Famous Akbar Birbal Stories in Hindi- अकबर बीरबल की प्रसिद्व कहानियां

इस आर्टिकल के द्वारा हम प्रस्तुत करते है ( Famous Akbar Birbal Stories in Hindi ) अकबर बीरबल की प्रसिद्व कहानियां ( Akbar Birbal story ) और अकबर बीरबल के किस्से। बीरबल बादशाह अकबर के नवरत्नो मैं से एक थे। हम सभी ने बचपन से ही बहुत सारी कहानियां सुनी है जिनमे से बीरबल की कहानी बहुत ही दिलचस्प और रोचक होती थी।

बीरबल बहुत तेज़ दिमाग वाले इंसान थे, वह बड़ी-बड़ी उलझन आसानी से सुलझा देते थे। बीरबल की कहानियों से हमे पता लगेगा की कभी-कभी परिस्थितियां इतनी मुश्किल नहीं होती, जितना हम उन्हें समझ लेते है। अगर हम उस समय दिमाग का सही तरह से इस्तमाल करे तो हम ऐसी परिस्तितियाँ से आराम से निपट सकते है। इसी कारण बीरबल बादशाह अकबर के प्रिय थे।

Famous Akbar Birbal Stories in Hindi- अकबर बीरबल की प्रसिद्व कहानियां

1. बीरबल की बुद्धिमानी ( Birbal Story in Hindi )

2. नदी का रोना- Nadi ka Rona ( Akbar Birbal Stories in Hindi ) 

3. मूर्ख दरबारी

4. बीरबल की खिचड़ी ( Birbal Ki Khichdi Story )

5. सर्वोत्तम हथियार

6. हथेली पर बाल

7. ईश्वर का प्रेम

8. समुद्र की शादी ( Hindi Kahani of Akbar Birbal )

9. अनगिनती की गिनती

10. देने वाल के हाथ

11. सपने की व्याख्या

12. बादशाह का नगीना

13. मुर्गा नहीं देता अंडा

14. आम के कद्रदान

15. बादशाह की अंगूठी ( Story of Akbar Birbal in Hindi )

16. तम्बाकू की लत

17. दिमाग की पहचान

18. वादा याद रखो ( Akbar Birbal Stories in Hindi ) 

19. वफ़ादार नौकर ( Humorous Story of Akbar Birbal )

Three Akbar Birbal short stories in Hindi- 3 अकबर बीरबल की कहानियां

# Akbar birbal Short Story – अथिति सत्कार का पाठ

बीरबल का मन आगरा से कहा बाहर घूमने जाने को हो रहा था। ऐसे में उन्हें एक सम्बंधी का ध्यान आया, जो दिल्ली में रहता था। उन्होंने बादशाह से यात्रा की अनुमति ली और रथ पर चढ़कर निकल पड़े। मार्ग में खाने पीने के लिए उन्होंने साथ में कुछ भोजन और जल भी ले लिया। बीरबल का रथ आगरा से दिल्ली के बीच के था। प्रत्येक दिन राजभवन और अपने घर के बीच चक्कर लगाते-लगाते बीरबल ऊब चुके थे और आज उन्हें बहुत दिनों बाद खुले वातावरण में यात्रा का आनंद उठाने का अवसर प्राप्त हुआ था। मार्ग में पड़ने वाले मनोहारी दृश्यों को देखकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था। बीरबल का वह सम्बंधी बडे घमंडी स्वभाव का था। उसे अपने घर किसी अतिथि का आना पसंद नहीं था। जब उस सम्बंधी और उसकी पत्नी ने बीरबल को | अपने घर की ओर रथ पर आते हुए देखा तो वे चिंतित हो गए और बिना देर किए बीरबल से बचने का उपाय ढूँढने लगे। अचानक पति को एक उपाय सूझा, जिसे उसने तुरंत अपनी पत्नी को बताया। पत्नी को भी यह बात जाँची। योजना के अनुसार वे दोनों अपने घर के आगे बने चबूतरे पर खड़े होकर आपस में झगड़ने का नाटक करने लगे।

पति ने एक छड़ी ले ली और पत्नी को पीटने का अभिनय करने लगा।

जब बीरबल ने यह सब देखा, तो वे सारा मामला समझ गए। उन्होंने उन दोनों को पाठ पढ़ाने का निश्चय किया। वे शीघ्रता से रथ से उतरे और सम्बंधी के घर के निकट ही एक झाडी के पीछे छिप गए।

वे पति-पत्नी काफी देर तक लड़ने का नाटक करते रहे। पति आरोप लगा रहा था कि पत्नी ने भोजन में बहुत ज्यादा नमक डाल दिया है जबकि पत्नी इस आरोप का चीख-चीख कर जवाब दे रही थी। बहुत देर तक वे दोनों एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हुए लडने का अभिनय करते रहे।

