Essay on Television in Hindi- दूरदर्शन-लाभ और हानियाँ

In this article, we are providing Essay on Television in Hindi. दूरदर्शन पर निबंध 500 शब्दों में। दूरदर्शन (टेलीविजन) का पहला प्रयोग कब हुआ, लाभ और हानियाँ

Essay on television in Hindi- दूरदर्शन-लाभ और हानियाँ

भूमिका- दूरदर्शन (टेलीविजन) आज का महत्वपूर्ण आविष्कार है। यह मनोरंजन का साधन है। इससे शिक्षा भी प्राप्त होती है। मनुष्य के मन में दूर की चीजों को देखने की बहुत प्रबल इच्छा रहती है। चित्रकला, फोटोग्राफी और छपाई के विकास से दूर की वस्तुओं, स्थानों और व्यक्तियों के चित्र सुलभ होने लगे हैं। दूरदर्शन (टेलीविजन) दूर की घटनाओं को हमारी आँखों के सामने पेश कर देता है।

सिद्धांत- टेलीविजन का सिद्धांत रेडियो के सिद्धांत से बहुत अंशों में मिलता है। रेडियो प्रसारण में बोलने वाला या गायक स्टूडियो में अपनी वार्ता या गायन पेश करता है। इसकी आवाज से हवा में तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिन्हें उसके सामने रखा हुआ माइक्रोफोन बिजली की तरंगों में बदल देता है। इन बिजली की तरंगों को भूमिगत तारों के द्वारा शक्तिशाली ट्रांसमीटर तक पहुँचाया जाता है, जो उन्हें रेडियो तरंग में बदल देता है। इन तरंगों को टेलीविजन एरियल पकड़ लेता है।

विशेष स्टूडियो- दूरदर्शन के पर्दे पर हम वे ही दृश्य देख सकते हैं जिन्हें किसी स्थान पर टेलीविजन कैमरे दवारा चित्रित किया जा रहा हो और उनके चित्रों को रेडियो तरंगों के द्वारा दूर के स्थानों पर भेजा जा रहा हो। इसके लिए दूरदर्शन के विशेष स्टूडियो बनाए जाते हैं जहाँ गाने वाला गायक, नर्तक आदि अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।

पहला प्रयोग- दूरदर्शन का पहला प्रयोग सन् 1925 में ब्रिटेन के जॉन एल० बेयर्ड ने किया था। इतने थोड़े समय में ही संसार के देशों में दूरदर्शन का प्रचार इतना अधिक बढ़ गया कि प्रत्येक खुशहाल घर में टेलीविजन सैट रहना आम बात हो गई है। भारत में दूरदर्शन का प्रसारण दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, श्रीनगर, चेन्नई, जालंधर तथा अन्य बहुत-से केंद्रों से किया जा रहा है।

उपयोग- दूरदर्शन के अनेक उपयोग हैं-लगभग उतने ही जितने हमारी आँखों के। नाटक, संगीत सभा, खेलकूद आदि के दृश्य दूरदर्शन के पर्दे पर देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। राजनीतिक नेता दूरदर्शन के द्वारा अपना संदेश अधिक प्रभावशाली ढंग से जनता तक पहुँचा सकते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी दूरदर्शन का प्रयोग सफलता के साथ किया जा रहा है। आज हजारों-लाखों विद्याथी अपनी-अपनी कक्षा में बैठे किसी अच्छे अध्यापक को पढ़ाते हुए देख और सुन सकते हैं।

समुद्र तल की जानकारी- समुद्र के अंदर खोज करने के लिए टेलीविजन का प्रयोग होता है। यदि किसी डूबे हुए जहाज की स्थिति का सही-सही पता लगाना हो तो जंजीर के सहारे टेलीविजन कैमरे को समुद्र के जल के अंदर उतारते हैं। उसके द्वारा भेजे गए चित्रों में समुद्र तल की जानकारी ऊपर के लोगों को मिल जाती है। अंतरिक्ष की जानकारी भी टेलीविजन द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

दूरदर्शन से हानियाँ- दूरदर्शन विज्ञान की महान् देन है, परंतु किसी भी पदार्थ का दुरुपयोग संभव है। यदि लोग अपने कर्त्तव्य को भूलकर टी.वी कार्यक्रम में खोय रहेंगे तो घर के सारे काम रुक जाएंगे। न गृहणी समय पर भोजन बनाएगी और न ही बच्चे पढ़ने की पुस्तकों को हाथ लगाएँगे। घटिया कार्यक्रम बच्चों की मानसिकता खराब कर सकते हैं। बच्चे कामचोर और सुस्त बन सकते हैं। घर में तनाव का वातावरण बन सकता है। दूरदर्शन का सबसे बुरा प्रभाव आँखों पर पड़ता है। शहर के छोटे-छोटे घरों में टी० वी० निकट से ही देखना पड़ता है जिससे आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बिजली का खर्चा तो बढ़ेगा ही।

उपसंहार- दूरदर्शन के लाभों को देखते हुए कहा जा सकता है कि दूरदर्शन विज्ञान का अमूल्य उपहार है और आज के ग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिल-बहलाव का साधन है। इसका उपयोग देश की प्रगति के लिए किया जाना चाहिए। इस संबंध में भारत सरकार बहुत ही प्रशंसनीय पर उठा रही है। यह कहना ठीक ही होगा कि आने वाले समय में भारत के प्रत्येक क्षेत्र में दूरदर्शन कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने लगेंगे।

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