कामदा एकादशी व्रत कथा, विधि- Kamada Ekadashi Vrat Katha in Hindi

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कामदा एकादशी व्रत कथा, विधि- Kamada Ekadashi Vrat Katha in Hindi

कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं।

कामदा एकादशी व्रत कथा ( Kamada Ekadashi Fast Story )

प्राचीन काल में नागलोक में राजा पुण्डरीक राज्य करता था।उस विलासी की सभा में अप्सराएं, किन्नर, गंधर्व नृत्य किया करते थे।

एक बार ललित नाम गंधर्व जब उसकी राज सभा में नृत्य गान कर रहा था। सहसा उसे अपनी सुन्दरी की याद आ गई, जिसके कारण उसके नृत्य, गीत लय वादिता में अरोचकता आ गई। कर्कट नामक नाग यह बात जान गया तथा राजा से कह सुनाया। इस पर क्रोधातुर होकर पुण्डरीक नागराज ने ललित को राक्षस हो जाने का शाप दे दिया ललित सहस्त्रों वर्ष तक राक्षस योनि में अनेक लोकों में घूमता रहा। इतना ही नहीं उसकी सहधर्मिणी ललिता भी उन्मत्त वेश में उसी का अनुकरण करती रही। एक समय वे दोनों शापित दम्पति विन्ध्याचल पर्वत के शिखर पर स्थित ऋष्यमूक नामक मुनि के आश्रम में पहुंचे इनकी करुण संवेदनशील स्थिति देखकर मुनि को दया आ गई। और उन्होंने चैत्र शुक्लपक्ष की कामदा एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। मुनि के बताऐ गऐ नियमो का इन लोगों ने पालन किया तथा एकादशी के प्रभाव से इनके शाप मिट गया। दिव्य शरीर को प्राप्त कर वे दोनों स्वर्ग लोग को गऐ।

Kamada Ekadashi Vrat Katha in English, Marathi, Gujrati, Telugu and Tamil PDF

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