दिमाग की पहचान- Akbar Birbal Story with Moral in Hindi

दिमाग की पहचान- Akbar Birbal Story with Moral in Hindi

बादशाह अकबर सुबह सोकर उठने के बाद दरबार में जाने के लिए तैयार हो रहे थे। दर्पण में अपना चेहरा देखने के है । बाद वे चौंके जैसे उन्हें कुछ याद आ गया हो। वे तुरंत एक नौकर को बुलाकर बोले, ‘जाकर उसे बुला लाओ।” नौकर को यह आदेश देकर वे महारानी जोधाबाई के साथ कुछ वार्तालाप में लग गए। महारानी जोधाबाई कुछ दिनों पहले ही अजमेर शरीफ से लौटकर आई थीं। वे बादशाह को वहाँ के हाल सुनाने लगीं।

उधर नौकर बादशाह के हुक्म की तामील करने के लिए तुरंत महल से निकल गया। बाहर जाकर उसे ध्यान आया कि उसने बादशाह से यह तो पूछा ही नहीं है कि बुलाना किसे है। अब तो वह परेशान होने लगा। वह दोबारा बादशाह के पास जाकर यह पूछना नहीं चाहता था, क्योंकि उसे डर था कि कहीं बादशाह नाराज न होने लगें। आखिर वह एक मामूली नौकर था और बादशाह से दूसरी बार एक ही सवाल करने का साहस उसमें नहीं था। वह दूसरे नौकरों से पूछने लगा कि बादशाह दरअसल किसे बुलाना चाह रहे होंगे। लेकिन दूसरे नौकर उसे यह बात न बता सके। आखिरकार, एक नौकर ने उसे सलाह दी, ‘तुम्हें बीरबल के पास जाना चाहिए। सिर्फ वे समझते हैं कि बादशाह के दिमाग में किस समय क्या चल रहा होता है।’ नौकर तुरंत बीरबल के घर जा पहुँचा और उन्हें पूरी बात कह सुनाई। उसकी बात सुनकर बीरबल सोच में पड़ गए। कुछ देर बाद उन्होंने नौकर से पूछा, ‘जब बादशाह सलामत ने तुम्हें ये हुक्म दिया, उस समय वे क्या कर रहे थे? इससे मैं अंदाज लगा सकूंगा कि उनकी इच्छा क्या रही होगी।” उस वक्त वे दरबार में जाने के लिए तैयार हो रहे थे।”नौकर ने बताया।

‘मैं सब समझ गया। तुम नाई को साथ लेकर महल में पहुँच जाओ।” बीरबल तुरंत बोले।

वे समझ गए थे कि बादशाह के सिर और दाढ़ी के बाल बड़े हो गए होंगे। जब बादशाह ने दर्पण में अपना चेहरा देखा होगा, तो उनका ध्यान इस तरफ गया होगा और उन्होंने नौकर को यह हुक्म दे दिया होगा। जल्दबाजी में वे पूरी बात कहना भूल गए होंगे।

उधर महल में बादशाह को याद आया कि उन्होंने नौकर को यह तो बताया ही नहीं था कि उसे लाना किसे है। वे उसके पीछे एक दूसरे नौकर को भेजने वाले थे कि तभी वह साथ में एक नाई को लिए वहाँ जा पहुँचा। बादशाह भी दरअसल नाई को ही बुलवाना चाहते थे। लेकिन वे यह नहीं समझ सके कि आखिर नौकर को यह बात बिना बताए समझ कैसे आ गई। वह नौकर इतना बुद्धिमान तो था नहीं। बादशाह को बड़ी हैरत हो रही थी।

‘तुम्हें यह कैसे पता चला कि मैं नाई को बुलवाना चाहता हूँ। मैंने तो तुम्हें यह बात बताई ही नहीं थी।’ बादशाह ने नौकर से पूछा।

‘हुजूरे आला। दरअसल, मैं आपका हुक्म समझने में नाकामयाब रहा था। मुझे तो बीरबल साहब ने बताया कि आपकी मंशा क्या थी।’ नौकर ने बात साफ की। बादशाह मन ही मन बीरबल की होशियारी की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।

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