देने वाल के हाथ- Akbar Birbal Ke Kisse in Hindi
एक दिन बादशाह अकबर सरकारी कामकाज निपटने के बाद दरबारियों के साथ मनोविनोद करके अपनी थकावट मिटा रहे थे। बातों के दौरान ही बादशाह बोले, ‘लेने वाले का हाथ हमेशा देने वाले के हाथ के नीचे होता है।’
‘हुजूर ने दुरुस्त फरमाया!” कई दरबारी एक साथ बोले, ‘देने वाला हमेशा ऊपर होता है।’
‘क्यों बीरबल, तुम्हारा इस बारे में क्या कहना है?” बादशाह ने पूछा।
‘जहांपनाह, मुझे लगता है कि हमेशा ऐसा नहीं होता।” बीरबल ने कहा।
‘अच्छा! तो फिर मुझे बताओ कि देने वाले का हाथ कब नीचे होता है।’ बादशाह कुछ गुस्से से बोले। वे मन ही मन सोच रहे थे, ‘लगातार शाबाशी पाने से बीरबल को आदत बिगड़ गई है। जो बात एकदम साफ होती है, अब यह उस पर भी बहस करने लगता है।’
उधर बीरबल बोले, ‘जब तम्बाकू मलकर देने वाला व्यक्ति किसी को तम्बाकू दे रह होता है, उस समय उसका हाथ नीचे ही होता है।’
बादशाह बीरबल की बात सुनकर हैरत से उनकी ओर देखते रह गए। वे खुलकर तो कुछ नहीं बोले, लेकिन मन ही मन वे बीरबल की निरीक्षण शक्ति की तारीफ कर रहे थे। इस ओर तो उनका ध्यान कभी गया ही नहीं था। वे समझ गए कि उन्हें व्यर्थ ही बीरबल पर क्रोध आ गया था।
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