कुछ समय बाद उन्होंने बीरबल की ओर देखा, परंतु वे तो कहीं दिख ही नहीं रहे थे। उनका घोड़ा भी कहीं नहीं था। जब उन्हें ऐसा लगा कि बीरबल लौट गया है, तो वे अपने उपाय की सफलता पर फूले नहीं समाए। पति बोला, ‘बीरबल दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। यदि वह हमारे घर ठहरता तो न जाने हमें कितना धन खर्च करना पडता। वह बादशाह का साथी जो ठहरा। देखा, मैंने कितना अच्छा नाटक किया, मानो मैं सच में ही क्रोधित था।’

पत्नी बोली, ‘मैंने भी तो कितना अच्छा नाटक किया, मानो मैं सच में ही रो रही थी।’

तभी बीरबल झाड़ी के पीछे से निकलते हुए बोले, ‘. और मैंने भी तो कितना अच्छा नाटक किया, मानो मैं सच में ही चला गया था।’

उन दोनों ने जब बीरबल को अपने बीच खड़ा पाया, तो वे अत्यंत लज्जित हुए। उन्होंने बीरबल के सामने प्रतिज्ञा की कि अब से वे सदा अतिथियों का भली प्रकार स्वागत-सत्कार करेंगे। इस प्रकार बीरबल ने उन दम्पत्ति को अपनी बुद्धिमत्ता से अथिति सत्कार का पाठ पढ़ाया।

# Akbar Birbal Moral Story in Hindi- अजीब इनाम

एक दिन कुछ गरीब लोगों ने बीरबल से शाही पहरेदारों के भ्रष्ट हो जाने की शिकायत की। वे लोग कोई शिकायत लेकर बादशाह के दरबार में गए थे, लेकिन उन रिश्वतखोर पहरेदारों ने उन्हें अंदर जाने ही नहीं दिया था। गरीबों की शिकायत सुनकर बीरबल बड़े चिंतित हुए और उन्होंने खुद इस बात की तहकीकात करने का फैसला कर लिया। अगले ही दिन वे एक फारसी कवि की वेशभूषा में दरबार की ओर चल दिए। दरबार के मुख्य द्वार पर पहुँचकर वे पहरेदारों से बोले, ‘मुझे शहशाह के दरबार में ले चलो। मैं उनसे मुलाकात करना चाहता हूँ।’

“इस वक्त हम तुम्हें अंदर नहीं जाने दे सकते।’ पहरेदार बोले।

“वह क्यों भला?” कवि बने बीरबल ने हैरत जताते हुए पूछा।

‘बादशाह सलामत अभी काम में व्यस्त हैं।’ एक पहरेदार बोला।

“लेकिन मैं फारस से हिंदुस्तान सिर्फ बादशाह सलामत से मिलने आया हूँ। मैं उन्हें कुछ शेर सुनाना चाहता हूँ, जो मैंने खास उन्हीं के लिए लिखे हैं।” बीरबल बोले। ,

‘ठीक है, हम तुम्हें जाने देंगे, लेकिन एक शर्त है। तुम्हें शेर सुनाने पर जो भी इनाम मिलेगा, उसमें से आधा तुम हमें दे दोगे।’ एक पहरेदार बोला। बीरबल ने तुरंत उनकी शर्त मान ली। वह तो वहाँ आए ही उन्हें बेनकाब करने के लिए थे।

“लेकिन एक बात ध्यान रखना। इस बारे में बादशाह सलामत से दरबार में कुछ न कहना। तुम यहाँ पहली बार आए हो, इसलिए यहाँ के रिवाज नहीं जानते। यहाँ का कायदा है कि इनाम की आधी की रकम पहरेदारों को मिलती है। खुद बादशाह सलामत | को इस बारे में सब मालूम है।” पहरेदारों ने गप्प हॉकी। बीरबल ने तो पहले ही पहरेदारों की शर्त “, कबूल कर ली थी। इसलिए वे उन्हें बादशाह के 2 / सामने ले गए। वहाँ बीरबल ने बादशाह को बहुत से लाजवाब शेर सुनाए। दरबारी भी उन शेरों को सुनकर ‘वाह वाह’ किए बगैर नहीं रह सके। बादशाह उनके शेरों की तारीफ करते हुए बोले, ‘भई वाह! हमें तो


तुम्हारी शायरी की दाद देने के लिए लफ्ज़ ही नहीं मिल रहे हैं। हम तुम्हें तुम्हारी मेहनत के बदले कुछ इनाम देना चाहते हैं।”

‘हुजूर, क्या मुझे अपना मनचाहा इनाम माँगने की इजाजत मिलेगी?” शायर के रूप में बीरबल बोले।

‘क्या चाहते हो तुम?’ अकबर ने अपनी बुलंद आवाज में पूछा।

‘मुझे सौ कोड़े मारे जाएँ।’ बीरबल ने कहा।

सारे दरबार में बीरबल की बात सुनकर सन्नाटा छा गया। सभी दरबारी हैरत से एक-दूसरे की शक्ल देखने लगे। बादशाह ने भी अचम्भे से पूछा, ‘तुम अपने लिए ऐसा इनाम क्यों चाह रहे हो?’

