In this article, we are providing information about Surdas in Hindi- Essay on Surdas in Hindi Language. सूरदास पर निबंध, Few lines about Surdas
सूरदास पर निबंध- Essay on Surdas in Hindi
प्रस्तावना
सूरदास हिंदी साहित्य के एक बहुत ही महान कवि हुए है जिन्होंने अपनी रचनाओं में श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया है। वह श्रीकृष्ण की भक्ति में आस्था रखते थे और उनके परम भक्त थे। वह कवि के साथ साथ एक महान संगीतकार भी थे। सुरदास के जन्मांध को लेकर भी मतभेद हैं।
जन्म
सूरदास के जन्म को लेकर भी बहुक से मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म 1478 में मथुरा और आगरा को किनारे स्थित रूनकत नामक गाँव में हुआ था। जबकि अन्य लोगों का मानना है कि उनका जन्म दिल्ली के नजदीक सीहीं नामक गाँव में हुआ था और बाद में वह आगरा मथुरा के किनारो स्थित गऊगाट में जाकर रहने लगे। सुरदास के पिता का नाम रामदास था जो कि गायक थे।
गुरू दीक्षा
18 वर्ष की उमर में गऊगाट पर सुरदास की मुलाकात संत श्री वल्लभाचार्य से हुई जिन्हें सुरदास ने अपना गुरू मान लिया था और उनसे गुरू दीक्षा ग्रहण की। वल्लभाचार्य ने उन्हें भगवत लीला का गुणगान करने को कहा और तब से ही वह श्रीकृष्ण की भक्ति करने लगे थे।
रचनाएँ
सुरदास की सभी रचनाएँ श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई थी। उनके द्वारा 5 ग्रंथ रचे गऐ हैं।
सुरसागर जिसमें सवा लाख पदों का संग्रह था।
सुरसारावली, साहित्य लहरी जिसमें कूट पदों को रखा गया है। नील- दम्यंति और ब्याहलो उनके द्वारा रचित है और अप्राप्य है।
निधन
कवि सुरदास का निधन गोवर्धन के निकट पारसौली नामक गाँव में 100 साल से ज्यादा की उमर में हुआ था। कुछ लोगों का मानना है कि उनकी मृत्यु 1581 में हुई था और वही कुछ लोगो का मानना है कि उनका निधन 1584 में हुआ था।
निष्कर्ष
कवि सुरदास की रचनाओं ने शासक अकबर को भी मोह लिया था। उनकी रचनाओं में श्रीकृष्ण के श्रंगार का वर्णन अद्वितीय है।
जरूर पढ़े-
Mera Priya Kavi Nibandh
Essay on Rabindranath Tagore in Hindi
Swami Vivekananda Essay in Hindi
ध्यान दें– प्रिय दर्शकों Essay on Surdas in Hindi (Article)आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे।
Thanks