों में शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्धक उद्बोधन देने लगे। उन्होंने अनेक दुःखियों, रोगियों एवं पीड़ितों का दुःख दूर किया, अज्ञानियों को ज्ञान दिया और अंधों को दृष्टि दी। फलत: लोगों को पूरा विश्वास हो गया कि ईसा प्रभु के ही दूत हैं। ईसा ने अपने समय में व्याप्त अनाचारों एवं पापाचारों से समाज को त्राण दिलाया और गिरजाघरों को पवित्रता प्रदान कराई।

ईसा के बढ़ते प्रभाव से तत्कालीन राजा हेरोद चिंतित हो उठे। उन्होंने ईर्ष्यावश ईसा को बंदी बनाकर यहूदी महासभा में अपराधी के रूप में उपस्थित कराया। सभाध्यक्ष ईसा को निर्दोष मानकर उन्हें बंधनमुक्त करना चाहते थे। इस पर सभा के पुरोहितों और सदस्यों ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा, ‘इसे क्रूस दीजिए, इसे क्रूस दीजिए।’ सभाध्यक्ष के सामने कोई विकल्प न था। उसने ईसा को सैनिकों के हवाले कर दिया। ईसा मसीह को क्रूस का दंड दिया गया-सिर पर काँटो का किरीट और हाथ-पाँव में कीलें। उनके अंगों से खून बहने लगा। दर्द से ईसा मन-ही-मन छटपटा रहे थे। ईसा को इस दशा में देखकर जनता रो रही थी। ईसा ने लोगों को सांत्वना दी। शुक्रवार को ईसा मसीह ने प्राण-त्याग किया।

विश्व भर में ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार ‘क्रिसमस’ है। प्रभु ईसा के भूमंडल में अवतरित होने से उनके अनुयायियों को शांति मिली। ‘क्रिसमस’ एक महान् पर्व है। इस अवसर पर विभिन्न राष्ट्रों के मध्य बड़े-बड़े और भयंकर युद्ध तक रोक दिए जाते हैं। क्रिसमस के अवसर पर ‘राजाओं के राजा’ ईसा मसीह का स्वागत बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है। इस दिन क्रिसमस के स्तुति गीत (करोल) गाते हुए लोग घरघर पहुँचते हैं। बालक ईसा के जन्म पर स्वर्ग दूतों ने जो गीत गाया था वही सबसे पहला ‘क्रिसमस करोल’ माना जाता है।

क्रिसमस के दिन सारे विश्व के गिरजाघर अपनी अनोखी सजावट एवं रोशनी के कारण आकर्षण के केंद्र बन जाते हैं। इस दिन विशेष प्रार्थनाओं एवं गीत-संगीत के कार्यक्रमों का भव्य आयोजन होता है। ईसाई बंधुओं के घरों में क्रिसमस केक बनाए जाते हैं, जिन्हें ये लोग अपने ईसाई और गैर-ईसाई मित्रों में भेंट स्वरूप बाँटते हैं। क्रिसमस के दिन नव वर्ष के समान ही विश्व भर में ईसाई जन परस्पर शुभ कामनाएँ भी प्रेषित करते हैं, अतः क्रिसमस कार्ड भी धीरे-धीरे समूचे विश्व में प्रचलन में आते जा रहे हैं। यों तो सारे संसार में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, किंतु रोम के वेटिकन नगर में क्रिसमस का उत्सव अत्यंत आकर्षक होता है। यही कैथोलिक धर्म के परम पिता पोप का निवास स्थान है।

क्रिसमस मानने का मूल उद्देश्य महान् संत ईसा मसीह का पावन स्मरण है जो दया, प्रेम, क्षमा और धैर्य के अवतार थे। संसार में ईसा मसीह के दिव्य संदेश से हर व्यक्ति को विश्व शांति की प्रेरणा प्राप्त हो सकती है।

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