वफ़ादार नौकर Loyal servant- Akbar Birbal Story in Hindi
बादशाह अकबर अपने महल में बीरबल के साथ बैठे भोजन कर रहे थे। उस दिन, उन्हें बैंगन की सब्जी परोसी गई थी। बादशाह पूरा स्वाद लेकर भोजन कर रहे थे और बैंगन की खूब तारीफ किए जा रहे थे।
‘बैंगन की सब्जी से स्वादिष्ट तो कोई सब्जी ही नहीं है।’ अकबर ने कहा।
‘हुजूर ने बिल्कुल सही फरमाया,” बीरबल तुरंत बोले, ‘यह निश्चय ही बहुत स्वादिष्ट सब्जी है।’
बादशाह तुरंत नौकर को बुलाकर बोले, ‘बीरबल के लिए थोड़ी और सब्जी लाओ।” ‘नहीं, नहीं,” बीरबल हाथ हिलाते हुए बोले, ‘मेरे लिए बैंगन मत लाओ। दरअसल बैंगन मुझे कोई खास पसंद नहीं हैं।”
बीरबल की बात सुनकर बादशाह हैरान रह गए और बोले, ‘बीरबल, तुम तो बेपेंदी के लोटे हो। अभी तो तुम कह रहे थे कि बैंगन बहुत स्वादिष्ट होते हैं।’
‘कह रहा था, हुजूर!” बीरबल बोले, ‘आपका नौकर जो ठहरा। दरअसल
जहांपनाह, मैं आपका नौकर हूँ, बैंगन का थोड़े ही हूँ।’
‘अच्छा!” बादशाह बीरबल की ओर देखते हुए मुस्कुरा रहे थे।
‘आपने बैंगन की तारीफ की तो मैंने आपकी हाँ में हाँ मिलाई। लेकिन जब आप मेरे लिए फिर से बैंगन मंगाने लगे तो मैंने मना किया, क्योंकि बैंगन का स्वाद मुझे दरअसल पसंद ही नहीं है।’ बीरबल ने कहा।
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर ठहाके लगाने लगे।
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