‘जहांपनाह, यह सारा इनाम मेरे अपने लिए थोड़े ही है। उसमें मेरे साझीदार भी तो हैं।’ शायर बने बीरबल ने कहा।

‘कौन है तुम्हारा साझीदार?’ बादशाह की हैरत का पार नहीं था, ‘तुम्हारा इनाम कौन बाँटना चाहता है?’

‘पहरेदार, हुजूर!” बीरबल बोले, ‘इसी शर्त पर तो उन्होंने मुझे अंदर आने दिया था।

‘दारोगा-ए-महल, पहरेदारों को तुरंत इनाम के कोड़े रसीद किए जाएँ।’ बादशाह ने हुक्म दिया। फिर वे बीरबल की ओर मुखातिब होकर बोले, ‘हम चाहते हैं कि अब तुम हमारे दरबार में ही रहो।’

‘वो तो मैं पहले से ही हूँ।’ कहते हुए बीरबल ने अपना नकली वेश हटा दिया।

 

मनुष्य कौन गधा कौन– Birbal Story with moral

एक दिन बादशाह अकबर सारा कामकाज निपटाने के बाद मनोरंजन की मुद्रा में बैठे हुए थे। लेकिन बीरबल ऐसे वातावरण में भी शांत बैठे थे। उस दिन वे हँसी-मजाक में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। बीरबल के बिना बादशाह की महफिल पूरी कैसे होती? इसलिए उन्हें उकसाने की दृष्टि से बादशाह ने उन्हें छेडा, ‘बीरबल, जरा यह बताओ कि तुममें और गधे में कितना अंतर है?

” ईष्यालु दरबारियों ने बादशाह का सवाल सुनकर ठहाके लगाने शुरू कर दिए। उधर बीरबल कहाँ चुप रहने वाले थे। उन्होंने चुपचाप अपना सिर नीचे झुका लिया जैसे भूमि की ओर देखते हुए कुछ गणना कर रहे हों। उनकी मुद्रा बड़ी गम्भीर थी और वे अपने हाथों पर कुछ गिनती कर रहे थे।

‘क्या गिनती कर रहे हो, बीरबल?” अकबर ने थोड़ी हँसी के साथ पूछा।

‘मैं अपने और गधे के बीच की दूरी पता करने की कोशिश रहा था। मैंने गिनती कर ली है,” बीरबल ने अपनी दृष्टि अकबर की ओर उठाते हुए कहा, ‘यह कोई सोलह फीट जान पड़ती है।’

इस उत्तर पर अकबर अत्यंत लज्जित हो गए और कुछ देर तक दृष्टि ऊपर न कर सके। दरअसल बीरबल ने अकबर के सिंहासन के सामने खडे होकर उनके और अपने बीच की दूरी बताई थी। इस प्रकार बीरबल ने बादशाह द्वारा किए गए मजाक को उन्हीं पर पलट दिया।

# लालची नाई– अकबर बीरबल के किस्से

बादशाह अकबर का नाई बीरबल से बहुत जलता था। बीरबल को नुकसान पहुँचाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहता था। एक दिन उसने बीरबल को अपने रास्ते से हटाने के लिए एक योजना बनाई।

एक दिन जब वह बादशाह की दाढ़ी बना रहा था, तभी वह उनसे बोला,”हुज़ूरे आला, क्या आप इस धरती के बाद की जिंदगी पर भरोसा करते है?”
” हा, करता हूँ।” बादशाह ने जवाब दिया।

‘क्या आपके मन में कभी यह जानने की इच्छा नहीं हुई कि आपके पुरखे जन्नत में कैसे रह रहे हैं?” नाई ने पूछा।

‘मन में तो कई बार आया, लेकिन कैसे पता लगाऊँ? इसका कोई तरीका तो मुझे पता नहीं है।’ बादशाह ने बताया।

‘हुजूर, मैं जन्नत जाने का तरीका जानता हूँ। कुछ पहुँचे हुए महात्माओं ने मुझे यह तरीका बताया था। आप तो सिर्फ यह चुनाव कीजिए कि पुरखों की खोज-खबर लेने के लिए आप किसे भेजना चाहेंगे। वह व्यक्ति निश्चय ही बहुत बुद्धिमान होना चाहिए।’ नाई ने कहा।

‘बीरबल, और कौन? मैं उसी को जन्नत भेजूंगा,” बादशाह चहकते हुए बोले, ‘लेकिन एक बात तो बताओ। यह सब होगा कैसे?’

