इस पोस्ट में हम अपने दर्शकों को बुधवार व्रत की पूरी जानकारी दे रहे है जैसे की- बुधवार व्रत की कथा, विधि, नियम और लाभ। Providing information about Wednesday Fast Katha | Budhwar Vrat Katha in Hindi , Vidhi, Rules and Benefits, How to do Budhwar Vrat Katha, Wednesday Fast Vidhi in Hindi.
बुधवार व्रत कथा, विधि- Wednesday | Budhwar Vrat Katha in Hindi
बुधवार के व्रत की विधि ( Budhwar Vrat Vidhi )
1. इस व्रत में दिन में केवल एक बार भोजन करना होता है।
2. इसमें हरी वस्तुओं का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
3. यह व्रत शंकर भगवान का है। शंकर की पूजा धूप, तेल, पत्रादि से की जाती है।
4. व्रत की समाप्ति से पहले बुधदेव की कथा अवश्य सुननी चाहिए। यह व्रत सभी प्रकार के सुखों को देने वाला और पतिपत्नी के मध्य शान्ति तथा प्रेम बनाए रखने वाला है।
बुधवार व्रत कथा ( Wednesday Fast Story )
एक बार एक मनुष्य अपनी ससुराल गया कुछ दिन वहां रुक कर उसने अपने नगर को लौटने के लिए विदा माँगी। उस व्यक्ति के सास ससुर ने उसे बहुत समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है। लेकिन वह व्यक्ति नहीं माना। विवश होकर उन्हें अपने जामाता और पुत्री को विदा करना पड़ा।
पति-पत्नी बैल गाड़ी में चले जा रहे थे। एक नगर के बाहर निकलते ही पत्नी को । प्यास लगी। पति लोटा लेकर पत्नी के लिए पानी लेने गया। पानी लेकर जब वह लौटा तो उसके क्रोध और आश्चर्य की सीमा न रही, क्योंकि उसकी पत्नी किसीअन्य पुरुष के लाये लोटे में से पानी पीकर हँस-हँसकर बात कर रही थी। गुस्से में आग बबूला होकर वह उस आदमी से झगड़ा करने लगा। मगर यह देखकर उसके आश्चर्य की सीमा न रही कि उस पुरुष की शक्ल उस व्यक्ति से हुर्बहू मिलती थी।
हम शक्ल व्यक्तियों को झगडते हए जब काफी देर हो गई तो वहां आने जाने वालों की भीड़ इकट्ठी हो गई, सिपाही भी आ गया। सिपाही ने स्त्री से पूछा कि इन दोनों में से कौन सा तेरी पति है, तो वह बेचारी असमंजस में पड़ गई। क्योंकि । दोनों की शक्ल एक दूसरे से बिल्कुल मिलती थी।
बीच राह में अपनी पत्नी को इस तरह लुटा देखकर उस व्यक्ति की आँख भर आयी। वह शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा, कि हे भगवान आप मेरी रक्षा करो। मुझसे बड़ी भूल हुई जो मैं बुधवार को पत्नी को विदा करा लाया। भविष्य में ऐसा अपराध कभी नहीं करूंगा।
उसकी वह प्रार्थना जैसे ही पूरी हुई कि दूसरा व्यक्ति अन्र्तध्यान हो गया और वह व्यक्ति सकुशल अपनी पत्नी के साथ अपने घर पहुँच गया। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार को व्रत रखने लगे।
इस कथा को जो सुनता और कहता है। उसको बुधवार के दिन यात्रा करने पर भी कोई दोष नहीं लगता है और यह सुख शांति तथा समृद्धि को प्राप्त करता है।
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