चिड़िया पर निबंध- Essay on Sparrow in Hindi

In this article, we are providing information about Sparrow in Hindi- Short Essay on Sparrow in Hindi Language. चिड़िया / गौरैया पर निबंध, Chidiya par Nibandh for class 1,2,3,4,5,7,8,9,10 Students.

चिड़िया पर निबंध- Essay on Sparrow in Hindi

Essay on Sparrow in Hindi

Information About Sparrow in Hindi in 150 Words ( Short Essay About Sparrow in Hindi )

गौरैया एक पक्षी है जो समान्यता एशिया व यूरोप में पाया जाता है। गौरैया का रंग हल्का भूरा व सफेद रंग का होता है।

इसकी लंबाई 14 से 16 सेंटीमीटर व ऊँचाई 4 से 7 सेंटीमीटर होती है। गौरैया एक सर्वाहारी पक्षी है, जो मुख्य रूप से छोटे बड़े कीड़े-मकोड़े,बीज ओर फल भी खा सकते हैं।

पूरे विश्व में 20 मार्च को world sparrow day मनाया जाता है। गौरैया का जीवनकाल करीब 8 से 10 वर्ष का होता है, विश्व रिकॉर्ड में एक गौरैया 23 वर्ष का है।

गौरेया 38 किलोमीटर / घण्टे की रफ्तार से उड़ती है। गोरैया भारत की दिल्ली व बिहार की राजकीय पक्षी है।

जम्मू-कश्मीर राज्य द्वारा SPARROW Portal लॉन्च किया गया है। गौरैया की संख्या में तेजी से गिरावट के कारण, यह पूरे विश्व में लुप्त की स्थिति में आ चुकी है।

 

Chidiya par Nibandh ( Sparrow Essay in Hindi )

चिड़िया एक नन्ही, कोमल जीव होती है । इसकी दो पतली टांगें, दो पंख और एक छोटी सी चोंच होती है । अपनी टांगों से चिड़िया फुदकती है । पंखों की मदद से आकाश में उड़ती है । अपनी चोंच से यह दाना चुग कर खाती है ।

चिड़ियाँ अपना घोंसला वृक्षों के डाल पर बनाती हैं । कभी-कभी यह घर के किसी ऊँचे कोने में भी घोंसला बनाती हैं। चिड़िया बड़ी मेहनती होती हैं । दूर-दूर से तिनके इकट्ठे कर लाती है और घोंसला बनाती है । कई बार इसके घोंसले टूट जाते हैं । पर यह हिम्मत नहीं हारती । फिर से बनाती है ।

घोंसला में चिड़िया अंडे देती है । अंडों से नन्हें चूजे बाहर आते हैं । चिड़िया उन्हें दाना खिलाती है । बड़े हो कर चूजे भी चिड़िया बन जाते हैं ।
चिड़ियाँ प्रातः काल उठ कर हमें जगाती हैं। इसकी बोली बड़ी मीठी होती है । यह हमेशा प्रसन्न रहती है ।

चिड़ियाँ हमें मीठी बोली बोलने और प्रसन्न रहने की सीख देती हैं।

 

Essay About Sparrow in Hindi ( 400 words )

भारत में पक्षियों की बहुत सी प्रजाति पाई जाती है जिनमें से चिड़िया सबसे छोटी और सुंदर पक्षी है। पुराने समय में यह अक्सर पेड़ो पर और घरों की छतों पर बैठी हुई मिल जाती थी लेकिन अब यह मुश्किल से हीं कहीं देखने को मिलती है। पेड़ो की कटाई और हानिकारक कीटनाशकों के कारण चिड़िया की प्रजाति लुप्त होती जा रही है। चिड़िया को अलग अलग स्थानों पर अलग अलग नाम से बुलाया जाता है जैसे कि गौरेया,चिड़ी,चिमनी आदि।

चिड़िया सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है और पूरी दुनिया में पाई जाती है। मादा गौरेया की आँख के पास काला धब्बा होता है जबकि नर गौरेया में यह नहीं होता और वह चटख रंग में पाया जाता है और मादा के मुकाबले ज्यादा आकर्षक होता है। चिड़िया की औसतन आयु 4-7 वर्ष होती है और यह समुह में रहना पसंद करती हैं। यह ज्यादातर इंसानों के पास उनके घरों में ही घौसंले बनाती है और एक समय में 2-4 अंडे देती है।

चिड़िया सर्वाहारी होती है। यह अनाज और कई तरह के फूलों के बीज खाती है और साथ ही फसलों के लिए हानिकारक कीड़ो को भी खाती है। यह भोजन की तलाश में मिलों का सफर तय करती हैं। चिड़िया की लंबाई 14-16 सेंटीमीटर होती है और चोंच पीले रंग की होती है। चिड़िया की आँखो पर काला रंग होता हैं और इनके पैर भूरे होते हैं। इसके गले और सिर पर भूरा रंग नहीं होता है। यह चीं- चीं की मधुर आवाज करने वाली पक्षी है और शाम को झुंड के साथ निकलती हैं। इसे सभी तरह की जलवायु पसंद होती है लेकिन यह पहाड़ी इलाकों में कम ही देखने को मिलती है।

समय के साथ साथ चिड़िया की यह नन्हीं प्रजाति विलुप्त होती जा रही है। पेड़ो की कटाई के कारण और घरों की दीवारों में जगह न होने के कारण वह घोंसला नहीं बना पाती और उन्हें रहने का उचित स्थान नहीं मिल पाता है। फसलों में से कीटों को खाते समय फसलों के हानिकारक कीटनाशकों की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है। बिजली की तारों पर बैठने के कारण भी उनकी मृत्यु हो जाती हैं। हम सबको इस प्रजाति को बचाने की जरूरत हैं। हमें छतों पर इनके लिए दाने और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 20 मार्च को गौरेया दिवस मनाया जाता है। हमों पेड़ लगाकर इनके रहने की व्यवस्था करनी चाहिए।

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