‘बहुत आसान है, हुजूर। एक चिता जलाई जाएगी। उसमें बीरबल को बिठाकर उन्हें लकड़ियों से ढक दिया जाएगा। जब चिता धू-धू करके जलने लगेगी, तो उसके धुएँ के साथ बीरबल महाराज भी जन्नत पहुँच जाएँगे।’ नाई होंठ चबाते हुए बोला।

बादशाह समझ गए थे कि नाई यह सब बकवास बीरबल को नुकसान पहुँचाने के लिए ही कर रहा है, लेकिन उन्हें बीरबल की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। इसलिए उन्हें किसी बात की फिक्र नहीं थी। उसी शाम, बीरबल को अपने महल में बुलाकर उन्होंने उन्हें सारी बताई। बीरबल ने हल्की मुस्कान के साथ पूरी बात सुनी।

‘देख लो, इस बार मुकाबला नाई महाराज से है। ‘बादशाह हँसे।

‘पछताएगा नाई, बहुत पछताएगा,” बीरबल होंठ चबाते हुए बोले, ‘खैर, मैं चिता पर कुछ दिनों बाद चढूँगा। आप मुझे थोड़ा समय दीजिए।’

बादशाह ने बीरबल को मुँहमांगा वक्त दे दिया। बीरबल ने अपने गुप्तचरों से उस चिता की जगह पता लगा ली, जहाँ नाई ने उन्हें जलाने की योजना बना रखी थी। उन्होंने गुप्त रूप से उस चिता के नीचे से अपने घर तक एक सुरंग खुदवा ली। जब उनकी तैयारी पूरी हो गई तो उन्होंने घोषणा कर दी कि वे चिता पर चढ़ने के लिए तैयार हैं। नाई खुद अपनी देखरेख में बीरबल को उस स्थल तक ले गया। वहाँ बीरबल उस चिता में जा बैठे। फिर चिता में आग लगा दी गई। बीरबल चुपचाप सुरंग से होते हुए अपने घर लौट आए। उधर नाई जो की खुशी की कोई सीमा नहीं थी। वह यही * समझ रहा था कि उसने अपनी चतुराई के , 출 है बल पर बीरबल को ठिकाने लगा दिया है। बीरबल के विरोधी दरबारी भी बहुत खुश थे। उन्होंने राजदरबार में बीरबल का पद हथियाने की योजना बनानी भी शुरू कर दी थी।

अपने घर में कुछ हफ्ते गुजारने के बाद, बीरबल, एक दिन, अचानक, राजदरबार जा पहुँचे। घर में रहने के दौरान, उन्होंने न अपने बाल बनवाए थे और न ही दाढ़ी बनवाई थी। उन पर नजर पड़ते ही बादशाह खुशी से सराबोर हो गए और उनका स्वागत करते हुए बोले, ‘आओ, बीरबल, आओ, जन्नत में हमारे रिश्तेदारों के क्या हाल हैं?’

‘जहांपनाह, जन्नत में सब कुछ ठीकठाक है। आपके रिश्तेदार भी मजे में हैं। वहाँ आपके पिता और दादा आपके लिए दुआ करते हैं। वैसे तो जन्नत में सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। फिर भी एक समस्या जरूर है। वहाँ कोई नाई नहीं है। आप खुद देख रहे होंगे कि मैं भी वहाँ रहकर न अपने बाल बनवा सका और न दाढ़ी। आपके पुरखों के बाल और दाढ़ी भी काफी बढ़ आए हैं। उन्होंने कहलवाया है कि आप उनके लिए किसी अच्छे नाई को भेज दें।’

बीरबल की बात सुनकर बादशाह मन ही मन हँसे। वे बीरबल की योजना अच्छी तरह समझ रहे थे। वे तुरंत बोले, ‘हाँ हाँ, क्यों नहीं? मैं उनके लिए अपने शाही नाई को ही भेज दूँगा।” यह कहते हुए बादशाह ने नाई को स्वर्ग जाने की तैयारी करने का हुक्म दिया। नाई ने खुद को ‘स्वर्ग’ भेजे जाने का जमकर विरोध किया, लेकिन बादशाह ने उसकी एक न सुनी। नाई उस दिन को कोस रहा था, जब उसने बीरबल को जलाकर मारने की योजना बनाई थी। अगले ही दिन उसे जीवित ही चिता पर रखकर जला दिया गया। इस तरह बीरबल ने अपने विरोधी नाई से छुटकारा हासिल कर लिया।

# Akbar Birbal Stories in Hindi for kids

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