वादा याद रखो- Akbar Birbal Moral Story in Hindi

वादा याद रखो- Akbar Birbal Moral Story in Hindi

एक दिन एक गरीब आदमी बादशाह अकबर के दरबार में आया और गिड़गिड़ाने लगा, ‘हिंदुस्तान के मालिक, मैं आपकी एक गरीब रियाया हूँ। किस्मत की मार से, मैं इतना गरीब हो गया हूँ कि मेरे पास खाने को भी नहीं है। आपसे गुजारिश है कि मेरी मदद करके मुझे इस मुसीबत से बचाइए।’ बादशाह ने उसे उसकी मदद करने का भरोसा दिलाया। लेकिन इसके बाद वे सरकारी कामकाज में लग गए और अपना वादा उन्हें याद नहीं रहा।

एक दिन वे शाम को बीरबल के साथ सड़कों पर टहल रहे थे। तभी उनकी नजर एक ऊँट पर पड़ी। वे मजाक में बीरबल से पूछ बैठे, ‘बीरबल, क्या तुम बता सकते हो कि ऊँट के गले की बनावट इतनी अजीबोगरीब क्यों होती है? आखिर इसका कसूर क्या है जो खुदा ने इसे ऐसा बनाया?’

‘हुजूर,” बीरबल बोले, ‘मैंने एक महात्मा से सुना था कि जो लोग अपना वादा भूल जाते हैं, उन्हें भगवान किसी न किसी तरीके से दंडित करते हैं। हो सकता है कि ऊँट अपना कोई वादा भूल गया हो और इसके बदले भगवान ने इसे ऐसा रूप दे दिया हो।” बीरबल की बात सुनकर बादशाह को याद आ गया कि उन्होंने किस तरह दरबार में आए उस गरीब आदमी की मदद करने का वादा किया था और बाद में उसे भूल गए थे।

बादशाह समझ गए कि ऊँट के गले की बनावट के बहाने बीरबल उन्हें क्या याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। अगले ही दिन उन्होंने उस गरीब आदमी के जीवनयापन की पूरी व्यवस्था किए जाने का आदेश दे दिया।

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